_*जिला आवंटन - आगे क्या?*1) 68500 भर्ती में 41556 लोगो ने क्वालीफाई किया। इसलिए डिपार्टमेंट ने सोचा कि क्यों न बाकि बची हुई vacancies को बैकलॉग में ले जाने के बजाए अबकी बार 68500 से अधिक बड़ी भर्ती क्यों न निकाली जाए जिससे बीएड वाले भी हमारा सिर खाना बन्द कर देंगे और सरकार के सामने हमारा कद भी ऊँचा हो जायेगा।
2) इसलिए उन्होंने 09.01.2018 को 75 जिलों में 68500 कुल पद रख कर रिक्तियों की लिस्ट जारी की थी लेकिन 19.08.2018 को घटाकर उन्हें 41556 कर दिया। साथ ही कुछ ऐसे जनपदों में जहां ट्रान्सफर कोई नहीं लेना चाहता वहां पदों को बढ़ा दिया।
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3) 41556 में से 38% लोग जनरल कैटेगरी के हैं और 62% लोग आरक्षित कैटेगरी के। विभाग ने सोचा कि 50% सीटें अनारक्षित होती है इनमे इन 38% जनरल का हो ही जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और 5696 जनरल कैटेगरी के लोग बाहर हो गए।
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4) यानि जनरल कैंडिडेट 2 लिस्ट में बंट गए पहली में 10,076 जनरल कैंडिडेट्स हैं और दूसरी में 5,696 जनरल कैंडिडेट्स है। हमें इन सभी 15,772 जनरल कैंडिडेट्स की चिंता है हमारे लिए दोनों लिस्ट के जनरल हमारे सगे और अपने हैं। ऐसा नहीं है कि ओबीसी एससी हमारे अपने नहीं है लेकिन उनको 77% और 72% सीटों पर अवसर मिलता है जबकि जनरल को केवल 50% पर इसलिए नुकसान हर भर्ती में जनरल को होता है भले ही उसकी मेरिट ओबीसी एससी से अधिक क्यों न हो और आज जनरल के हित की बात करने वाला न कोई राजनेता है, न अधिकारी, न पत्रकार और न ही कोई बुद्धिजीवी। ओबीसी एससी के हितों की बात करने वाले जातिवादी नहीं कहलाये जाते लेकिन जनरल के हित की बात करने वाले जातिवादी, मनुवादी, ब्राह्मणवादी, विदेशी सब घोषित कर दिए जाते हैं।
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5) विभाग ने कई विज्ञप्ति, सर्कुलर और GO में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती शब्द का प्रयोग किया है और कई में 41556 सहायक अध्यापक भर्ती का। पुरानी लिस्ट में जिलेवार पदों का टोटल करें तो कुल 68500 पद थे और बाद की लिस्ट में जिलेवार कुल 41556 पद थे। हालाँकि विज्ञप्ति में लिखा गया की पदों की संख्या घट बढ़ सकती है लेकिन बाद के कुछ लोग जो कोर्ट के माध्यम से आये + 5696 पहली लिस्ट से बचे हुए कुल 6127 लोगो को किस जिले में कैसे भेजा गया इसका कोई ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया जो अपने आप में बहुत बड़ी कमी है।
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6) डिस्ट्रिक्ट एलोकेशन पालिसी भी बनाई नहीं गयी जो अपने आप में ही बहुत बड़ी अनियमितता है। कोर्ट में भी काउंटर में NIC पर ठीकरा फोड़ा गया है जब आपने कोई पालिसी और फार्मूला NIC को दिया ही नहीं तो उन्होंने अपने अनुसार अलोट कर दिया। NIC भी बुलाये जाने पर कोर्ट में पल्ला झाड़ लेगी। कुल मिलाकर डिस्ट्रिक्ट एलॉटमेंट नहीं टिकेगा। अब बात आती है इसके प्रभाव की।
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7) इसमें कोर्ट के द्वारा दोनों चयन सूची रद्द की जा सकती है और उसके बाद डिस्ट्रिक्ट अलॉटमेंट करने को कहा जा सकता है। चयन सूची रद्द होने का मतलब है नियुक्ति रद्द। इसमें भी ओबीसी एससी को लेकर एक पेंच फसेंगा पर पहले जनरल की बात कर लेते हैं।
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8) जितना काम किया है उसका वेतन तो दिया ही जायेगा इसलिए सैलरी की तो चिंता करना मूर्खता है यहां संकट दूसरा है।
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9) CAP यानि कैडर एलोकेशन पालिसी न होने के कारण ओबीसी एससी को भी अनारक्षित पदों पर चुना गया। इसी कारण 5696 जनरल का चयन 41556 की अनारक्षित आधी सीटो पर नहीं हो पाया।
