प्रवीण श्रीवास्तव जी की वॉल से, नमस्कार दोस्तों, पिछले कुछ दिनों का जो भी घटनाक्रम था उस पर थोड़ा प्रकाश डालना चाहूँगा। जैसा आप सभी को पता है
कि संयुक्त मोर्चा ने मीटिंग करके यह तय किया कि सभी टीम अपने अपने सीनियर्स को खड़ा करने के अतिरिक्त दो सीनियर संयुक्त रूप से खड़ा करेंगे जिसमें एक शिक्षामित्र पर और एक RTEएक्ट09 के साथ साथ याची लाभ पर।
एक एडवोकेट को हायर करने की जिम्मेदारी मयंक टीम के चेम्बर पर थी तो दूसरे की जिम्मेदारी हिमांशु टीम के चैंबर पर। हिमान्शु टीम के एडवोकेट ने सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव को 4लाख में बताया और उनकी ब्रीफिंग फीस 75हजार बताई। जिस पर सभी सहमत नही हुए उनकी फीस अन्य स्रोतों से पता की तो जानकारी हुई कि एडवोकेट प्रशांत शुक्ला जी उन्हें 1लाख 80हजार में करा देंगे। तब सभी की सहमति से उनको कर लिया गया। दूसरी तरफ मयंक टीम के चैंबर से एक सीनियर हीरेन पी रावल जी को किया गया। अभी तक जो भी टीम उन्हें ले जाती रही है उसने 2लाख 60हजार पेमेंट किया है हमने उसे प्रयास पूर्वक 2लाख 20हजार करवा लिया।
9तारिख को सभी दिल्ली एकजुट हुए तो कुछ लोगों ने हीरेन रावल जी के लिए कहा कि उनको 839 पर कुछ लोगों ने किया है तो वहां सच्चिदानंद चतुर्वेदी जी से फोन पर बात करके पुष्टि की कि उनको किसी के द्वारा नही किया गया है। फिर भी जिनके विवाद करना था करते रहे। अंत में अव्यवहारिक रूप से कह दिया गया आप आपने जो संयुक्त रूप से सीनियर एडवोकेट किया है उसे आप व्यतिगत कर लें और सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव के लिए संयुक्त में शामिल हो जाएं।
अगले दिन सोमवार 10तारिख को जब कोर्ट भी खुला और सब एकजुट हुए तो देखा कि केस एड्जर्न हो रहे है हीरेन रावल जी को सबकी सहमति से ड्राप करने का फैसला लिया। चूँकि हमने अपनी टीम से अपने सीनियर भी खड़े किये हुए थे तो इतनी फीस भी अब एकल टीम से दे पाना संभव नही होता। शाम को 3बजे सीनियर एडवोकेट रविंद्र श्रीवास्तव जी की ब्रीफिंग होनी थी। वहां मयंक तिवारी, दुर्गेश प्रताप, टी डी भाष्कर, अजय ठाकुर, अमृत सागर, मान बहादुर, रविंद्र दादरी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद सोनी, आदि कई साथी पहुँचे हुए थे।
वहां सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव सर के जूनियर एडवोकेट बालाजी ने बताया कि रविंद्र श्रीवास्तव जी शिक्षामित्रों की तरफ से 7दिसम्बर 2016 को खड़े हुए चुके है। ये वही तारीख है जिसमें हमने सुना था कि शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग चेलेंज की गयी है। यहाँ प्रश्न यह उठता है कि यदि कोई सीनियर आपके विरुद्ध आपकी याचिका पर खड़ा हो चूका है आप उसी एडवोकेट को 4लाख में अपनी तरफ से कैसे खड़ा कर रहे थे। इन्ही सब पर बात हो ही रही थी कि बात होने लगी याची लाभ पर जिस पर दुर्गेश की प्रशांत शुक्ला जी से बहस हुई वो 839को बता रहे थे कि ये 72825 में ही शामिल है और नए याचियों को शिक्षामित्रों के विरोध करने पर ही जगह मिलेगी 839के आधार पर नही। प्रशांत सर ने पूछा कि क्या 839 याची 72825 में शामिल है अथवा नही तब मयंक जी ने बीच में बोला कि 839 उसमें शामिल नही हो सकते है। वो अलग है और उनके आधार पर ही पहला ग्राउंड बनता है और शिक्षामित्रों के विरुद्ध उनके हटने पर।
