लखनऊ। योगी सरकार को एक बार फिर हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने कड़ी फटकार लगाई। मामला था अखिलेश सरकार के दौरान निकले शिक्षक भर्ती विज्ञापन का। विज्ञापन पर भर्ती न कर प्रदेश सरकार आवेदकों का 6 साल बाद शुल्क वापस कर रही।
इस पर रोक लगाए जाने हेतु याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक अग्निहोत्री ने इस पर नाराजगी जताई। सरकार को विज्ञापन पर भर्ती न किये जाने पर कड़ी फटकार भी लगाई। तीन हफ्ते भर में बिंदुवार सरकार से जवाब दाखिल करने का आदेश किया।
याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट उपेन्द्र मिश्रा ने जोरदार बहस की। कोर्ट को बतलाया गया कि 7 दिसम्बर2012 को तत्का० अखिलेश सरकार में प्राईमरी शिक्षको की भर्ती का विज्ञापन बेशिक शिक्षा परिषद ने निकाला। जिस पर एक दिन की काउंसलिग भी हुई। विज्ञापन का 290 करोड़ रुपए 6 साल से सरकार के पास जमा है। मामला कोर्ट मे चला गया।25 जुलाई2017 को सुप्रीम कोर्ट का आर्डर आया। कोर्ट ने राज्य सरकार के15वें संशोधन व विज्ञापन दोनो को वैध माना है। विज्ञापन पर भर्ती करने की लिबर्टी भी दे रखी है। लेकिन सरकार अब शुल्क लौटा रही। सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि विज्ञापन पर इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका लम्बित है किसी प्रकार की कोई राहत नही दी गई है। इस पर लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि आप हमें ये न बताए कहां क्या हो रहा है। इतने साल बाद अभ्यर्थी कहाँ जाए ? ओवरऐज हो चुके लोगो का क्या होगा? क्या विज्ञापन को निरस्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आर्डर में विज्ञापन को अवैध या भर्ती करने से आपको रोका है। लाखो पद खाली है, फिर भी भर्ती क्यों नही की जा रही। कोर्ट ने सवालो की बौछार लगा दी। जिसका उत्तर सरकारी वकील कोर्ट को नही दे सके। इस पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई। तीन हफ्ते में बिंदुवार जवाब दाखिल करने का सरकार को आदेश दिया।
सत्यमेव जयते!
विनय कुमार गुप्ता, चित्रकूट
न्यायमूर्ति साहब ने लगाई सरकारी वकील को लताड़ 3हफ्ते में जवाब दाखिल करें, विद्वान अधिवक्ता श्री कमलेश सिंह (50से अधिक कानूनी पुस्तकों के लेखक)अजय प्रताप सिंह,सहित तीन अधिवक्ता गणों के पैनल ने रखी बात सरकारी वकील ने इलाहाबाद में खारिज की बात की तो जमकर बरसे न्यायमूर्ति बोले इनका जवाब दाखिल करें।भगवान चाहेगा विजय होगी।माननीय कमलेश सर की फोटो नहीं मिल सकी क्योंकि वो अन्य केश में व्यस्त हो गये। इस केश के सूत्रधार माननीय अजय प्रताप जी के साथ जिन्होंने मेहनत कर बहुत अच्छे सवाल किये।
सुनील यादव
इस पर रोक लगाए जाने हेतु याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक अग्निहोत्री ने इस पर नाराजगी जताई। सरकार को विज्ञापन पर भर्ती न किये जाने पर कड़ी फटकार भी लगाई। तीन हफ्ते भर में बिंदुवार सरकार से जवाब दाखिल करने का आदेश किया।
याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट उपेन्द्र मिश्रा ने जोरदार बहस की। कोर्ट को बतलाया गया कि 7 दिसम्बर2012 को तत्का० अखिलेश सरकार में प्राईमरी शिक्षको की भर्ती का विज्ञापन बेशिक शिक्षा परिषद ने निकाला। जिस पर एक दिन की काउंसलिग भी हुई। विज्ञापन का 290 करोड़ रुपए 6 साल से सरकार के पास जमा है। मामला कोर्ट मे चला गया।25 जुलाई2017 को सुप्रीम कोर्ट का आर्डर आया। कोर्ट ने राज्य सरकार के15वें संशोधन व विज्ञापन दोनो को वैध माना है। विज्ञापन पर भर्ती करने की लिबर्टी भी दे रखी है। लेकिन सरकार अब शुल्क लौटा रही। सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि विज्ञापन पर इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका लम्बित है किसी प्रकार की कोई राहत नही दी गई है। इस पर लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि आप हमें ये न बताए कहां क्या हो रहा है। इतने साल बाद अभ्यर्थी कहाँ जाए ? ओवरऐज हो चुके लोगो का क्या होगा? क्या विज्ञापन को निरस्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आर्डर में विज्ञापन को अवैध या भर्ती करने से आपको रोका है। लाखो पद खाली है, फिर भी भर्ती क्यों नही की जा रही। कोर्ट ने सवालो की बौछार लगा दी। जिसका उत्तर सरकारी वकील कोर्ट को नही दे सके। इस पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई। तीन हफ्ते में बिंदुवार जवाब दाखिल करने का सरकार को आदेश दिया।
सत्यमेव जयते!
विनय कुमार गुप्ता, चित्रकूट
न्यायमूर्ति साहब ने लगाई सरकारी वकील को लताड़ 3हफ्ते में जवाब दाखिल करें, विद्वान अधिवक्ता श्री कमलेश सिंह (50से अधिक कानूनी पुस्तकों के लेखक)अजय प्रताप सिंह,सहित तीन अधिवक्ता गणों के पैनल ने रखी बात सरकारी वकील ने इलाहाबाद में खारिज की बात की तो जमकर बरसे न्यायमूर्ति बोले इनका जवाब दाखिल करें।भगवान चाहेगा विजय होगी।माननीय कमलेश सर की फोटो नहीं मिल सकी क्योंकि वो अन्य केश में व्यस्त हो गये। इस केश के सूत्रधार माननीय अजय प्रताप जी के साथ जिन्होंने मेहनत कर बहुत अच्छे सवाल किये।
सुनील यादव
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