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10) विशेष आरक्षण हॉरिजॉन्टल होता है इसलिए इनके पदों को रोक कर नहीं रखा जाता है लेकिन पुरानी भर्तियों में BSA के स्टेनो इसको भी रोक कर रखते थे।
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11) 41556 में रफलि 20,778 पद अनारक्षित थे जिसमें 10,076 जनरल जगह बनाने में सफल रहे यानि जनरल के कहे जाने वाले अनारक्षित पदों पर लगभग 48.5% पर जनरल सेलेक्ट हुए और 51.5% पर ओबीसी एससी। 5,696 की रैंक 20,778 से ऊपर रही इसलिए बाहर हो गए।
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12) 68500 में रफलि 34,225 पद अनारक्षित होंगे जिसमें से 20,778 तो फर्स्ट में ले ही लिए गए हैं बाकि बचे 34,225 - 20,778 = 13,447
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13) अब इन 13,447 पदों पर 5,696 जनरल आ पाएंगे या नहीं ये कोई नहीं बता सकता। फर्स्ट में 48.5% पर जनरल सेलेक्ट हुए इस हिसाब से बचे हुए 13,447 पदों पर ये भी हो जाने चाहिए लेकिन ऐसा होगा ही होगा कोई नहीं जानता। जो जनरल टॉप 34,225 रैंक में नहीं आ पाया वो बाहर हो जायेगा।
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14) इसलिए यदि कोर्ट में चयन सूची रद्द करने का आदेश होता है तो उससे नुकसान उन जनरल का होगा जो टॉप 34,225 में नहीं है। साथ ही उनका भी जो घर में जॉब कर रहे हैं इसलिए ही पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने कहा है।
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15) अब हर पक्ष से याची प्रोग्राम जोरो पर है फर्स्ट लिस्ट वाले की किसी की नौकरी नहीं जायेगी लेकिन सेकण्ड वालों में से जा सकती है यही आरक्षण रोस्टर जैसी वाहियात व्यवस्था का अभिशाप है आप ओबीसी एससी सीट पर सेलेक्ट होने वाले टॉपर से अधिक अंक लाने के बाद भी बाहर हो जाते हैं चाहे वो आरक्षित एक सरकारी नौकर का या किसी जमीदार का बेटा या बेटी ही क्यों न हो और आप एक मजदूर के बेटे या बेटी।
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16) इसलिए कोर्ट के अंदर पक्ष किस तरह से रखा जाता है यह बहुत बड़ा रोल प्ले करेगा। फर्स्ट लिस्ट वाले अपनी सैलरी के चक्कर में ट्रान्सफर का फार्मूला दे रहे हैं कि चयन सूची रद्द करने के बजाए नया जिला अलॉट करके ट्रान्सफर कर दिया जाए हालाँकि हम जज होते तो इस फॉर्मूले को ठुकरा देते और वैसे भी यह सीबीआई को मूल्यांकन के इतर एक और मुद्दा दे देगा अनियमितता दिखाने का और इससे जब तक सुप्रीम कोर्ट से फैसला नहीं हो जाता तब तक नौकरी दहशत में की जाती कि कब क्या हो जाए।
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17) इसलिए हमारे अनुसार यह फॉर्मूला दिखने में अच्छा है लेकिन इससे जिस समस्या के बीज बो दिए जायेंगे वो बाद में आप ही को काटने होंगे।
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18) सही एप्रोच यह है की विभाग अपनी गलती मानकर कोर्ट में कह दे कि पुरानी सूची रद्द करके हम दोबारा जिला अलॉट करने जा रहे हैं। कोर्ट में जो प्रक्रिया हुई है उसका बचाव करना मूर्खता है। सबको पता है गलत हुआ है सही रास्ता है सेटलमेंट का जिससे बिना दहशत और भय के आराम से जॉब की जा सके।
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19) आपके पास 10 दिन है दस दिनों के अंदर विभाग से Cadre Allocation Policy बनाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। वो भी ऐसी पालिसी जिसमें उत्तीर्ण व्यक्ति की स्टेट वाइज रैंक डिक्लेअर की जाए और उसके बाद अलॉटमेंट किया जाये।
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20) ओबीसी एससी में भी अधिक मार्क्स वालो को दूर जाना पड़ा क्योंकि वो अनारक्षित पदों पर चयन पाये थे और कम वालो का पास में ही हो गया।
