विस्तार से वार्ता : विषय सीनियर बेसिक व बीटीसी/SBTC की भर्ती और उसका बीएड भर्ती पर प्रभाव

माननीय मुख्य न्यायमूर्ति श्री दिलीप बाबासाहेब भोसले और न्यायमूर्ति श्री यशवंत वर्मा की खंडपीठ का संपूर्ण आदेश मैंने करीने से पढ़ा और समझा ।

आदेश पर वार्ता के पहले आप सबको यूपी बेसिक सेवा नियमावली समझना होगा ।
ज्यादा इतिहास में न ले जाकर सिर्फ काम की बात करूँगा और ऐसी बातें आप लाखों रुपया किसी सीनियर वकील से कॉन्फ्रेंस में खर्च करके भी नहीं जान पाएंगे ।
केंद्र द्वारा दिनांक 1 अप्रैल 2010 को RTE एक्ट लागू किये जाने के बाद और दिनांक 23 अगस्त 2010 को NCTE को मिले अधिकार और भारत सरकार के राजपत्र से संपूर्ण देश में प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए टीईटी परीक्षा अनिवार्य हो गयी ।
दिनांक 11 फरवरी 2011 को NCTE ने टीईटी परीक्षा कैसे हो और अंक पत्र की वैधता आदि पर गाइडलाइन जारी किया ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिसूचना संख्या 2510/LXXIX-79-5-2011-29-09, उ०प्र० राजपत्र , असा०, दिनांक 27 जुलाई 2011 को प्रकाशित करके उत्तर प्रदेश में 'उ०प्र० निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली , 2011 लागू किया ।
यह कानून उत्तर प्रदेश सरकार ने RTE एक्ट 2009 (अधिनियम संख्या 35 सन 2009) की धारा 38 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके बनाया ।
भारत सरकार के राजपत्र दिनांक 23 अगस्त 2010
के पैरा तीन में शिक्षकों की कमी पर राज्यों को बीएड वालों को सीधे प्राइमरी में नियुक्त करने का अधिकार मिला । जिसकी वजह RTE एक्ट का क्लॉज़ 23(2) है ।
RTE एक्ट लागू होने के बाद प्रदेश सरकार ने यूपी बेसिक शिक्षा (शिक्षक) नियमावली 1981 में 12वां संशोधन किया ।
नियमावली में कुल 29 क्लॉज़ हैं ,
ज्यादा विस्तार में नहीं जाऊँगा सिर्फ इतना जानिये कि क्लॉज़ 5 से भर्ती के स्रोत , क्लॉज़ 6 से आयु की गणना, क्लॉज़ 7 से राष्ट्रीयता , क्लॉज़ 8 से वह योग्यता जो कि शिक्षक बनने के लिए होनी चाहिए , क्लॉज़ 9 से आरक्षण , क्लॉज़ 10 से भूतपूर्व सैनिक और अन्य श्रेणियों के लिए शिथिलीकरण , क्लॉज़ 11 से चरित्र , क्लॉज़ 12 से वैवाहिक स्थिति , क्लॉज़ 13 से शारीरिक स्वस्थता और क्लॉज़ 14 जो कि सबसे चर्चा का विषय है ,
रिक्तियों का अवधारण सूची तैयार किया जाना ।
मैं विस्तार से क्लॉज़ 8 और क्लॉज़ 14 को समझाऊंगा क्योंकि विवाद इसी में है और इनमें कई सब-क्लॉज़ हैं ।
क्लॉज़ 14 (1) और क्लॉज़ 14(3) जो कि क्लॉज़ 14 के उप क्लॉज़ हैं ।
क्लॉज़ 8 जो कि योग्यता का निर्धारण करता है ।
दिनांक 9 नवम्बर 2011 को संशोधन 12 के जरिये राज्य ने क्लॉज़ 8 अर्थात योग्यता में टीईटी को जोड़ा और क्लॉज़ 14(3) जो कि चयन का आधार निर्धारित करता है उसमे बैच वरीयता आदि ख़त्म करके टीईटी के अंकों को चयन का आधार बना दिया ।
प्रदेश में पहली टीईटी की परीक्षा हुयी ।
पहली बार 72825 पदों पर भर्ती आयी और उस वक़्त मौजूद लगभग छह हजार बीटीसी और SBTC के लोगों ने नियुक्ति की मांग की तो उनको भी 72825 विज्ञापन में शामिल कर लिया गया ।
राज्य ने विज्ञापन सहायक अध्यापक का न निकालकर अप्रेंटिस टीचर का निकाल दिया और सर्विस रूल फॉलो करने की बजाय रूल 8 में दसवें संशोधन से योग्यता में मौजूद SBTC के प्रशिक्षण जैसा विज्ञापन निकाल दिया ।
विज्ञापन के पैराग्राफ दस में लिखा था कि प्रशिक्षण के उपरांत उन्ही सबको नियुक्त कर दिया जायेगा अर्थात फिर से रिजर्वेशन आदि फॉलो न होता तो प्रशिक्षण के लिए चयन ही मुख्य चयन था ।
इस आधार पर सरिता शुक्ला की याचिका पर मात्र पांच जिले की आवेदन आदि बातें समाप्त हुई ।
नियमावली के
