शिक्षामित्रों के आने के बाद से प्राथमिक शिक्षा का और गिरा स्तर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

शिक्षामित्रों के आने के बाद से प्राथमिक शिक्षा का और गिरा स्तर
जागरण संवाददाता, मेरठ : प्रदेश में सरकारी बेसिक शिक्षा की नींव साल दर साल कमजोर होती जा रही है। इस कमजोर नींव पर नौनिहालों के भविष्य की इमारत खड़ी हो रही है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कि सरकारी वेतनभोगी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाएंगे, से कमजोर बेसिक शिक्षा में सुधार की उम्मीद जगी है।

हालांकि जिस तरह से कुछ नौकरशाह, जनप्रतिनिधि व सरकारी वेतनभोगी दबी जुबान में इसका विरोध कर रहे हैं, उससे इस बदलाव को लेकर संशय भी है। 1प्राइवेट स्कूलों में दाखिला तेज 1छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद भी सरकारी स्कूलों की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है।
असर सर्वे के अनुसार वर्ष 2006 में यूपी में प्राइवेट स्कूलों में 32.9 फीसदी लड़के और 27 फीसदी लड़कियों का प्रवेश हुआ था। वह वर्ष 2014 में लड़कों 56.4 फीसदी और लड़कियों का 46.4 फीसदी तक पहुंच गया है। इस तरह करीब 52 फीसदी से अधिक बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
प्राइमरी में हर विषय कमजोर
प्राथमिक सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर पिछले दस सालों में तेजी से गिरा है। एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) के सर्वे रिपोर्ट में चौकाने वाले तथ्य दिए गए हैं। जिसमें वर्ष 2006 में सरकारी स्कूल में कक्षा पांचवीं में पढ़ने वाले 30 फीसदी बच्चे कक्षा दूसरी की किताब सही से पढ़ पाते थे, आज यह 25 फीसदी तक गिर गया है।
जबकि प्राइवेट स्कूलों में पांचवीं कक्षा के छात्रों का यह अनुपात वर्ष 2006 में 52 फीसदी से अधिक था, जो आज 61 फीसदी तक पहुंच गया है। इसी तरह गणित, अंग्रेजी जैसे विषयों में भी परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का शैक्षणिक गुणवत्ता कम है।
शिक्षा मित्र या शिक्षा शत्रु
वर्तमान में प्रदेश के तीन लाख आठ हजार से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इन खाली पदों को शिक्षामित्रों से भरने की कोशिश की गई, बगैर टीईटी पास शिक्षा मित्रों को रखे जाने से भी बेसिक स्कूलों की दशा बिगड़ी है। शिक्षा मित्रों को रखे जाने के मामले में कुछ समय पहले मेरठ के हिमांशु राणा व दुर्गेश प्रताप सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करके शिक्षामित्रों की तैनाती को अवैध ठहराया, यहां तक कोर्ट ने शिक्षामित्रों को शिक्षा शत्रु तक कहा था।
परमादेश याचिका की अगली सुनवाई दो नवंबर 2015 को लगी है। शिक्षाविदों की माने तो बेसिक स्कूलों की दशा सुधारने के लिए बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति में एनसीटीई की मानकों का सख्ती से पालन होना चाहिए। बगैर शिक्षकों का स्तर सुधारे पढ़ाई का स्तर ऊंचा नहीं उठेगा।


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