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फर्जी अनुभव, बिना पद बांटीं नौकरियां, यूपीएसआइडीसी में हुई भर्तियों में जबरदस्त अनियमितता

जागरण संवाददाता, कानपुर बसपा शासन में वर्ष 2007 से 2009 के बीच यूपीएसआइडीसी में हुई भर्तियों में जबरदस्त अनियमितता हुई। प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास को भेजी जांच रिपोर्ट में हथकरघा निगम के आयुक्त एवं निदेशक ने कई राजफाश किए हैं।
इस रिपोर्ट के आधार पर 34 से अधिक अफसरों व कर्मचारियों की बर्खास्तगी तय है। वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को यूपीएसआइडीसी का चेयरमैन बनाया था। रिक्त पदों पर भर्ती के लिए कुशवाहा ने अपने चहेते अफसरों को स्थापना अनुभाग में तैनाती दी। इसके बाद बैकलॉग के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया, फिर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया।
सहायक प्रबंधक, उप प्रबंधक और अभियंता समेत कुल 108 पदों पर भर्तियां की गईं। इनमें 18 पद ऐसे थे जो सृजित ही नहीं थे। चूंकि चहेतों की भर्तियां करनी थी इसलिए मनमुताबिक तत्कालीन प्रबंध निदेशक एसके वर्मा, संयुक्त प्रबंध निदेशक तपेंद्र प्रसाद ने नियुक्ति के लिए गठित कमेटियों में पसंदीदा अफसरों को तैनात किया। हथकरघा निदेशालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में सहायक प्रबंधक, उप प्रबंधक, जेई आदि के आठ पदों पर उन लोगों को भर्ती किया गया जिनके अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी थे।
गलत ढंग से दो दिन साक्षात्कार : एक पद के लिए एक ही दिन साक्षात्कार का नियम है, लेकिन उस समय कुछ ऐसे पद थे जिनके लिए दो दिन साक्षात्कार हुआ। क्योंकि जिन्हें नौकरी दी जानी थी वे पहले दिन अनुपस्थित थे। 1बोर्ड से मंजूर नहीं : भर्ती प्रक्रिया की नियमावली को यूपीएसआइडीसी बोर्ड से मंजूर कराया जाना चाहिए था, लेकिन नहीं कराया गया। तत्कालीन एमडी ने पूर्व की भर्ती नियमावली में अपने तरीके से फेरबदल किया।

इनके अभिलेखों में गड़बड़ी : उप प्रबंधक प्रमोद कुमार, जेई सुरेंद्र कुमार, स्टेनो सुभाषचंद्र, सहायक अभियंता नागेंद्र सिंह, सहायक प्रबंधक आरती कटियार, शर्मिला पटेल के अभिलेख गड़बड़ मिले हैं। शर्मिला पटेल पूर्व में बर्खास्त की गई थीं, लेकिन उन्हें कोर्ट से स्टे मिला।

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