बकाया बिल पर बिजली और शिक्षा विभाग आमने-सामने
Tue, 07 Apr 2015 06:17 PM (IST)
मैनपुरी : करोड़ों रुपये के बकाया विद्युत बिल को लेकर अब शिक्षा विभाग और बिजली महकमा दोनों आमने-सामने हैं। शासनादेश का हवाला देकर एक ओर शिक्षा विभाग 2.33 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि को बिजली विभाग की मनमानी बता रहा है, तो दूसरी ओर बिजली विभाग के अधिकारी, शिक्षाधिकारियों पर समाधान के लिए प्रत्यावेदन न देने की बात कह रहे हैं। इस मामले में दोनों विभागों ने आलाधिकारियों को भी अपनी-अपनी रिपोर्ट भेज दी है।
बकाया विद्युत बिलों की वसूली को लेकर शासन से निर्देश मिलने के बाद बिजली विभाग हरकत में आ गया है। बडे़ बकाएदारों से वसूली की तैयारी के लिए विभाग ने सूची तैयार की है। विभागीय सूची में बेसिक शिक्षा विभाग पहले पायदान पर है। शिक्षा विभाग पर ही अकेले 2.33 करोड़ रुपये की वसूली बाकी है। करोड़ों धनराशि की वसूली करने में बिजली विभाग के भी पसीने छूट गए हैं। बड़ी रकम को लेकर विद्युत व शिक्षा दोनों ही विभाग अब आमने-सामने आ गए हैं। एक रकम जमा न करने के तर्क दे रहा है, तो दूसरा हर कीमत पर वसूली करने पर आमादा है।
बीएसए का है कहना
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार वर्मा का कहना है कि स्कूलों के लिए विद्युतीकरण की जो भी ग्रांट आती है, उनका चयन कर कनेक्शन करने के लिए सूची विद्युत विभाग को भेजी जाती है। कभी-कभी ठेकेदार द्वारा बिजली की फि¨टग करने में देर लग जाती है।
अब बिजली विभाग का अपना नियम है कि जब तक फि¨टग नहीं होगी, वे कनेक्शन नहीं करते हैं। बिजली विभाग के अधिकारी इसी बात का लाभ उठाते हैं और बाद में विद्युतीकरण की व्यवस्था ही ठंडे बस्ते में फेंक दी जाती है। हमारे यहां ट्रेजरी से धनराशि सीधे बिजली विभाग को भेजी जाती है। आज तक जितने भी स्कूलों में कनेक्शन के लिए धनराशि आई, सारी बिजली विभाग को भेजी गई। अब यह दायित्व उनका है कि कनेक्शन कराएं।
उनका कहना है कि अब कनेक्शन तो कराए नहीं हैं, लेकिन मनमाने ढंग से बिल भेज रहे हैं। चुनाव से पहले भी विद्युतीकरण के लिए बिजली विभाग को कहा गया था। शासनादेश है कि 6 से 14 साल तक के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाए। अब इसी आदेश के तहत ही हमारे पास 300 रुपये प्रति माह की दर से बिजली बिल के भुगतान के नाम पर धनराशि हमारे पास भेजी जाती है।
अब बिजली विभाग इस शासनादेश को मानना नहीं चाहता और घरेलू कनेक्शन की तरह से बिल भेज रहा है। अब ऐसे में हम कहां से मनमानी धनराशि को जमा कराएं। अब बिजली विभाग शासनादेश को मानना नहीं चाहता है। अब जब शासन ही हमें 300 रुपये प्रति स्कूल दे रहा है तो हम कहां से करोड़ों की धनराशि जमा कराएं। हमने शासन को इस संबंध में लिख दिया है।
अधिशासी अभियंता बोले
विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता एके पांडेय का कहना है कि शहरी क्षेत्र में ही शिक्षा विभाग का 1.56 करोड़ रुपये बकाया है। जो टैरिफ निर्धारित है वह तो शासन का ही है। जब तक हमारे पास किसी प्रकार का प्रतिवेदन नहीं, आता तब तक हम अपनी जेब से एक पैसा भी कम नहीं कर सकते हैं। अब अगर शिक्षा विभाग को हमारे बिलों से कोई आपत्ति है तो वे हमारे पास आएं और अपना प्रतिवेदन दें। उनकी समस्या सुनी जाएगी। हमारे बस में होगा तो हम निश्चित ही बिल संशोधन के प्रयास करेंगे। आज तक हमारे पास शिक्षा विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नहीं आया है।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
