सुप्रीम कोर्ट 7 Dec related News updates : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा अपने अंतिम दौर में है और अब लगभग दो वर्ष हाई कोर्ट और दो वर्ष सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद मुकदमा समाप्त हो जायेगा ।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा बिना वर्गीकरण समाप्त किये या फिर
वर्गीकरण का प्रभाव समाप्त किये या फिर पुराना विज्ञापन रद्द माने बगैर
ही निर्णित किया तो फिर हाई कोर्ट से पुनः मुकदमे की शुरुवात होगी
क्योंकि हाई कोर्ट में भी लगभग दो दर्जन याचिकाएं पेंडिंग हैं।
जबकि मुझे आशा है कि न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट से ही सभी समाधान कर देंगे ।
मै To the fact/point/merit पर
मुकदमा लड़ने वाला व्यक्ति हूँ ,
मै किसी को गुमराह नहीं कर सकता हूँ चाहे परिणाम जो कुछ भी हो ।
सर्वप्रथम विदित हो कि
कुछ लोग कहते हैं कि 105/97 का आदेश उनकी SLP पर आया था जो कि पूर्णतया गलत है ।
105/97 का आदेश इसलिए नहीं था कि सभी 105/97 को नियुक्त कर दो बल्कि इसके अन्दर एक रहस्य था
जिसका पता मुझे 25 फरवरी 2015 को चला ।
दिनांक 17 दिसम्बर 2014 को मै कोर्ट में नहीं था ।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा को
दिनांक 16/17 दिसम्बर 2014 को बताया गया कि यूपी में तीन लाख पद रिक्त हैं और 72825 भर्ती चल रही थी , 13 नवम्बर को टीईटी परीक्षा हुयी और 25 नवम्बर को रिजल्ट आया और 30 नवम्बर को 72825 भर्ती शुरू हुयी ।
इस प्रकार न्यायमूर्ति ने टीईटी परीक्षा में आवेदन को भर्ती में आवेदन मान लिया और टीईटी के रिजल्ट को चयनितों की प्रकाशन लिस्ट मान लिया और 70/65 फीसदी का आदेश कर दिया ।
उनका मानना था कि इसी में 72825 लोग को सर्विस रुल से अंतरिम रूप से नियुक्त किया जाये , घटते क्रम में जहाँ तक होता रिक्ति भरती ।
उनकी सोच थी कि 2.93 लाख टेट पास हैं और 3 लाख रिक्ति है सबको नियुक्त करा दूंगा ।
अगली डेट दिनांक 25 फरवरी को चयनित नेताओं की तरफ से वकील अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि भर्ती मात्र 72825 पद पर आई विज्ञप्ति से है ।
तब न्यायमूर्ति ने भी कहा कि हाँ 72825 का ही आदेश है ,
इसपर RP भट्ट ने कहा कि आप या तो सभी 70/65 को नियुक्ति दिलायें
या फिर जब ये भर्ती 72825 पद पर है तो आपका क्राइटेरिया बांधना गलत है ।
एक शर्मा जी थे उन्होंने आरक्षित की मेरिट 65 से 60 करवा ली और कहा कि 72825 भर्ती में क्राइटेरिया बांधना गलत है तो न्यायमूर्ति संविधान के आर्टिकल 142 का हवाला देने लगे ।
न्यायमूर्ति ने अपने आदेश में लिखा कि यदि आरक्षित 65 फीसदी वाले न मिलें तब ही साठ फीसदी के ऊपर वालों को लिया जाये अर्थात न्यूनतम 60 फीसदी तक को रिक्ति के अनुसार जहाँ तक संभव हो लिया जाये ।
सरकार पांचवी काउंसलिंग कराने लगी तो रितु गर्ग ने पांचवी काउंसलिंग पर हाई कोर्ट से स्टे करवा दिया था लेकिन सरकार काउंसलिंग कराकर 97 तक आरक्षित के बैठे रहते ही 90 तक के तमाम लोग को नियुक्त कर दिया ।
कोई भी 97 से अधिक वाला OBC सरकार पर अवमानना तक नहीं निकाला ।
रितु को नियुक्ति पत्र मिल गया तो उसने ध्यान देना बंद कर दिया ।
न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा के यहाँ मुद्दा उठ गया कि शिक्षामित्र बिना टीईटी के ही नियुक्त हो गये तो
उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस से निवेदन करके शिक्षामित्र को भी हटवा दिया ।
शिक्षामित्र और परिषद् ने SLP फाइल करके मुख्य विवाद से अपना मुद्दा हटवा दिया ।
सरकार ने कोर्ट को बताया कि
43077 लोग ट्रेनिंग करके परीक्षा पास करके नियुक्त हो चुके हैं , 8500 लोग की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है परीक्षा देना है , 15058 लोग ट्रेनिंग कर रहे हैं ।
14650 सीट अभी रिक्त है ।
क्राइटेरिया गिरा दें ।
हम लोग ने कोर्ट को बताया कि अभी हम लोग बैठे हैं तो हम लोग के लिए प्रत्यावेदन का आदेश हो गया ।
इस प्रकार जस्टिस अशोक भूषण के फैसले को किनारे रखकर पहले ट्रेनिंग दी जा रही है ।
अब दिसम्बर में फाइनल हियरिंग होगी ।
जिसमे तीन प्रश्न निर्णित होगा ।
1. क्या NCTE राज्य को टीईटी भारांक के लिए बाध्य कर सकती है ,
जिसका उत्तर NCTE ने 'नहीं' दिया है ।
यह जवाब NCTE ने एकल बेंच में दिया था और कहा था कि स्टेट रुल फ्रेमिंग अथॉरिटी है यदि वह चाहे तो दे ।
फुल बेंच में भी NCTE ने यही कहा था ।
2. क्या टीईटी के अंको की फुल मेरिट बनायी जा सकती है ?