क्लॉज़ 14(1) में लिखा है कि BSA विज्ञापन निकालेगा तो कपिल देव यादव को उस आधार पर स्थगन मिल गया ।
सरकार बदल गयी और नयी सरकार ने शपथ पत्र दाखिल किया कि उसे टीईटी के अंकों पर नियुक्ति करने में आपत्ति नहीं है परंतु टीईटी परीक्षा में धांधली हुयी है इस लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी बैठी और उसने सुझाव दिया कि टीईटी को पात्रता परीक्षा बना दिया जाये ।
दिनांक 26 जुलाई 2012 को यूपी कैबिनट ने संशोधन 12 निरस्त कर दिया ।
जिससे क्लॉज़ 14(3) बगैर चयन के आधार के हो गया ।
दिनांक 31 अगस्त 2012 को राज्य ने नियमावली में संशोधन 15 किया और यह संशोधन मात्र क्लॉज़ 14(3) पर हुआ और अकादेमिक मेरिट जिसमे शैक्षिक का क्वालिटी पॉइंट और प्रशिक्षण का 12 6 3 मानक रखा गया और यही शिक्षक बनने का चयन का आधार बन गया ।
72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती को राज्य ने निरस्त कर दिया ।
अदालत में शिव प्रकाश कुशवाहा की याचिका से
SBTC और BTC ने अलग से भर्ती की मांग की थी तो उनके लिए संशोधन 15 से दो भर्ती हुयी ।
दिनांक 2 सितम्बर 2012 को कपिल देव की याचिका खारिज/वापस हो गयी क्योंकि 72825 प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन सरकार वापस ले चुकी थी अर्थात रद्द कर चुकी थी तो याचिका निष्क्रिय हो गयी थी ।
अखिलेश त्रिपाठी ने पुराना विज्ञापन बहाल करने की मांग की जिसमे बहुत सी रिट बंच हुयी ।
अब थोड़ा ध्यान से पढ़िए तभी CJ का आर्डर समझ में आएगा ।
एकल बेंच ने नया विज्ञापन लाने की मांग की इसके लिए भी एकल बेंच को सबूत दिया गया कि RTE एक्ट सेक्शन 23(2) के तहत भारत सरकार द्वारा बीएड के लिए अंतिम तिथि दिनांक 31 मार्च 2014 हो गयी है ।
इसके बाद राज्य ने नियमावली में दिनांक 5 दिसम्बर 2012 को संशोधन 16 किया ।
जिसके तहत कुछ भी न बदलकर कुछ उप क्लॉज़ जोड़े गये ।
यहाँ ध्यान से समझिए कि संशोधन 16 से क्या-क्या बना है ।
संशोधन 16 के जरिये नियमावली के क्लॉज़ 2 में उप क्लॉज़ (प) अर्थात अंग्रेजी में (U) उप क्लॉज़ बना ।
जो कि निम्न है :
" प्रशिक्षु शिक्षक " का तात्पर्य किसी ऐसे अभ्यर्थी से है , जिसने बीएड / बीएड ( विशेष शिक्षा)/डीएड विशेष शिक्षा उत्तीर्ण कर ली हो और अध्यापक पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली हो और जिसे राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रारंभिक शिक्षा में छः माह का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के पश्चात जूनियर बेसिक स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में अंतिम नियुक्ति के लिए चयनित किया है ।
यहाँ ध्यान दें कि नियमावली में प्राइमरी को जूनियर बेसिक और मिडिल को सीनियर बेसिक कहा जाता है ।
संशोधन 16 के जरिये क्लॉज़ 8 में सहायक अध्यापक बनने की योग्यता में बीएड सम्मिलित हुआ जिसे कि क्लॉज़ 8(C) कहा जाता है ।
' भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि या सरकार द्वारा उसके समकक्ष मान्यता प्राप्त उपाधि के साथ बीएड/बीएड (विशेष शिक्षा)/डीएड (विशेष शिक्षा) अर्हता और सरकार द्वारा या भारत सरकार द्वारा संचालित अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किया हो ।
उपाधि बीएड (विशेष शिक्षा) और डीएड (विशेष शिक्षा) के मामले में केवल भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम मान्य होगा ।
संशोधन 16 के जरिये नियमावली के क्लॉज़ 14(1) को तीन भागों में बांटा गया ।
14(1)(A) क्लॉज 5 (क) के अनुसार बीटीसी SBTC व उर्दू बीटीसी के विज्ञापन हेतु ।
14(1) (B) बीएड वालों के लिए प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्ति हेतु ।