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21) इसलिए समस्या केवल जनरल के साथ नहीं है समस्या 19,168 ओबीसी और 6,616 एससी के साथ भी है। इसलिए ओबीसी एससी को भी ऐसी पालिसी बनवानी होगी जिसमें यदि ओबीसी एससी को अनारक्षित, जिन्हें जनरल के पद कहा जाता है उन पदों पर उसकी 1st प्रेफेरेन्स अलॉट हो रही है तब तो ठीक है यदि नहीं हो रही है तो उसे रिजर्व्ड सीट पर कंसीडर कर लेना चाहिए।
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22) इससे खाली जाने वाली आरक्षित सीट भी भर जाएँगी और किसी अधिक अंक पाने वाले ओबीसी एससी के साथ गलत नहीं होगा।
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23) इससे एक फायदा और होगा अनारक्षित पदों पर जो ओबीसी एससी कंसीडर किये जा रहे थे वो आरक्षित सीट पर अपनी फर्स्ट प्रेफरेंस का जिला पा जाने के कारण अनारक्षित सीटो को रिक्त कर देंगे जिससे 5,696 में आने वाले एक एक जनरल का सेलेक्शन भी सुनिश्चित हो जायेगा।
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24) इस प्रकार भर्ती से गलत जिला आवंटन प्रणाली का दाग हट जायेगा और आप सेफ हो जायेंगे। हमने जिला आवंटित होने से पहले कई बार कहा था की प्रक्रिया का पता करलो क्या रहेगी लेकिन तब सभी उत्तीर्ण को ये था कि बस जॉब लग जाये जल्दी से जल्दी कोई अड़ंगा न हो।
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25) यदि तभी बात मान लेते तो ये नौबत न आती इसी प्रकार अब भी कह रहे हैं बात मान ली तो ठीक नहीं तो सबके सामने रिजल्ट तो आ ही जायेगा। इसलिए विभाग को बोलिये की अपनी गलती एक्सेप्ट करते हुए कोर्ट में सरेंडर कर दें और इस फॉर्मूले पर तीनो पक्ष यानि सरकार, फर्स्ट लिस्ट और सेकण्ड लिस्ट कोर्ट को सहमत करा लें बाकि आपकी इच्छा।
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26) इस फॉर्मूले पर कुछ लोग काम कर रहे हैं उनका whatsapp ग्रुप यह रहा बाकि लोकतंत्र में सब स्वतन्त्र हैं। तलवारे खींचने से एक पक्ष को जीत तो मिल जाती है पर भूमि रक्तरंजित भी होती है और कभी कभी दोनों सेनाएँ भी ढेर हो जाती हैं और उन दोनों के शत्रु उत्सव मनाते हैं
2) इसलिए उन्होंने 09.01.2018 को 75 जिलों में 68500 कुल पद रख कर रिक्तियों की लिस्ट जारी की थी लेकिन 19.08.2018 को घटाकर उन्हें 41556 कर दिया। साथ ही कुछ ऐसे जनपदों में जहां ट्रान्सफर कोई नहीं लेना चाहता वहां पदों को बढ़ा दिया।
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3) 41556 में से 38% लोग जनरल कैटेगरी के हैं और 62% लोग आरक्षित कैटेगरी के। विभाग ने सोचा कि 50% सीटें अनारक्षित होती है इनमे इन 38% जनरल का हो ही जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और 5696 जनरल कैटेगरी के लोग बाहर हो गए।
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4) यानि जनरल कैंडिडेट 2 लिस्ट में बंट गए पहली में 10,076 जनरल कैंडिडेट्स हैं और दूसरी में 5,696 जनरल कैंडिडेट्स है। हमें इन सभी 15,772 जनरल कैंडिडेट्स की चिंता है हमारे लिए दोनों लिस्ट के जनरल हमारे सगे और अपने हैं। ऐसा नहीं है कि ओबीसी एससी हमारे अपने नहीं है लेकिन उनको 77% और 72% सीटों पर अवसर मिलता है जबकि जनरल को केवल 50% पर इसलिए नुकसान हर भर्ती में जनरल को होता है भले ही उसकी मेरिट ओबीसी एससी से अधिक क्यों न हो और आज जनरल के हित की बात करने वाला न कोई राजनेता है, न अधिकारी, न पत्रकार और न ही कोई बुद्धिजीवी। ओबीसी एससी के हितों की बात करने वाले जातिवादी नहीं कहलाये जाते लेकिन जनरल के हित की बात करने वाले जातिवादी, मनुवादी, ब्राह्मणवादी, विदेशी सब घोषित कर दिए जाते हैं।
