शिक्षामित्र केस : शिक्षामित्र पैरवीकार इसे डिटैग क्यों करवाना चाहते हैं, इसके पीछे का मनोविज्ञान क्या है ?

*अब टैग डिटैग का खेल नहीं चलने वाला...*
*_”तेरा मेरा शीशे का घर, मैं भी सोचूं तू भी सोच। फिर क्‍यों तेरे हाथ मैं पत्‍थर मैं भी सोचूं तू भी सोच।”_*
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के रबी बहार का विश्लेषण 26 अप्रैल को हियरिंग के लिए कुल 3 याचिकाकर्ता हैं।
बीएड, बीटीसी और शिक्षा मित्र।
इन तीनो वादकारो में सर्व प्रथम बीएड के बेस ऑफ़ सिलेक्शन का मामला 72825(भर्ती) मेरिट पर पहुँचने के बाद नयी बेंच के समक्ष पेश हुआ है। *इसकी मेरिट के कुल 4 बिंदु निर्धारित हैं और राज्य की ओर से क्लोजर रिपोर्ट और हलफनामा दाखिल हो चुके हैं। मात्र फाइनल बहस होना शेष है।*
इसी के साथ बीटीसी की अकादमिक भर्तियों के मुद्दे भी कमोबेश इसी केस पर निर्भर और आधारित हैं।
कुल मिला कर अधिकतम 3 दिन की
सुनवाई में इसपर निर्णय आ जायेगा।
*अब बात शिक्षामित्र समायोजन केस की:- इस केस पर अभी तक कोई बहस नहीं हुई है, न ही इस की मेरिट तै हुई है, ऐसे में कोर्ट प्रोसीजर के अनुसार सर्व प्रथम इस को ऑन मेरिट लाया जाएगा उसके बाद ही इस पर फाइनल बहस होगी।*
आइये अब समझते हैं कि शिक्षामित्र पैरवीकार इसे डिटैग क्यों करवाना चाहते हैं, इसके पीछे का मनोविज्ञान क्या है।
दरअसल शिक्षामित्र पैरवीकार केस की सुनवाई टालना चाहते हैं ताकि कुछ और समय मिल जाये। सच तो ये है कि शिक्षक भर्ती के मुकद्दमे से बीएड भर्ती पर मिशन की याचिका की कॉपी स्टेट को सर्व हो जाने के बाद उसपर राज्य सरकार द्वारा बीएड भर्ती पर फुल स्टॉप, पूर्ण विराम लगा दिया गया है। अब बीएड याची नामक प्रतिवादी खत्म होने को है जोकि 11 अप्रैल की सुनवाई में अगर शिक्षामित्रों के वकील डिटैग की मांग न करते तो खत्म हो जाता। अब जो हुआ सो हुआ अब एक बार फिर कोर्ट 26 अप्रैल को 4347/2014 की मेरिट पर बहस कराएगा अगर शिक्षा मित्र सुनवाई से न भागे तो..... बाकी फिर
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप, यूपी।
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