मिड-डे मील का जिम्मा एसएमसी को मिलेगा
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश के 1.68 लाख परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील योजना के संचालन और निगरानी की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) को सौंपने का इरादाहै। मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण ने इस बारे में शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इस व्यवस्था को वर्तमान शैक्षिक सत्र से लागू करने की मंशा है।शहरी इलाकों के परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील योजना का संचालन स्कूल द्वारा किया जाता है।
शहरी इलाकों के जिन स्कूलों में खाना पकाने की जगह नहीं है, वहां यह जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठन को सौंपी गई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील योजना को चलाने की जिम्मेदारी संयुक्त रूप से स्कूल के प्रधानाचार्य और ग्राम प्रधान पर है।योजना के संचालन के लिए प्राप्त धनराशि ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक के संयुक्त हस्ताक्षरसे ऑपरेट होने वाले बैंक खाते में जाती है। अब प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील योजना के संचालन की जिम्मेदारी एसएमसी को सौंपने की तैयारी है। इसमें बैंक खाता ग्राम प्रधान की बजाय विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रधानाध्यापक के साथ सह-खातेदार होगा। बिहार, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में मध्याह्न् भोजन योजना का संचालन एसएमसी के जिम्मे है। मध्याह्न् भोजनप्राधिकरण की निदेशक श्रद्धा मिश्र ने बताया कि नई व्यवस्था के लागू होने पर भी ग्राम शिक्षा समितियां योजना की निगरानी कर सकेंगी।
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शहरी इलाकों के जिन स्कूलों में खाना पकाने की जगह नहीं है, वहां यह जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठन को सौंपी गई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील योजना को चलाने की जिम्मेदारी संयुक्त रूप से स्कूल के प्रधानाचार्य और ग्राम प्रधान पर है।योजना के संचालन के लिए प्राप्त धनराशि ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक के संयुक्त हस्ताक्षरसे ऑपरेट होने वाले बैंक खाते में जाती है। अब प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील योजना के संचालन की जिम्मेदारी एसएमसी को सौंपने की तैयारी है। इसमें बैंक खाता ग्राम प्रधान की बजाय विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रधानाध्यापक के साथ सह-खातेदार होगा। बिहार, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में मध्याह्न् भोजन योजना का संचालन एसएमसी के जिम्मे है। मध्याह्न् भोजनप्राधिकरण की निदेशक श्रद्धा मिश्र ने बताया कि नई व्यवस्था के लागू होने पर भी ग्राम शिक्षा समितियां योजना की निगरानी कर सकेंगी।
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