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5) विभाग ने कई विज्ञप्ति, सर्कुलर और GO में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती शब्द का प्रयोग किया है और कई में 41556 सहायक अध्यापक भर्ती का। पुरानी लिस्ट में जिलेवार पदों का टोटल करें तो कुल 68500 पद थे और बाद की लिस्ट में जिलेवार कुल 41556 पद थे। हालाँकि विज्ञप्ति में लिखा गया की पदों की संख्या घट बढ़ सकती है लेकिन बाद के कुछ लोग जो कोर्ट के माध्यम से आये + 5696 पहली लिस्ट से बचे हुए कुल 6127 लोगो को किस जिले में कैसे भेजा गया इसका कोई ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया जो अपने आप में बहुत बड़ी कमी है।
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6) डिस्ट्रिक्ट एलोकेशन पालिसी भी बनाई नहीं गयी जो अपने आप में ही बहुत बड़ी अनियमितता है। कोर्ट में भी काउंटर में NIC पर ठीकरा फोड़ा गया है जब आपने कोई पालिसी और फार्मूला NIC को दिया ही नहीं तो उन्होंने अपने अनुसार अलोट कर दिया। NIC भी बुलाये जाने पर कोर्ट में पल्ला झाड़ लेगी। कुल मिलाकर डिस्ट्रिक्ट एलॉटमेंट नहीं टिकेगा। अब बात आती है इसके प्रभाव की।
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7) इसमें कोर्ट के द्वारा दोनों चयन सूची रद्द की जा सकती है और उसके बाद डिस्ट्रिक्ट अलॉटमेंट करने को कहा जा सकता है। चयन सूची रद्द होने का मतलब है नियुक्ति रद्द। इसमें भी ओबीसी एससी को लेकर एक पेंच फसेंगा पर पहले जनरल की बात कर लेते हैं।
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8) जितना काम किया है उसका वेतन तो दिया ही जायेगा इसलिए सैलरी की तो चिंता करना मूर्खता है यहां संकट दूसरा है।
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9) CAP यानि कैडर एलोकेशन पालिसी न होने के कारण ओबीसी एससी को भी अनारक्षित पदों पर चुना गया। इसी कारण 5696 जनरल का चयन 41556 की अनारक्षित आधी सीटो पर नहीं हो पाया।
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10) विशेष आरक्षण हॉरिजॉन्टल होता है इसलिए इनके पदों को रोक कर नहीं रखा जाता है लेकिन पुरानी भर्तियों में BSA के स्टेनो इसको भी रोक कर रखते थे।
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11) 41556 में रफलि 20,778 पद अनारक्षित थे जिसमें 10,076 जनरल जगह बनाने में सफल रहे यानि जनरल के कहे जाने वाले अनारक्षित पदों पर लगभग 48.5% पर जनरल सेलेक्ट हुए और 51.5% पर ओबीसी एससी। 5,696 की रैंक 20,778 से ऊपर रही इसलिए बाहर हो गए।
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12) 68500 में रफलि 34,225 पद अनारक्षित होंगे जिसमें से 20,778 तो फर्स्ट में ले ही लिए गए हैं बाकि बचे 34,225 - 20,778 = 13,447
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13) अब इन 13,447 पदों पर 5,696 जनरल आ पाएंगे या नहीं ये कोई नहीं बता सकता। फर्स्ट में 48.5% पर जनरल सेलेक्ट हुए इस हिसाब से बचे हुए 13,447 पदों पर ये भी हो जाने चाहिए लेकिन ऐसा होगा ही होगा कोई नहीं जानता। जो जनरल टॉप 34,225 रैंक में नहीं आ पाया वो बाहर हो जायेगा।
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14) इसलिए यदि कोर्ट में चयन सूची रद्द करने का आदेश होता है तो उससे नुकसान उन जनरल का होगा जो टॉप 34,225 में नहीं है। साथ ही उनका भी जो घर में जॉब कर रहे हैं इसलिए ही पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने कहा है।
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15) अब हर पक्ष से याची प्रोग्राम जोरो पर है फर्स्ट लिस्ट वाले की किसी की नौकरी नहीं जायेगी लेकिन सेकण्ड वालों में से जा सकती है यही आरक्षण रोस्टर जैसी वाहियात व्यवस्था का अभिशाप है आप ओबीसी एससी सीट पर सेलेक्ट होने वाले टॉपर से अधिक अंक लाने के बाद भी बाहर हो जाते हैं चाहे वो आरक्षित एक सरकारी नौकर का या किसी जमीदार का बेटा या बेटी ही क्यों न हो और आप एक मजदूर के बेटे या बेटी।
