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UPTET BTC अभ्यर्थी 72825 अभ्यर्थियों के बारे में क्या कहते है , यहाँ देखें : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

मित्रों, शिक्षा मित्र केस की तारीख अब 26 अप्रैल लग गई है। ऐसा हमारी बीटीसी टीम के लगातार प्रयासों के कारण हुआ है। हमारे द्वारा लगातार लिस्टिंग एप्लीकेशन फ़ाइल की जा रही थी, अन्ततः जिसको कोर्ट ने संज्ञान में ले लिया तथा मामला सुनवाई पर लग गया।
यह तो सर्व विदित है, एडहॉक नियुक्ति पाए बी एड नेता नहीं चाहते हैं कि अब मुकदमा फाइनल हो, उनको मुफ़्त की नौकरी मिल गई है, और अब वह उस मुफ़्त की नौकरी से ही अपना जीवन यापन करना चाहते हैं। साथ ही साथ 25 अप्रैल को यह लोग अनैतिक रूप से समस्त सीटों पे याची नियुक्ति चाह रहे थे जबकि कोर्ट ने 24 फ़रवरी के आदेश में किसी भी याची को नियुक्त करने का आदेश नहीं दिया था। इस बार हम पिछली गलतियों को न दोहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, हमारे वकील इस बार मुस्तैदी से डटे रहेंगे, व कोर्ट को बीटीसी तथा बीएड में अंतर के साथ साथ उत्तर प्रदेश में आरटीई एक्ट के खुले उल्लंघन, अर्थात बीटीसी प्रशिक्षितों के होते हुए भी समायोजन की पूर्ण कहानी से अवगत कराएंगे। हमारे वकील इस बार टॉप मोस्ट लॉयर होंगे, जिनका नाम रणनीति के अनुसार जल्द ही ओपन कर दिया जाएगा। इस बार बीटीसी करो या मरो की स्थिति में है तो हम हर सम्भव प्रयास के लिए तत्पर हैं।

एक बीटीसी प्रशिक्षित होने के नाते मेरे डीएनए में बीटीसी ही रमा और बसा है। 72,825 भर्ती के बारे में मेरे विचार यह ही हैं कि यह भर्ती चाहें किसी भी आधार पर हो, चाहें कैसे भी हो। लेकिन इसमें एक भी नया पद नहीं बढ़ने देंगे। उत्तर प्रदेश में बीटीसी अभ्यर्थी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, उनके रहते अप्रशिक्षित बीएड वालों को नौकरी किस आधार पर दी जा रही है? क्या यह न्याय है कि एक प्रशिक्षित अध्यापक बेरोजगार बैठा है और एक अप्रशिक्षित को नौकरी के बाद प्रशिक्षण दिया जाए? ऐसे लोग जिनके टीईटी ओएमआर शीट का रिकॉर्ड तक मौजूद नहीं है। ऐसी टीईटी 2011 जिस पर दुनिया का ऐसा कोई लांछन नहीं है जो लगा न हो। वहां ही 5 5 बार टीईटी पास बीटीसी प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। यह न्याय नहीं बल्कि न्याय की आत्मा का ही खून है। वहां ही शिक्षा मित्र हैं दूसरी ओर, जो प्रशिक्षित तो हैं लेकिन आवश्यक अर्हता अर्थात टीईटी पास नहीं किये हैं। साथ ही शिक्षा मित्रों का प्रशिक्षण भी तथ्यों को छिपा कर छल से कराया गया था। यहाँ मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि फर्जी/अयोग्य/अप्रशिक्षित लोगों को अध्यापक बनाया जा रहा है जबकि सुयोग्य/साफ़-सुथरे/प्रशिक्षित टीईटी पास बीटीसी को दरकिनार किया जा रहा है। क्या हमें न्याय पाने के लिए किसी प्रकार के जादू की आवश्यकता है? नहीं। हमारे वकील को बस 10 मिनट चाहिए, समस्त