मयंक जी की बात का समर्थन प्रशांत सर के साथ बैठे हुए एक ओर एडवोकेट ने किया। उन्होंने कहा कि बेशक हमारा टारगेट यही है कि अयोग्य लोग बाहर जाएँ और योग्य अंदर आएं लेकिन आप कोर्ट से डिरेक्ल्टी ये नही बोल सकते कि इनको निकालो और हमें लो। आपको कोर्ट को कन्वेंस करना है कि आप योग्य हो और आपसे कम नंबर वाले भी कोर्ट के आदेश से लाभ प्राप्त किये हुए है और दूसरी तरफ ऐसे भी लोग है जो हाइकोर्ट से बाहर किये हुए है और सीट घेरे हुए है।
जब सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव जी की ब्रीफ स्टार्ट हुई तो वही प्रॉब्लम सामने आई कि वो पहले शिक्षामित्रों की तरफ से खड़े हो चुके है तो मामला कांफिलिक्त करेगा। इस पर सीनियर सर ने मना कर दिया और हमने भी रिस्क नही लिया। वहां से बाहर निकले तो वहां मौजूद सभी की सहमति पर मयंक जी ने अपने एडवोकेट मेहुल एम् गुप्ता जी से कॉल पर बात की और हीरेन रावल सर को हायर करने के लिए बोला और वहां से वापस सभी कोर्ट आ गए।
यहाँ आकर देखा तो फिर बबाल मचा हुआ था फिर वही मनमानी इसके साथ हम नही जायेंगे उसके साथ हम नही जायेंगे ऐसा वैसा, अब इनको मत करो, इनको कर लो। इस पर मयंक जी ने सामूहिक रूप से सभी के लिए कहा कि, "यहाँ कोई अपने पैसे से केस नही लड़ रहा है ना किसी के बाप या घर का पैसा है। याचियों से लेते समय इतना कोई नही सोचता है और जब खर्च करना हो तो सभी लास्ट मूवमेंट तक ड्रामा बनाकर रखते है।" इस पर दुर्गेश बोल पड़े घर बाप पर मत जाओ, मयंक जी ने कहा मैं तुमसे नही बोल रहा हूँ मैंने सबको कहा है सिर्फ तुम्हे ही बुरा क्यों लग रहा है..???? बस फिर क्या था दिन में ही शराब के नशे में चूर हिमान्शु और अमित सिंह गोंडा गाली गलौज पर उतर आये जिसको आप सभी ने वीडियो में देखा होगा। वहां मौजूद सभी ने जब इनको कसकर समझा दिया तो तुरन्त ही नशा काफूर हो गया।
दोस्तों, इसके बाद अगले दिन सुबह हीरेन रावल सर की 8:30बजे से ब्रीफ स्टार्ट हुई। स्टार्टिंग से उनको सारी बातें हमारे सर मेहुल एम् गुप्ता जी और मयंक जी द्वारा समझाई गयीं। वहां ब्रीफ में उपस्तिथि आशीष सिंह, रवि सक्सेना, रविंद्र दादरी, नवीन श्रीवास्तव, रवि वर्मा, शिवेश मिश्रा, आदि सभी लोग संतुष्ट दिखे।
इस सुनवाई पर हम पूरी तरह से तैयार थे। पूरा घटनाक्रम जो भी रहा हो लेकिन इस बार की अच्छी तैयारी हेतु मयंक तिवारी जी, रविंद्र दादरी जी, विनोद सोनी जी, आशीष सिंह जी, अमित कपिल जी, आदि सभी के सहयोग का बहुत बहुत धन्यबाद।
दोस्तों, 11को सुनवाई आगे बड़ी तो कोर्ट रूम में उपस्तिथि सभी एडवोकेट ने विरोध किया जिस पर हमें अगली सुनवाई की तारीख 26 अप्रैल मिल गयी है। हमने सोचा इस बीच यदि हम एकजुट होकर लखनऊ में किसी एक दिन योगी जी की जय जयकार करते हुए यदि हम संख्याबल के साथ अपनी बात रखें तो शायद प्रशासन (अधिकारियों) पर हम शासन (सरकार) के माध्यम से दबाब बनवा सकें किन्तु ये दुर्भाग्य से ये पड़े लिखों का संगठन सब के सब एक्स्ट्रा होशियार है, ऐसे में आधी-अधूरी संख्या का कोई मतलब नही रह जाता है। अतः जैसे प्रयास कर रहे थे वैसे ही आगे किया जायेगा।
