जागरण संवाददाता, देहरादून: राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एंव प्रशिक्षण
परिषद (एनसीईआरटी) की दिल्ली में हुई बैठक में राज्य के शिक्षा मंत्री की
पांचवी और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाएं शुरू करने की मांग को शिक्षक
संगठन भी जायज बता रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि इससे शिक्षकों का सही
आकलन करना आसान होगा और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। इसके साथ ही प्राथमिक
शिक्षक संघ ने शिक्षा सत्र अप्रैल के बजाय जुलाई माह से ही शुरू करने की मांग की है।
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राज्य में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। इसके
लिए तमाम सरकारी प्रयास असफल रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि अप्रैल माह
में सत्र शुरू होने से भी स्थिति बिगड़ी है। शिक्षकों का तर्क है कि अप्रैल
में सत्र शुरू होने के बाद कभी पुस्तकें नहीं आ पाती तो कभी अन्य कारणों से
अध्ययन समय से शुरू नहीं हो पाता। इसके बाद मई माह में ग्रीष्मकालीन अवकाश
हो जाता है। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई ठीक से शुरू भी नहीं हो पाती। इसी
कड़ी में जब छात्र जुलाई में वापस आते हैं तो उनकी स्थिति वैसी ही होती है,
जैसी अप्रैल में थी। कारण अवकाश में पढ़ाई नहीं हो पाने के कारण बच्चे
ब्लैंक होते हैं। इसलिए दोबारा शुरू से ही छात्रों पर मेहनत करनी होती है।
इसलिए बेहतर यही है कि सत्र जुलाई से ही शुरू हो। इससे शिक्षकों और छात्रों
को पाठ्यक्रम पूरा करने को भरपूर समय मिल जाता है और छात्रों का परिणाम
बेहतर रहता है।
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के देहरादून जनपद अध्यक्ष विरेंद्र कृषाली ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत छात्रों को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जा रहा। इसका सीधा असर गुणवत्ता पर पड़ रहा है। ऐसे में शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने सही मुद्दा उठाया है। पांचवीं और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाएं लागू होने से राज्य में शिक्षा स्थिति काफी बेहतर हो जाएगी। इसके साथ ही शिक्षकों का सही-सही आकलन भी परिणाम के आधार पर किया जा सकेगा। परीक्षाओं को लेकर अभिभावक और शिक्षक छात्रों पर ज्यादा मेहनत करेंगे। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में बीईओ कार्यालय स्तर पर भी बदलाव की जरूरत है। अधिकारी शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते हैं, इससे भी गुणवत्ता प्रभावित होती है।
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के देहरादून जनपद अध्यक्ष विरेंद्र कृषाली ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत छात्रों को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जा रहा। इसका सीधा असर गुणवत्ता पर पड़ रहा है। ऐसे में शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने सही मुद्दा उठाया है। पांचवीं और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाएं लागू होने से राज्य में शिक्षा स्थिति काफी बेहतर हो जाएगी। इसके साथ ही शिक्षकों का सही-सही आकलन भी परिणाम के आधार पर किया जा सकेगा। परीक्षाओं को लेकर अभिभावक और शिक्षक छात्रों पर ज्यादा मेहनत करेंगे। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में बीईओ कार्यालय स्तर पर भी बदलाव की जरूरत है। अधिकारी शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते हैं, इससे भी गुणवत्ता प्रभावित होती है।
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