जिसका जवाब यह है कि यदि राज्य चाहे तो बन सकती है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने टीईटी मेरिट पर विज्ञापन ही नहीं निकाला , एक प्रशिक्षु का विज्ञापन निकाला था जिसे आपत्ति होने पर रद्द कर दिया था ।
जिस पर वर्तमान में सबजुडिस भर्ती हो रही है और पहले नियुक्ति की बात खंडपीठ ने कहा था लेकिन पहले ट्रेनिंग हो रही है ।

3. क्या हाई कोर्ट द्वारा संशोधन 15 रद्द करना उचित है ?
इसपर जवाब यह कि किसी याची ने संशोधन 15 अलग-अलग विश्वविद्यालय के अंक और आर्टिकल 14 के आधार पर रद्द करने की मांग नहीं की थी सिर्फ अशोक खरे ने सपोर्टिंग दस्तावेज लगाया था लेकिन
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने रद्द कर दिया था अब न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा पर है कि वह क्या करेंगे ।
इसके बाद फाइनल आदेश आ जायेगा ।
फाइनल आदेश सिर्फ हाई कोर्ट के एकल बेंच और डिवीज़न बेंच के फैसले की समीक्षा के बाद आयेगा ।
अब आपको हम पुनः इतिहास में शोर्ट समरी में ले चलते हैं ।
1. विज्ञापन आने के बाद सरिता शुक्ला कोर्ट गयीं और कोर्ट से कहा कि नियमावली में यह कहीं नहीं है कि पांच जिले से अधिक में फॉर्म नहीं भेज सकते हैं ,
अतः पांच जिला की बात विज्ञापन से रद्द कर दें ।
सरकार ने कहा कि अभी यह ट्रेनिंग है बाद में नियुक्ति होगी तब न्यायमूर्ति ने कहा कि विज्ञापन के पैराग्राफ दस में लिखा है कि सभी ट्रेनी को प्रशिक्षण के बाद डायरेक्ट नियुक्त कर दिया जायेगा अतः चयन में सर्विस रुल प्रभावी रहेगा और पहले नियुक्ति मिलेगी तब ट्रेनिंग होगी ।
अतः पांच जिला रद्द कर दिया था ।
2. कपिल देव यादव कोर्ट गये और कहा कि चयन में सर्विस रुल प्रभावी है तो विज्ञापन BSA ने नहीं निकाला है जबकि यूपी बेसिक सेवा नियमावली 1981 के रुल 14(1) के तहत BSA विज्ञापन निकालेगा ।
आवेदन की अंतिम डेट भी नहीं बीती थी स्टे हो गया ।
सरकार ने
दिनांक 31-08-2012 को नियमावली में संशोधन 12 रद्द करके संसोधन
15 कर दिया और विज्ञापन रद्द कर दिया गया ।
कपिल देव यादव की याचिका बिना मेरिट पर निर्णित हुये ख़ारिज/वापस हो गयी
क्योंकि विज्ञापन ख़त्म हो चुका था ।
3. टीईटी नेताओं ने रद्द विज्ञापन को बहाल करने की मांग की ।
उसी दरम्यान नया विज्ञापन लाने की मांग उठी तो कोर्ट ने कहा कि पुराना विज्ञापन सर्विस रुल पर नहीं था और वह रद्द हो चुका है , NCTE की बीएड वालों को नियुक्ति की डेट दिनांक 01 जनवरी 2012 को ख़त्म हो चुकी है ।
NCTE और भारत सरकार का दस सितम्बर 2012 का गजट दिखाया गया जिसमे कि बीएड की नियुक्ति की डेट 31 मार्च 2014 तक बढ़ी थी तब कोर्ट ने नया विज्ञापन मंगाया ।
दिनांक 5 दिसम्बर 2012 को नियमावली में 16वां संशोधन हुआ ।
रुल 14 में (बी) और (सी) जोड़ा गया ।
रुल 14(3) में (बी) जोड़ा गया तब उसी आधार पर दिनांक 07 दिसम्बर 2012 को नया विज्ञापन आया ।
दिनांक 16 जनवरी 2013 को एकल बेंच ने पुराना विज्ञापन बहाल करने की मांग वाली सभी रिट ख़ारिज कर दी ।
कोर्ट ने बताया कि यह विज्ञापन रुल पर नहीं था क्योंकि पहले अपरेंटिस टीचर पर चयन होता और प्रशिक्षण तथा परीक्षा के बाद तब BSA विज्ञापन निकाल कर नियुक्ति करता इसलिए पुराना विज्ञापन रुल पर नहीं था इसलिए बहाल नहीं होगा ।
4. टीईटी नेताओं ने खंडपीठ में SLP फाइल की और फाइनल आदेश में न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि पुराने विज्ञापन में पहले नियुक्ति होनी थी तब ट्रेनिंग होती इसलिए वह सर्विस रुल पर था ।