आप का
प्रवीण श्रीवास्तव
(मयंक टीम)
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कि संयुक्त मोर्चा ने मीटिंग करके यह तय किया कि सभी टीम अपने अपने सीनियर्स को खड़ा करने के अतिरिक्त दो सीनियर संयुक्त रूप से खड़ा करेंगे जिसमें एक शिक्षामित्र पर और एक RTEएक्ट09 के साथ साथ याची लाभ पर।
एक एडवोकेट को हायर करने की जिम्मेदारी मयंक टीम के चेम्बर पर थी तो दूसरे की जिम्मेदारी हिमांशु टीम के चैंबर पर। हिमान्शु टीम के एडवोकेट ने सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव को 4लाख में बताया और उनकी ब्रीफिंग फीस 75हजार बताई। जिस पर सभी सहमत नही हुए उनकी फीस अन्य स्रोतों से पता की तो जानकारी हुई कि एडवोकेट प्रशांत शुक्ला जी उन्हें 1लाख 80हजार में करा देंगे। तब सभी की सहमति से उनको कर लिया गया। दूसरी तरफ मयंक टीम के चैंबर से एक सीनियर हीरेन पी रावल जी को किया गया। अभी तक जो भी टीम उन्हें ले जाती रही है उसने 2लाख 60हजार पेमेंट किया है हमने उसे प्रयास पूर्वक 2लाख 20हजार करवा लिया।
9तारिख को सभी दिल्ली एकजुट हुए तो कुछ लोगों ने हीरेन रावल जी के लिए कहा कि उनको 839 पर कुछ लोगों ने किया है तो वहां सच्चिदानंद चतुर्वेदी जी से फोन पर बात करके पुष्टि की कि उनको किसी के द्वारा नही किया गया है। फिर भी जिनके विवाद करना था करते रहे। अंत में अव्यवहारिक रूप से कह दिया गया आप आपने जो संयुक्त रूप से सीनियर एडवोकेट किया है उसे आप व्यतिगत कर लें और सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव के लिए संयुक्त में शामिल हो जाएं।
अगले दिन सोमवार 10तारिख को जब कोर्ट भी खुला और सब एकजुट हुए तो देखा कि केस एड्जर्न हो रहे है हीरेन रावल जी को सबकी सहमति से ड्राप करने का फैसला लिया। चूँकि हमने अपनी टीम से अपने सीनियर भी खड़े किये हुए थे तो इतनी फीस भी अब एकल टीम से दे पाना संभव नही होता। शाम को 3बजे सीनियर एडवोकेट रविंद्र श्रीवास्तव जी की ब्रीफिंग होनी थी। वहां मयंक तिवारी, दुर्गेश प्रताप, टी डी भाष्कर, अजय ठाकुर, अमृत सागर, मान बहादुर, रविंद्र दादरी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद सोनी, आदि कई साथी पहुँचे हुए थे।
वहां सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव सर के जूनियर एडवोकेट बालाजी ने बताया कि रविंद्र श्रीवास्तव जी शिक्षामित्रों की तरफ से 7दिसम्बर 2016 को खड़े हुए चुके है। ये वही तारीख है जिसमें हमने सुना था कि शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग चेलेंज की गयी है। यहाँ प्रश्न यह उठता है कि यदि कोई सीनियर आपके विरुद्ध आपकी याचिका पर खड़ा हो चूका है आप उसी एडवोकेट को 4लाख में अपनी तरफ से कैसे खड़ा कर रहे थे। इन्ही सब पर बात हो ही रही थी कि बात होने लगी याची लाभ पर जिस पर दुर्गेश की प्रशांत शुक्ला जी से बहस हुई वो 839को बता रहे थे कि ये 72825 में ही शामिल है और नए याचियों को शिक्षामित्रों के विरोध करने पर ही जगह मिलेगी 839के आधार पर नही। प्रशांत सर ने पूछा कि क्या 839 याची 72825 में शामिल है अथवा नही तब मयंक जी ने बीच में बोला कि 839 उसमें शामिल नही हो सकते है। वो अलग है और उनके आधार पर ही पहला ग्राउंड बनता है और शिक्षामित्रों के विरुद्ध उनके हटने पर।
