आज दिनांक 31/12/2016 वर्तमान वर्ष का अन्तिम दिवस है।हालाँकि वर्ष 2016 की विदाई हम सभी के लिए अत्यंत कष्टदायक साबित हुई है। वर्ष 2016 हमारे लिए अत्यंत दुःखदायी रहा।
हमने वर्ष 2016 में अपने जीवन में छोटे भाई सदृश हमारे ही जनपद सीतापुर में चयनित भाई अजीत वर्मा को खो दिया तथा दिनांक 30/12/2016 को सीतापुर में ही चयनित भाई हरगोविंद यादव जी को खो दिया।
इतना ही नहीं अपितु हमने पूरे प्रदेश में अनेक शिक्षक साथियों को वर्ष 2016 में खोया।हम सभी अपनी-अपनी नौकरी में इस कदर व्यस्त हैं कि हम अपने ही भाइयों के बारे में कुछ भी नहीं सोंच पा रहे हैं/कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
क्या यह हमारा दायित्व नहीं है कि हम अपने ही भाइयों के असमय निधन /आकस्मिक दुर्घटना पर हम उनके परिवार वालों की कुछ सहायता करें??
साथियों यह बहुत ही दुःख की बात है कि न तो हमारे संगठन का कोई भी प्रादेशिक ढांचा है और न ही अपने ही साथियों की आकस्मिक मदद करने हेतु कोई कोष। यह निश्चित ही विचारणीय विषय है।
साथियों , आज दुःखी मन से मैं आप सभी से गुजारिश /आवाह्न करना चाहूंगा कि जल्द से जल्द एक प्रदेश स्तरीय मीटिंग का आयोजन किया जाये और संगठन का प्रदेश स्तर पर एक संरचनात्मक ढांचा खड़ा किया जाये तथा शीघ्रातिशीघ्र एक आकस्मिक सहायता कोष का निर्माण किया जाये, जिससे हम अपने साथियों की किसी भी अप्रिय स्थिति में मदद कर सकें।
साथियों , निश्चित रूप से हमें अपने दिवंगत भाइयों को विस्मृत नहीं करना है और उनके परिवार को कुछ न कुछ आर्थिक सहायता करनी ही होगी।
साथियों ,
प्रदेश में संगठन का ढांचा खड़ा होना और आकस्मिक सहायता कोष का गठन होना ही हमारे दिवंगत साथियों के परिजनों एवं हम सभी के लिए नव वर्ष की सच्ची बधाई /मंगलकामना होगी।
आप सभी की मंगलकामना के साथ-
सधन्यवाद.......
आपका
पूर्णेश शुक्ल(महाकाल)
सहायक अध्यापक
बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश।
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हमने वर्ष 2016 में अपने जीवन में छोटे भाई सदृश हमारे ही जनपद सीतापुर में चयनित भाई अजीत वर्मा को खो दिया तथा दिनांक 30/12/2016 को सीतापुर में ही चयनित भाई हरगोविंद यादव जी को खो दिया।
इतना ही नहीं अपितु हमने पूरे प्रदेश में अनेक शिक्षक साथियों को वर्ष 2016 में खोया।हम सभी अपनी-अपनी नौकरी में इस कदर व्यस्त हैं कि हम अपने ही भाइयों के बारे में कुछ भी नहीं सोंच पा रहे हैं/कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
क्या यह हमारा दायित्व नहीं है कि हम अपने ही भाइयों के असमय निधन /आकस्मिक दुर्घटना पर हम उनके परिवार वालों की कुछ सहायता करें??
साथियों यह बहुत ही दुःख की बात है कि न तो हमारे संगठन का कोई भी प्रादेशिक ढांचा है और न ही अपने ही साथियों की आकस्मिक मदद करने हेतु कोई कोष। यह निश्चित ही विचारणीय विषय है।
साथियों , आज दुःखी मन से मैं आप सभी से गुजारिश /आवाह्न करना चाहूंगा कि जल्द से जल्द एक प्रदेश स्तरीय मीटिंग का आयोजन किया जाये और संगठन का प्रदेश स्तर पर एक संरचनात्मक ढांचा खड़ा किया जाये तथा शीघ्रातिशीघ्र एक आकस्मिक सहायता कोष का निर्माण किया जाये, जिससे हम अपने साथियों की किसी भी अप्रिय स्थिति में मदद कर सकें।
साथियों , निश्चित रूप से हमें अपने दिवंगत भाइयों को विस्मृत नहीं करना है और उनके परिवार को कुछ न कुछ आर्थिक सहायता करनी ही होगी।
साथियों ,
प्रदेश में संगठन का ढांचा खड़ा होना और आकस्मिक सहायता कोष का गठन होना ही हमारे दिवंगत साथियों के परिजनों एवं हम सभी के लिए नव वर्ष की सच्ची बधाई /मंगलकामना होगी।
आप सभी की मंगलकामना के साथ-
सधन्यवाद.......
आपका
पूर्णेश शुक्ल(महाकाल)
सहायक अध्यापक
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