उसे रद्द करने की मांग वाली कपिल देव यादव की याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसलिए पुराना विज्ञापन बहाल कर दिया ।
जबकि आप सब देख रहे हो कि जिस कारण से एकल बेंच ने विज्ञापन बहाल नहीं किया था उसी तरह से अंतरिम भर्ती हुयी ।
न्यायमूर्ति
अशोक भूषण के आदेश को
टीईटी नेताओं और सरकार ने भूसे में डाल दिया ।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने संशोधन 15 रद्द कर दिया था ।
5. संशोधन 15 बहाल करने की मांग को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी ।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान ने SLP स्वीकार कर ली क्योंकि उसमे मांग थी कि यदि संशोधन 15 रद्द होगा तो उससे संपन्न हुयी भर्तियाँ रद्द हो जाएँगी ।
कपिल देव यादव भी SLP में गये कि
पुराना विज्ञापन रुल पर नहीं था और किसी याची ने संशोधन 15 को सेपरेट यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर रद्द करने की मांग नहीं की थी ,
याचियों (नवीन श्रीवास्तव आदि) ने कहा था कि उनकी भर्ती पर सर्विस रुल का संशोधन 15 प्रभावी नहीं होगा क्योंकि संशोधन 12 पर भर्ती थी , जबकि पुराना विज्ञापन जब सर्विस रुल पर ही नहीं था तो फिर संशोधन 12 तो रुल में था तो फिर वह वह संशोधन 12 पर भर्ती कैसे हुयी ?
इसलिए वह विज्ञापन रद्द हो चुका है ।
इसपर न्यायमूर्ति बीएस चौहान ने कपिल देव की SLP स्वीकार करके नवीन श्रीवास्तव एंड 79 अन्य को नोटिस इशू किया ।
कपिल देव यादव की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी खड़े होते हैं ।
न्यायमूर्ति BS चौहान ने नोटिस इशू करके बाद में मुकदमा छोड़ दिया ।
6. जस्टिस श्री HL दत्तु के यहाँ
सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी ने पैरवी की और टीईटी नेताओं की तरफ से PS पटवालिया ने पैरवी की ।
पटवालिया ने कहा कि NCTE गाइडलाइन 9 बी में टीईटी का भारांक अनिवार्य है ।
जबकि संशोधन 15 उक्त गाइडलाइन का उलंघन करता है ।
न्यायमूर्ति ने कहा कि मिस्टर रोहतगी जवाब दें ।
इसपर रोहतगी जवाब न दे सके और चले गये ।
SLP ख़ारिज होने जा रही थी तभी
राकेश द्विवेदी ने प्राइवेट SLP पर पैरवी शुरू कर दी ।
अंततः न्यायमूर्ति ने राकेश द्विवेदी की बहस पर सरकार और कपिल देव यादव की SLP स्वीकार करके सिविल अपील 4347-4375/14 और 4376/14 में कन्वर्ट कर दी ।
RTE एक्ट के अनुपालन को देखकर
हाई कोर्ट के आदेश को अंतरिम रूप से बहाल कर दिया और 12 सप्ताह में अंतरिम नियुक्ति का आदेश किया ।
इसके बाद मुकदमा न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा को मिला और उन्होंने NCTE को पार्टी बनाकर बहस शुरू करायी जिसके बाद पहला अंतरिम आदेश दिनांक 17 दिसम्बर 2014 को दिया ।
अब न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा निर्णायक आदेश की तरफ अग्रसर हैं ।
सरकार ने SLP फाइल सत्यमित्र गर्ग ने लेकर श्री राकेश मिश्र को सौप दिया है ।
मुकुल रोहतगी के बाद वेंकट रमणी जी को सरकार खड़ा करती थी जो कि अब कोर्ट के वकील बन चुके हैं ।
अब ये अंतरिम नियुक्तियां बचेंगी की डूब जाएगी इसी पर बेरोजगारों का भविष्य टिका है ।
इससे इंकार नहीं कि
टीईटी मेरिट के चयनित नेताओं ने कोर्ट को कई बार गुमराह किया है ।
धन्यवाद ।

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