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शिक्षकों का वेतन कम क्यों: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली विशेष संवाददाता नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा गुरुवार को पेश रिपार्ट पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि जो शिक्षक छात्रों का भविष्य निर्धारित करते हैं, उनका वेतन चतुर्थ श्रेणी के कर्मी के वेतन से कम क्यों है।
न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और यू.यू. ललित की पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 27 मार्च तय करते हुए कहा है कि बिहार सरकार केंद्र से बात करे और देखे कि शिक्षकों का बढ़ा हुआ वेतन कैसे दिया जाएगा। वेतन यदि बढ़ाकर दिया गया तो 52 हजार करोड़ एरियर के बनेंगे। सरकार नियोजित शिक्षकों को 20 फीसदी की दर से वेतन वृद्धि देने के पक्ष में है। इस पर करीब 2088 करोड़ का अतिरिक्त खर्च होगा। अधिवक्ता मनीश कुमार के जरिए दाखिल रिपोर्ट में बिहार सरकार ने साफ किया है कि सरकार नियोजित शिक्षकों के हितों के लिए प्रयासरत है। लेकिन समान काम के बदले समान सुविधा देने में उसे बड़ी रकम की व्यवस्था करनी होगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नियोजित शिक्षकों के वेतन में पे-मेट्रिक्स लागू किया जाएगा जिसके बाद शिक्षकों के वेतन में बीस फीसदी की वृद्धि होगी। लेकिन इसके लिए शिक्षकों को विशेष परीक्षा पास करनी होगी। यदि शिक्षक इस परीक्षा को पास नहीं कर सकते हैं तो वे लाभ से वंचित किए जाएंगे।

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