14(1) (C) बीएड वालों को प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत एक माह के अन्दर सहायक अध्यापक पद पर मौलिक नियुक्ति ।
अब संशोधन 16 के द्वारा निर्मित इस अंश को ध्यान से पढ़िए क्योंकि चीफ जस्टिस ने इसी कारण संशोधन 16 निरस्त किया है ।
क्लॉज़ 14(3) जिसमे दिनांक 31 अगस्त 2012 को 15वां संशोधन हुआ था इसके तहत अकादमिक मेरिट क्वालिटी पॉइंट सह प्रशिक्षण 12 6 3 बनी थी इसी को मै ख़त्म कराना चाहता था ।
संशोधन 16 के जरिये इसमें तीन उप क्लॉज़ बना ।
14(3)(A) संशोधन 15 के अकादमिक मेरिट को इसमें रख दिया गया अर्थात बीटीसी SBTC और सीनियर बेसिक में लोग इसके तहत चुने जायेंगे , क्वालिटी पॉइंट सह प्रशिक्षण 12 6 3 वाले मानक से चयन होता ।
इसलिए चीफ जस्टिस ने शैलेंद्र के द्वारा यह उठाने पर की उनकी भर्ती संशोधन 16 से हुयी है जो कि नियमावली के क्लॉज़ 14(3) (A) से संचालित है तो चीफ जस्टिस ने आदेश में लिखा कि जस्टिस श्री अशोक भूषण द्वारा जो संशोधन 15 को क्लॉज़ 14(3) से रद्द किया गया है उसे ही संशोधन 16 के जरिये 14(3) (A) में रखा गया है ।
अतः संशोधन 16 को भी अल्ट्रावायरस कर दिया ।
मगर साथ में और भी जो कार्य ऊपर संशोधन 16 से नियमावली में हुए वे सब भी ख़त्म हो गये, साथ ही जो नीचे दो क्लॉज़ जो कि बीएड के लिए है वह भी रद्द हुआ ।
14(3)(B)
इसके अतिरिक्त संशोधन 16 से बीएड वालों के लिए जो क्लॉज़ 14(1)(B) था उसके लिए क्लॉज़ 14(3) (B) बना जिसमे बीएड का .30 रखा गया ।
14(3)(C)
इस उप क्लॉज़ के तहत जो प्रशिक्षु क्लॉज़ 14(1)(B) के अनुसार चयन के आधार के क्लॉज़ 14(3)(B) अर्थात बीएड .3 से चुने गये उस लिस्ट में कोई असमानता न होगी और जो छः माह के बाद परीक्षा में असफल हो जायेगा तो दूसरी बार में परीक्षा उत्तीर्ण करके पहली बार उत्तीर्ण लोगों की लिस्ट में सबसे नीचे रहेगा ।
इसके बाद भी कई संशोधन हुये जो कि शिक्षमित्र आदि से सम्बंधित हैं और हाई कोर्ट से रद्द हैं कोई जानना चाहेगा तो बताऊंगा ।
एकल बेंच ने अखिलेश त्रिपाठी की याचिका पर पुराना विज्ञापन बहाल करने से इंकार कर दिया था क्योंकि वह रूल पर नहीं था ।
सरकार संशोधन 16 के जरिये निर्मित योग्यता के लिए नियमावली के क्लॉज़ 8(C) , विज्ञापन के लिए क्लॉज़ 14(1)(B) का प्रयोग करके चयन के आधार 14(3)(B) से 72825 का नया विज्ञापन दिनांक 7 दिसम्बर 2012 को निकालकर भर्ती कर रही थी ।
मगर अखिलेश त्रिपाठी की याचिका खारिज होने के बाद
लोग खंडपीठ में गये और जस्टिस हरकौली ने नये विज्ञापन की काउंसलिंग पर रोक लगा दी ।
दिनांक 10 जनवरी 2013 को मैं जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अभिनव उपाध्याय की पीठ में टीईटी से राहत मांगने वाली प्रभाकर सिंह की विशेष याचिका की फाइनल बहस सुन रहा था, जिसे कि रिट में एकल बेंच में दिलीप गुप्ता ख़ारिज कर चुके थे ।
जस्टिस भूषण ने कहा कि भारत सरकार के राजपत्र के पैरा 3 में कहीं नहीं लिखा है कि टीईटी जरुरी है अतः नियुक्ति के बाद जो छः महीने ट्रेनिंग कर लेगा उसे टीईटी जरुरी नहीं है और बीएड वालों को बगैर टीईटी के ही 72825 के नये विज्ञापन में फॉर्म भरने का आदेश कर दिया ।
शिव कुमार शर्मा उसी आधार पर एकल बेंच में टीईटी से राहत मांगने गये तो जस्टिस AP शाही ने मामला वृहद् पीठ रेफर कर दिया ।
उस वक़्त जस्टिस हरकौली के यहाँ 72825 भर्ती की सुनवाई विशेष अपील में चल रही थी ।
जस्टिस शाही अम्बवानी और बघेल सर की फुल बेंच में अशोक खरे 72825 भर्ती का मामला भी ले गये ।
फुल बेंच ने तीन प्रश्न बनाया और जस्टिस भूषण के आदेश को रद्द कर दिया ।
जस्टिस AP शाही ने कहा कि जब गाइडलाइन 9बी कहती है कि टीईटी वेटेज जरुरी है तो नॉट टेट को कहाँ से अवसर मिलेगा ?
