सपा सुप्रीमों द्वारा अखिलेश यादव को सपा से निष्काषित करने के निर्णय पर एक विश्लेषण : मयंक तिवारी

सपा सुप्रीमों श्री मुलायम सिंह यादव द्वारा वर्तमान मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी को सपा से निष्काषित करने के निर्णय पर एक विश्लेषण : द्वारा मयंक तिवारी
कहना गलत नही होगा कि मुलायम सिंह जी राजनीती के वास्तव में बड़े खिलाड़ी है।
आज देखने में अवश्य लग रहा है वह अपने ही पुत्र के लिए कठोर हो गए है लेकिन उनके इस निर्णय के बाद आज प्रदेश में अखिलेश यादव का स्वयं का ग्राफ उनका खुद का बजूद व् उनका समर्थन निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी में बढेगा। अब जो भी उनके साथ जायेगा उसके लिए अखिलेश यादव निर्विरोध पार्टी आला कमान बनेंगे और वर्तमान स्तिथि में पिता से पुत्र एकाधिकार देने का इससे बेहतर कोई तरीका मुलायम सिंह जी के पास शायद नही हो सकता था।
इस कार्य और देखने वाले इस कठोर निर्णय के बाद मुलायम सिंह जी ने अगले चुनाव में अखिलेश को प्रदेश के सामने एक स्वक्ष छवि का प्रदर्शित किया है और पूरी अराजकता, गुंडागर्दी, कुशासन या पिछले पाँच वर्षों में जहाँ भी वह बतौर मुख्यमंत्री फ़ैल हुए है उसकी जिम्मेदारी भी अप्रत्क्षय रूप से उनकी सर मड़ दी है जिनके साथ आज खुद खड़े दिख रहे है।
आज पूरा देश इसे सपा के महादंगल के रूप में देख रहा है लेकिन अखिलेश यादव व् उनकी नये कलेवर वाली समाजवादी पार्टी के स्वयं के भविष्य के लिए मुलायम का यह कठोर कदम निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होगा।
संक्षेप में यह पूरी उठापटक अगले चुनाव से आगे बढ़कर पार्टी काला कमान बनने/बनाने की है व् आंशिक रूप से प्रदेश की जनता को मूल मुद्दों से भटकाने की है। पिता मुलायम ने बहुत ही समझदारी से पुत्र अखिलेश को सभी चाचाओं आदि बड़ों के दबाब से मुक्त कर स्वतंत्र स्थापित करने का शानदार दावँ खेला है।
"विशुद्ब रूप से हो रही इस राजनीती को प्रदेश की जनता को समझना होगा 5वर्ष की अराजकता कुशासन से स्वयं को अलग करके आप बेदाग़ नही हो सकते।"
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