Tue, 07 Apr 2015 06:17 PM (IST)
मैनपुरी : करोड़ों रुपये के बकाया विद्युत बिल को लेकर अब शिक्षा विभाग और बिजली महकमा दोनों आमने-सामने हैं। शासनादेश का हवाला देकर एक ओर शिक्षा विभाग 2.33 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि को बिजली विभाग की मनमानी बता रहा है, तो दूसरी ओर बिजली विभाग के अधिकारी, शिक्षाधिकारियों पर समाधान के लिए प्रत्यावेदन न देने की बात कह रहे हैं। इस मामले में दोनों विभागों ने आलाधिकारियों को भी अपनी-अपनी रिपोर्ट भेज दी है।
बकाया विद्युत बिलों की वसूली को लेकर शासन से निर्देश मिलने के बाद बिजली विभाग हरकत में आ गया है। बडे़ बकाएदारों से वसूली की तैयारी के लिए विभाग ने सूची तैयार की है। विभागीय सूची में बेसिक शिक्षा विभाग पहले पायदान पर है। शिक्षा विभाग पर ही अकेले 2.33 करोड़ रुपये की वसूली बाकी है। करोड़ों धनराशि की वसूली करने में बिजली विभाग के भी पसीने छूट गए हैं। बड़ी रकम को लेकर विद्युत व शिक्षा दोनों ही विभाग अब आमने-सामने आ गए हैं। एक रकम जमा न करने के तर्क दे रहा है, तो दूसरा हर कीमत पर वसूली करने पर आमादा है।
बीएसए का है कहना
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार वर्मा का कहना है कि स्कूलों के लिए विद्युतीकरण की जो भी ग्रांट आती है, उनका चयन कर कनेक्शन करने के लिए सूची विद्युत विभाग को भेजी जाती है। कभी-कभी ठेकेदार द्वारा बिजली की फि¨टग करने में देर लग जाती है।
अब बिजली विभाग का अपना नियम है कि जब तक फि¨टग नहीं होगी, वे कनेक्शन नहीं करते हैं। बिजली विभाग के अधिकारी इसी बात का लाभ उठाते हैं और बाद में विद्युतीकरण की व्यवस्था ही ठंडे बस्ते में फेंक दी जाती है। हमारे यहां ट्रेजरी से धनराशि सीधे बिजली विभाग को भेजी जाती है। आज तक जितने भी स्कूलों में कनेक्शन के लिए धनराशि आई, सारी बिजली विभाग को भेजी गई। अब यह दायित्व उनका है कि कनेक्शन कराएं।
उनका कहना है कि अब कनेक्शन तो कराए नहीं हैं, लेकिन मनमाने ढंग से बिल भेज रहे हैं। चुनाव से पहले भी विद्युतीकरण के लिए बिजली विभाग को कहा गया था। शासनादेश है कि 6 से 14 साल तक के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाए। अब इसी आदेश के तहत ही हमारे पास 300 रुपये प्रति माह की दर से बिजली बिल के भुगतान के नाम पर धनराशि हमारे पास भेजी जाती है।
अब बिजली विभाग इस शासनादेश को मानना नहीं चाहता और घरेलू कनेक्शन की तरह से बिल भेज रहा है। अब ऐसे में हम कहां से मनमानी धनराशि को जमा कराएं। अब बिजली विभाग शासनादेश को मानना नहीं चाहता है। अब जब शासन ही हमें 300 रुपये प्रति स्कूल दे रहा है तो हम कहां से करोड़ों की धनराशि जमा कराएं। हमने शासन को इस संबंध में लिख दिया है।
अधिशासी अभियंता बोले
विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता एके पांडेय का कहना है कि शहरी क्षेत्र में ही शिक्षा विभाग का 1.56 करोड़ रुपये बकाया है। जो टैरिफ निर्धारित है वह तो शासन का ही है। जब तक हमारे पास किसी प्रकार का प्रतिवेदन नहीं, आता तब तक हम अपनी जेब से एक पैसा भी कम नहीं कर सकते हैं। अब अगर शिक्षा विभाग को हमारे बिलों से कोई आपत्ति है तो वे हमारे पास आएं और अपना प्रतिवेदन दें। उनकी समस्या सुनी जाएगी। हमारे बस में होगा तो हम निश्चित ही बिल संशोधन के प्रयास करेंगे। आज तक हमारे पास शिक्षा विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नहीं आया है।
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