जस्टिस भूषण के फैसले पर जस्टिस शाही ने टिप्पणी किया कि उन्होंने पैरा एक देखा पैरा दो देखा जहाँ कि पैरा एक में बीटीसी के लिए टीईटी अनिवार्य पैरा दो में सीनियर बेसिक में टीईटी अनिवार्य पढ़ा और पैरा तीन में बीएड के लिए टीईटी का जिक्र न देखकर उनको टीईटी से मुक्त कर दिया ।
जबकि जिनको छूट देने हैं उनका जिक्र पैरा 4 में है, जहाँ बीएड का जिक्र नहीं है और पैरा 5 उनके लिए है जिसके लिए NCTE ने कोई नियम नहीं बनाया है अतः राज्य अपने नियम से कार्य करेगी ।
72825 भर्ती का मामला वृहद् पीठ से वापस आया और जस्टिस हरकौली ने मुकदमा छोड़ दिया ।
अंत में मामला जस्टिस श्री अशोक भूषण को मिल गया और उन्होंने फुल बेंच के आधार टीईटी वेटेज अनिवार्य बताया और सात प्रश्न बनाकर मात्र संशोधन 12 और 15 का विवाद पढ़कर पुराना विज्ञापन रूल पर बताकर बहाल कर दिया जबकि एकल बेंच ने उसे रूल पर नहीं बताया था और वह विज्ञापन रूल पर नहीं था जिसका डेमो भी हो चुका है और फिर भी पद नहीं भर रहा है, याची से लेकर 12091 तक के विवाद से लेकर तमाम रायते फैले हुये हैं ।
जस्टिस श्री अशोक भूषण ने
नियमावली के क्लॉज़ 14(3) पर हुये संशोधन 15 को संविधान के अनुच्छेद 14 के उलंघन में नष्ट कर दिया ।
सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी उसे जस्टिस श्री अशोक भूषण के आर्डर पर स्टे नहीं मिला ।
जिस संशोधन 15 को संशोधन 16 में क्लॉज़ 14(3) को सरकार 14(3)(A) के रूप में बनायीं थी उसी पर सीनियर बेसिक समेत एक लाख भर्ती कर दिया ।
जबकि उसी संशोधन 16 से बीएड के लिए जो उप क्लॉज़ बने थे उसपर भर्ती नहीं किया ।
चीफ जस्टिस श्री DB भोसले ने संशोधन 16 को संशोधन 15 का ज़ेरॉक्स बताकर रद्द कर दिया ।
चीफ जस्टिस श्री भोसले ने सभी विषयों पर खुलकर राय रखी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दिनांक 2 नवम्बर 2015 को CA 4347-4375/14 में चार प्रश्न बना है इसलिए सभी भर्ती अवैध करने के बाद भी CA 4347-4375/14 के अंतिम निर्णय तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश किया ।
CJ के 61 पेज के आदेश में संशोधन 16 को रद्द करने की मांग स्वीकार हुयी है ।
गाइडलाइन के 9बी को जिसमे भारांक की बात की गयी है उसको अल्ट्रावायरस करने की मांग ख़ारिज हुयी है ।
जिसका मामला डिस्पोज़ ऑफ़, पार्टीअली रिलीफ या ख़ारिज है वो रिलीफ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे,अब चारों प्रश्नों पर सबको अपना पक्ष रखना होगा ।
संशोधन 16 रद्द है तो उसके सभी निर्माण रद्द माने जाएंगे जबकि आर्डर में CJ ने सिर्फ नियमावली का क्लॉज़ 14(3)(A) रद्द किया है, मगर चार सगे भाई हैं तो पिता की मौत पर सभी बगैर बाप के होंगे ।
बाकी जो आपके मन में सवाल होंगे उसका जवाब आपको कमेंट के माध्यम से दूंगा ।
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