पहली बार ऑनलाइन भरे गए बीटीसी फार्म, परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने फार्म में होने वाली गलतियां दूर करने का निकाला रास्ता

इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददातानिजी बीटीसी कॉलेजों की मनमानी रोकने और अभ्यर्थियों की सहूलियत के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने पहली बार सेमेस्टर परीक्षा के लिए ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरवाए हैं। इसका
नतीजा है कि 18 अप्रैल से शुरू होने जा रही बीटीसी वर्ष 2015 व 2014 के विभिन्न सेमेस्टर की परीक्षा से पहले अफरातफरी का माहौल नहीं है।
ऑफलाइन व्यवस्था में परीक्षा से एक दिन पहले तक अभ्यर्थी फार्म जमा करने के लिए दबाव बनाते थे। इसके चलते परीक्षा करवाने में काफी दिक्कत होती थी क्योंकि पेपर, कॉपी, आई-कार्ड पहले ही भेज दिए जाते थे। इसके अलावा फार्म में काफी गलतियां भी रह जाती थी। फार्म पूरा नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं के परिणाम अपूर्ण श्रेणी में रह जाते थे।फार्म में संशोधन और रिजल्ट पूर्ण करने के लिए हर बार प्रदेशभर से सैकड़ों अभ्यर्थी आवेदन करते थे और इसके लिए घूसखोरी भी होती थी। इससे छुटकारा पाने के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह ने निजी बीटीसी कॉलेजों से 31 मार्च तक ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरवाए। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थाओं को दो-तीन दिन का अतिरिक्त अवसर दिया गया था।डुप्लीकेट फार्म भरकर फंसे कई अभ्यर्थी : ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरवाने से डुप्लीकेट फार्म भरने वाले कई अभ्यर्थी फंस गए। दो अभ्यर्थी ऐसे मिले जिन्होंने दो अलग-अलग जिलों के अलग-अलग कॉलेजों से परीक्षा फार्म भर दिया था। एक ही जिले के दो कॉलेजों से फार्म भरने वाले कई अभ्यर्थी भी मिले। सचिव सुत्ता सिंह ने बताया कि अभ्यर्थियों को बुलाकर पूछताछ की गई। अब कॉलेजों को मान्यता प्रत्याहरण की नोटिस देने जा रही है। जब बीटीसी कोर्स के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है तो आखिरकार इन कॉलेजों ने कैसे फार्म जमा कर दिया। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित करेंगे।
आंतरिक मूल्यांकन के नंबर भी लेंगे ऑनलाइन
इलाहाबाद। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने बीटीसी प्रशिक्षण के आंतरिक मूल्यांकन नंबर भी ऑनलाइन लेने का निर्णय लिया है। दरअसल अधिक नंबर देने के लिए निजी कॉलेज प्रशिक्षुओं से रुपये लेते हैं। नहीं देने पर पहले कम नंबर देकर भेज देते हैं और बाद में रुपये मिलने पर लिपिकीय त्रुटि का हवाला देते हुए दोबारा नंबर में संशोधन के लिए अनुरोध पत्र भेजते हैं। इसे रोकने के लिए ऑनलाइन नंबर लिए जाएंगे।

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