मयंक जी की बात का समर्थन प्रशांत सर के साथ बैठे हुए एक ओर एडवोकेट ने किया। उन्होंने कहा कि बेशक हमारा टारगेट यही है कि अयोग्य लोग बाहर जाएँ और योग्य अंदर आएं लेकिन आप कोर्ट से डिरेक्ल्टी ये नही बोल सकते कि इनको निकालो और हमें लो। आपको कोर्ट को कन्वेंस करना है कि आप योग्य हो और आपसे कम नंबर वाले भी कोर्ट के आदेश से लाभ प्राप्त किये हुए है और दूसरी तरफ ऐसे भी लोग है जो हाइकोर्ट से बाहर किये हुए है और सीट घेरे हुए है।
जब सीनियर रविंद्र श्रीवास्तव जी की ब्रीफ स्टार्ट हुई तो वही प्रॉब्लम सामने आई कि वो पहले शिक्षामित्रों की तरफ से खड़े हो चुके है तो मामला कांफिलिक्त करेगा। इस पर सीनियर सर ने मना कर दिया और हमने भी रिस्क नही लिया। वहां से बाहर निकले तो वहां मौजूद सभी की सहमति पर मयंक जी ने अपने एडवोकेट मेहुल एम् गुप्ता जी से कॉल पर बात की और हीरेन रावल सर को हायर करने के लिए बोला और वहां से वापस सभी कोर्ट आ गए।
यहाँ आकर देखा तो फिर बबाल मचा हुआ था फिर वही मनमानी इसके साथ हम नही जायेंगे उसके साथ हम नही जायेंगे ऐसा वैसा, अब इनको मत करो, इनको कर लो। इस पर मयंक जी ने सामूहिक रूप से सभी के लिए कहा कि, "यहाँ कोई अपने पैसे से केस नही लड़ रहा है ना किसी के बाप या घर का पैसा है। याचियों से लेते समय इतना कोई नही सोचता है और जब खर्च करना हो तो सभी लास्ट मूवमेंट तक ड्रामा बनाकर रखते है।" इस पर दुर्गेश बोल पड़े घर बाप पर मत जाओ, मयंक जी ने कहा मैं तुमसे नही बोल रहा हूँ मैंने सबको कहा है सिर्फ तुम्हे ही बुरा क्यों लग रहा है..???? बस फिर क्या था दिन में ही शराब के नशे में चूर हिमान्शु और अमित सिंह गोंडा गाली गलौज पर उतर आये जिसको आप सभी ने वीडियो में देखा होगा। वहां मौजूद सभी ने जब इनको कसकर समझा दिया तो तुरन्त ही नशा काफूर हो गया।
दोस्तों, इसके बाद अगले दिन सुबह हीरेन रावल सर की 8:30बजे से ब्रीफ स्टार्ट हुई। स्टार्टिंग से उनको सारी बातें हमारे सर मेहुल एम् गुप्ता जी और मयंक जी द्वारा समझाई गयीं। वहां ब्रीफ में उपस्तिथि आशीष सिंह, रवि सक्सेना, रविंद्र दादरी, नवीन श्रीवास्तव, रवि वर्मा, शिवेश मिश्रा, आदि सभी लोग संतुष्ट दिखे।
इस सुनवाई पर हम पूरी तरह से तैयार थे। पूरा घटनाक्रम जो भी रहा हो लेकिन इस बार की अच्छी तैयारी हेतु मयंक तिवारी जी, रविंद्र दादरी जी, विनोद सोनी जी, आशीष सिंह जी, अमित कपिल जी, आदि सभी के सहयोग का बहुत बहुत धन्यबाद।
दोस्तों, 11को सुनवाई आगे बड़ी तो कोर्ट रूम में उपस्तिथि सभी एडवोकेट ने विरोध किया जिस पर हमें अगली सुनवाई की तारीख 26 अप्रैल मिल गयी है। हमने सोचा इस बीच यदि हम एकजुट होकर लखनऊ में किसी एक दिन योगी जी की जय जयकार करते हुए यदि हम संख्याबल के साथ अपनी बात रखें तो शायद प्रशासन (अधिकारियों) पर हम शासन (सरकार) के माध्यम से दबाब बनवा सकें किन्तु ये दुर्भाग्य से ये पड़े लिखों का संगठन सब के सब एक्स्ट्रा होशियार है, ऐसे में आधी-अधूरी संख्या का कोई मतलब नही रह जाता है। अतः जैसे प्रयास कर रहे थे वैसे ही आगे किया जायेगा।
आप का
प्रवीण श्रीवास्तव
(मयंक टीम)
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