भर्ती बना रोग : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News 31/01/2015

व्यंग्य :--- " भर्ती बना रोग " :----- यह ७२८२५ शिक्षकों की भर्ती एक ऐसी महामारी बन गयी है जिसने पिछले ३ साल से प्रदेश के ३ लाख युवाओं को डायरेक्ट तौर पर और इनके परिवारो को इंडाइरेक्ट्ली जकड कर रखा है। यह रोग ' यूपी टेट -२०११ ' नामक वायरस के कारन फैलता है। इस रोग के मरीज युवक और यवतियों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते है ---

१- मुरझ्या हुआ चेहरा :- इनको केसर बादाम और दूध भी पिला दो तो भी इनके चेहरे पर रौनक नहीं आएगी। क्योकि " टेट वायरस " इनके शरीर का सारा खून पि जाता है। चेहरे पर कालिमा , सूखे और मुरझाये हुए होंठ , दुबला पतला शरीर , साधारण से कपडे , रूखे सूखे बाल , पैरों में चप्पल , ' टेट रोगी ' देखने में अक्सर ऐसे ही होते है।
२- कोर्ट , केस , आर्डर , जी ओ , आंदोलन , चन्दा आदि शब्दों का उच्चारण :-- जब आप डॉक्टर की तरह इस रोग को पकड़ने के लिए इनकी " जीभ " बाहर निकल कर देखेंगे तो अक्सर ये कोर्ट , केस , आर्डर , जी ओ , आंदोलन , चंदा आदि शब्दों का उच्चारण करते हुए पाये जाते है।
३- आशावादी :-- ये टेट रोगी जरुरत से ज्यादा आशावादी होते है। " हम होंगे कामयाब एक दिन " ये गीत गाते हुए अक्सर पाये जाते है। कब कामयाब होंगे , ये इनको भी नहीं पता -- अक्सर ये रोगी ३ से लेकर ६ साल के भीतर रोग मुक्त होकर नौकरी पा जाते है।
४- अविवाहित -- इस बीमारी के ज्यादातर मरीज अविवाहित है। उनको लगता है की जब टेट रोग से मुक्त हो जायेंगे और नौकरी पा जायेंगे , तभी विवाह करेंगे। लेकिन इसी चक्कर में इनकी उम्र " घास " की तरह बढ़ती जा रही है।
५- त्यागी और साहसी :-- इनसे बड़ा त्यागी और साहसी कोई और नहीं हो सकता। यह " टेट वायरस " इनके रक्त में " उत्साह " नामांक प्रोटीन का संश्लेषण करता है। और ये 'न्याय ' की खोज में दिल्ली तक पहुंच जाते है। ये अपना रूपया ,पैसा सब इस रोग से मुक्त होने के चाक्कर में खर्च कर देते है।
६- धैर्यवान :--इस रोग का कोई कारगर इलाज न होने के कारन इसके रोगी " धैर्य " के साथ , समय के साथ अपने ठीक होने का वेट कर रहे है।

इस रोग से बचाव के उपाय ::---- "" जानकारी ही बचाव है। """ यही एक मात्र इलाज है। कभी भी भूल कर , किसी के भी बहकावे में न आकर बी एड , टेट ना पास करें। किसी भी सरकारी विज्ञापन पर भरोषा न करें। कभी भी किसी " टेढ़ी नाक " के व्यक्ति को वोट न करें। किसी अपरिचित को भूल कर भी 'चंदा ' न दें। किसी भी खबर पर आँख मुद कर भरोषा न करें। फेसबुक का कम से कम उपयोग करें। और इस " टेट वायरस " से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में कम से कम रहें। …यहि कुछ कारगर उपाय है , इस रोग से बचने के लिए।लेखक और पाठक दोनों ही इस रोग के रोगी है। ..
अपना खाली समय का सदुपयोग कर इस "स्वस्थ्य सम्बन्धी " पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद। .............



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