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परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई समायोजन में गंवाई

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों का नया शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन माह बीत चुके हैं, अब तक पढ़ाई र्ढे पर नहीं आ सकी है। इधर शिक्षामित्रों के आंदोलन ने रही-सही कसर पूरी कर दी। आगे जिले के अंदर व अंतर जिला तबादलों से भी शैक्षिक माहौल खराब होने के आसार हैं।
परिषदीय स्कूलों में इस वर्ष भी पहली अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू हुआ। अफसरों ने शैक्षिक कैलेंडर जारी किया और पढ़ाई कराने के लिए तमाम निर्देश जारी हुए। खंड शिक्षा अधिकारी को इसके लिए जवाबदेह बनाया गया। 1 अप्रैल व मई माह तक पुरानी किताबों व ड्रेस के सहारे किसी तरह व्यवस्था चलती रही, लेकिन जून और जुलाई माह में खंड शिक्षा अधिकारियों का तबादला होने का असर स्कूलों की पढ़ाई पर पड़ा। इसी तरह अफसर शिक्षकों का डाटाबेस तैयार करने में जुटे रहे। जुलाई माह में ही शासन ने परिषदीय स्कूलों में 65 हजार अतिरिक्त शिक्षक होने की घोषणा करके उनके समायोजन की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसमें लगभग हर शिक्षक अपना समायोजन रुकवाने या फिर मनचाही तैनाती पाने की जुगत में लगा रहा। यह जरूर है कि शासन के निर्देश पर किताब व ड्रेस वितरण की रस्म भी अदा होती रही। शिक्षकों का समायोजन पूरा होने के पहले ही शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद कर दिया। इससे अधिकांश स्कूलों में एक सप्ताह से अधिक समय तक तालाबंदी चली। सरकार की सख्ती पर शिक्षामित्रों का आंदोलन फिलहाल ठंडा है, लेकिन पढ़ाई शैक्षिक कैलेंडर के मुताबिक शुरू नहीं हो सकी है। यही नहीं समायोजन पूरा न होने से सात हजार से अधिक एकल शिक्षक वाले स्कूलों को दूसरा शिक्षक भी नहीं मिल सका है। स्कूल बंद न होने के कड़े निर्देश जरूर हैं, लेकिन एक शिक्षक पांच कक्षाओं को कैसे पढ़ाए इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। हाल में ही परिषद के शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर माध्यमिक स्कूलों में एलटी ग्रेड पर भेजने की तैयारी हुई है। इससे यह भी संकेत मिल रहा है कि आगे शिक्षकों का समायोजन भी पूरा होगा और जिले के अंदर व अंतर जिला तबादले भी हो सकते हैं।

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