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16) इसलिए कोर्ट के अंदर पक्ष किस तरह से रखा जाता है यह बहुत बड़ा रोल प्ले करेगा। फर्स्ट लिस्ट वाले अपनी सैलरी के चक्कर में ट्रान्सफर का फार्मूला दे रहे हैं कि चयन सूची रद्द करने के बजाए नया जिला अलॉट करके ट्रान्सफर कर दिया जाए हालाँकि हम जज होते तो इस फॉर्मूले को ठुकरा देते और वैसे भी यह सीबीआई को मूल्यांकन के इतर एक और मुद्दा दे देगा अनियमितता दिखाने का और इससे जब तक सुप्रीम कोर्ट से फैसला नहीं हो जाता तब तक नौकरी दहशत में की जाती कि कब क्या हो जाए।
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17) इसलिए हमारे अनुसार यह फॉर्मूला दिखने में अच्छा है लेकिन इससे जिस समस्या के बीज बो दिए जायेंगे वो बाद में आप ही को काटने होंगे।
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18) सही एप्रोच यह है की विभाग अपनी गलती मानकर कोर्ट में कह दे कि पुरानी सूची रद्द करके हम दोबारा जिला अलॉट करने जा रहे हैं। कोर्ट में जो प्रक्रिया हुई है उसका बचाव करना मूर्खता है। सबको पता है गलत हुआ है सही रास्ता है सेटलमेंट का जिससे बिना दहशत और भय के आराम से जॉब की जा सके।
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19) आपके पास 10 दिन है दस दिनों के अंदर विभाग से Cadre Allocation Policy बनाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। वो भी ऐसी पालिसी जिसमें उत्तीर्ण व्यक्ति की स्टेट वाइज रैंक डिक्लेअर की जाए और उसके बाद अलॉटमेंट किया जाये।
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20) ओबीसी एससी में भी अधिक मार्क्स वालो को दूर जाना पड़ा क्योंकि वो अनारक्षित पदों पर चयन पाये थे और कम वालो का पास में ही हो गया।
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21) इसलिए समस्या केवल जनरल के साथ नहीं है समस्या 19,168 ओबीसी और 6,616 एससी के साथ भी है। इसलिए ओबीसी एससी को भी ऐसी पालिसी बनवानी होगी जिसमें यदि ओबीसी एससी को अनारक्षित, जिन्हें जनरल के पद कहा जाता है उन पदों पर उसकी 1st प्रेफेरेन्स अलॉट हो रही है तब तो ठीक है यदि नहीं हो रही है तो उसे रिजर्व्ड सीट पर कंसीडर कर लेना चाहिए।
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22) इससे खाली जाने वाली आरक्षित सीट भी भर जाएँगी और किसी अधिक अंक पाने वाले ओबीसी एससी के साथ गलत नहीं होगा।
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23) इससे एक फायदा और होगा अनारक्षित पदों पर जो ओबीसी एससी कंसीडर किये जा रहे थे वो आरक्षित सीट पर अपनी फर्स्ट प्रेफरेंस का जिला पा जाने के कारण अनारक्षित सीटो को रिक्त कर देंगे जिससे 5,696 में आने वाले एक एक जनरल का सेलेक्शन भी सुनिश्चित हो जायेगा।
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24) इस प्रकार भर्ती से गलत जिला आवंटन प्रणाली का दाग हट जायेगा और आप सेफ हो जायेंगे। हमने जिला आवंटित होने से पहले कई बार कहा था की प्रक्रिया का पता करलो क्या रहेगी लेकिन तब सभी उत्तीर्ण को ये था कि बस जॉब लग जाये जल्दी से जल्दी कोई अड़ंगा न हो।
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25) यदि तभी बात मान लेते तो ये नौबत न आती इसी प्रकार अब भी कह रहे हैं बात मान ली तो ठीक नहीं तो सबके सामने रिजल्ट तो आ ही जायेगा। इसलिए विभाग को बोलिये की अपनी गलती एक्सेप्ट करते हुए कोर्ट में सरेंडर कर दें और इस फॉर्मूले पर तीनो पक्ष यानि सरकार, फर्स्ट लिस्ट और सेकण्ड लिस्ट कोर्ट को सहमत करा लें बाकि आपकी इच्छा।
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26) इस फॉर्मूले पर कुछ लोग काम कर रहे हैं उनका whatsapp ग्रुप यह रहा बाकि लोकतंत्र में सब स्वतन्त्र हैं। तलवारे खींचने से एक पक्ष को जीत तो मिल जाती है पर भूमि रक्तरंजित भी होती है और कभी कभी दोनों सेनाएँ भी ढेर हो जाती हैं और उन दोनों के शत्रु उत्सव मनाते हैं
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