उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग छह माह बाद फिर चर्चा में आ गया है। आयोग का नया
अध्यक्ष चुन लिया गया है और माना जा रहा है कि अगले सप्ताह नियुक्ति का
औपचारिक एलान भी हो जाएगा। इतने के बाद भी आयोग ठप ही रहेगा, क्योंकि
अध्यक्ष के यहां आने भर से फिलहाल वह चलने वाला नहीं है।
यहां मात्र एक सदस्य है और उस पर भी अंगुली उठी है और नियमित सचिव तक नहीं है। इससे भी अधिक परेशानी 1652 पदों की भर्ती प्रक्रिया देने वाली है। सादी कॉपियां मिलने से परीक्षा रद कराने की मांग हो रही है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रदेश भर के अशासकीय डिग्री कालेजों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर आदि की भर्ती करता है। यहां नियुक्ति पहले मेरिट के आधार पर होती थी, लेकिन आयोग ने विज्ञापन संख्या 46 को 21 मार्च 2014 को जारी किया और इसमें 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों में परंपरा तोड़ते हुए पहली बार लिखित परीक्षा कराई गई। इसके बाद ओएमआर शीट का मूल्यांकन हुआ और परीक्षा परिणाम जारी करने की तैयारी थी, इसी बीच नियुक्तियों को लेकर आरोप लगने का दौर शुरू हुआ। आयोग के पूर्व अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय ने खुद दो सौ से अधिक ओएमआर शीट सादी मिलने की बात कही। बताते हैं कि इसका लाभ आयोग के अफसर व कर्मचारियों के रिश्तेदारों को ही मिलना था। यह प्रकरण चर्चा में आने के बाद से आयोग में हड़कंप रहा।
इस खुलासे के बाद ऐसी बयार चली कि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एवं तीन सदस्यों की योग्यता को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई और कोर्ट ने सभी की नियुक्ति रद कर दी। यहां के कार्यवाहक सचिव पर भी गंभीर आरोप लगे, उनका प्रकरण अभी न्यायालय में विचाराधीन है। आयोग में केवल एक सदस्य रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी बचे थे, पिछले दिनों उनके विरुद्ध भी याचिका दाखिल हुई है। आयोग में अघोषित रूप से तालाबंदी जैसे हालात हैं। नए अध्यक्ष के रूप में प्रभात मित्तल का चयन हुआ है, लेकिन उनकी नियुक्ति भर से आयोग की स्थिति में बदलाव नहीं होगा, बल्कि कुछ करने के लिए सदस्यों का कोरम पूरा होना जरूरी है। सदस्यों की नियुक्ति में अभी वक्त लगने के आसार हैं। इसके बाद भी विवाद आयोग का पीछा नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में सादी कॉपियों का दाग आखिर कैसे धोया जाएगा? जिस तरह के गंभीर आरोप लगे उससे पार पाना नए अध्यक्ष के लिए आसान नहीं होगा।
उधर, प्रतियोगी छात्रों ने भर्ती के संबंध में आरटीआइ भेजकर पूछा था कि कितने लोगों ने आवेदन किया था, कितने शामिल हुए, खाली ओएमआर शीट कितनों ने छोड़ी और परीक्षा के दौरान शासनादेश बदलने का औचित्य क्या था। जनसूचना का जवाब भी युवाओं को नहीं मिला है। पिछले दिनों प्रतियोगी छात्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा रद करने का भी अनुरोध किया है। उनका कहना था कि जिस परीक्षा को कराने वाले सभी अफसर खुद संदेह के घेरे में हैं उस परीक्षा का क्या हाल होगा। युवा यह नियुक्तियां नए सिरे से कराने के लिए अब बड़ा आंदोलन भी छेड़ सकते हैं।
’असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में मिलीं सादी कॉपियां ’परीक्षा रद कराने को उठाई गई मांग
उच्चतर शि.से. चयन आयोग
सदस्य एवं सचिव के बिना फिलहाल असहाय ही रहेंगे नए अध्यक्ष
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यहां मात्र एक सदस्य है और उस पर भी अंगुली उठी है और नियमित सचिव तक नहीं है। इससे भी अधिक परेशानी 1652 पदों की भर्ती प्रक्रिया देने वाली है। सादी कॉपियां मिलने से परीक्षा रद कराने की मांग हो रही है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रदेश भर के अशासकीय डिग्री कालेजों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर आदि की भर्ती करता है। यहां नियुक्ति पहले मेरिट के आधार पर होती थी, लेकिन आयोग ने विज्ञापन संख्या 46 को 21 मार्च 2014 को जारी किया और इसमें 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों में परंपरा तोड़ते हुए पहली बार लिखित परीक्षा कराई गई। इसके बाद ओएमआर शीट का मूल्यांकन हुआ और परीक्षा परिणाम जारी करने की तैयारी थी, इसी बीच नियुक्तियों को लेकर आरोप लगने का दौर शुरू हुआ। आयोग के पूर्व अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय ने खुद दो सौ से अधिक ओएमआर शीट सादी मिलने की बात कही। बताते हैं कि इसका लाभ आयोग के अफसर व कर्मचारियों के रिश्तेदारों को ही मिलना था। यह प्रकरण चर्चा में आने के बाद से आयोग में हड़कंप रहा।
इस खुलासे के बाद ऐसी बयार चली कि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एवं तीन सदस्यों की योग्यता को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई और कोर्ट ने सभी की नियुक्ति रद कर दी। यहां के कार्यवाहक सचिव पर भी गंभीर आरोप लगे, उनका प्रकरण अभी न्यायालय में विचाराधीन है। आयोग में केवल एक सदस्य रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी बचे थे, पिछले दिनों उनके विरुद्ध भी याचिका दाखिल हुई है। आयोग में अघोषित रूप से तालाबंदी जैसे हालात हैं। नए अध्यक्ष के रूप में प्रभात मित्तल का चयन हुआ है, लेकिन उनकी नियुक्ति भर से आयोग की स्थिति में बदलाव नहीं होगा, बल्कि कुछ करने के लिए सदस्यों का कोरम पूरा होना जरूरी है। सदस्यों की नियुक्ति में अभी वक्त लगने के आसार हैं। इसके बाद भी विवाद आयोग का पीछा नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में सादी कॉपियों का दाग आखिर कैसे धोया जाएगा? जिस तरह के गंभीर आरोप लगे उससे पार पाना नए अध्यक्ष के लिए आसान नहीं होगा।
उधर, प्रतियोगी छात्रों ने भर्ती के संबंध में आरटीआइ भेजकर पूछा था कि कितने लोगों ने आवेदन किया था, कितने शामिल हुए, खाली ओएमआर शीट कितनों ने छोड़ी और परीक्षा के दौरान शासनादेश बदलने का औचित्य क्या था। जनसूचना का जवाब भी युवाओं को नहीं मिला है। पिछले दिनों प्रतियोगी छात्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा रद करने का भी अनुरोध किया है। उनका कहना था कि जिस परीक्षा को कराने वाले सभी अफसर खुद संदेह के घेरे में हैं उस परीक्षा का क्या हाल होगा। युवा यह नियुक्तियां नए सिरे से कराने के लिए अब बड़ा आंदोलन भी छेड़ सकते हैं।
’असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में मिलीं सादी कॉपियां ’परीक्षा रद कराने को उठाई गई मांग
उच्चतर शि.से. चयन आयोग
सदस्य एवं सचिव के बिना फिलहाल असहाय ही रहेंगे नए अध्यक्ष
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