अतिक्रमणकारियों का खेल खत्म हो जाएगा। प्राइमरी के लिए बीटीसी ही अर्ह होता है, किसी पर दया कर के उसको पनाह देने का अर्थ यह नहीं हो गया कि उसको अपने मकान का मालिक बना दिया जाए। बीएड को बीटीसी की अनुपस्थिति में केवल एक जुगाड़ के रूप में प्रयोग में लाया जाता था तथा शिक्षा मित्र केवल विद्यालय खोलने व बन्द करने के काम में आते थे, बीटीसी के मौजूद होने पर न तो अब जुगाड़ की आवश्यकता है और न ही टीईटी फेल अयोग्य लोगों की।
मैं सदा ही तथ्यों के साथ अपनी बात रखता हूँ, कभी भी हवा हवाई बात नहीं कहता हूँ। आज मेरी एक दो पोस्ट पढ़ कर कुछ बीएड वालों को देगी मिर्च का तड़का लग गया। मैंने लिखा था कि प्राइमरी के लिए बीटीसी अर्ह होता है न कि बीएड। अब इस बात को यह लोग हजम नहीं कर पा रहे हैं और अपना आपा खो बैठे हैं। इस बात को हजम कराने के लिए मैं कुछ तथ्य रूपी हाजमोला लेकर आया हूँ ताकि इनको उपरोक्त बातें हजम हो जाएं : आरटीई एक्ट 2009 आने के बाद बीएड प्रशिक्षितों का प्राथमिक विद्यालयों में आने का रास्ता बन्द हो गया। 23 अगस्त 2010 को जारी एनसीटीई के नोटिफिकेशन के जरिये प्राइमरी के लिए केवल द्विवर्षीय बीटीसी तथा 4 वर्षीय बीएलएड को ही मान्य किया गया। इससे एक विकट समस्या तुरन्त खड़ी हो गई। चूँकि उस समय प्रशिक्षित बीटीसी की संख्या न के बराबर थी अतः विद्यालयों में प्रशिक्षित अध्यापकों के अकाल की स्थिति उत्पन्न होने का खतरा खड़ा हो गया। इस खतरे को संज्ञान में लेते हुए एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 के अपने नोटिफिकेशन में बीएड प्रशिक्षितों को 1 जनवरी 2012 तक प्राइमरी में नियुक्त करने को मान्य कर दिया बशर्ते ऐसे बीएड धारी नियुक्ति के पश्चात् 6 माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण पूर्ण करे लें। एनसीटीई के इस कदम के बाद भी प्रशिक्षित बीटीसी की कमी बनी रही अतः उत्तर प्रदेश सरकार ने 26 जुलाई 2012 को केंद्र सरकार को एक चिठ्ठी लिखी तथा केंद्र सरकार से गिड़गिड़ करते हुए कहा कि हमारे यहाँ अभी भी प्रशिक्षित बीटीसी नहीं हैं अतः आप आरटीई एक्ट के सेक्शन 23(2) में दी गई अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए हमें बीएड धारियों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए कुछ समय और दे दो। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार की विनती को स्वीकार करते हुए 12 सितम्बर 2012 को एक नोटिफिकेशन जारी कर दिया जिसके द्वारा बीएड को पूर्व में दी गई छूट जो जनवरी 2012 में समाप्त हो गई थी, को बढ़ा कर 31 मार्च 2014 तक कर दिया। परन्तु केंद्र सरकार ने अपने उपरोक्त नोटिफिकेशन के पैरा 2(iii) में साफ़ लिख दिया कि हम बीएड को प्राइमरी में नियुक्ति की छूट दे तो रहे हैं, परन्तु नियुक्ति के समय राज्य सरकार पहले बीटीसी धारियों को नियुक्ति देगी और उसके बाद अगर रिक्तियां बचती हैं तो बीएड धारियों पर विचार किया जा सकेगा। हिंदी में कहूँ तो इस नोटिफिकेशन के अनुसार बीएड को 31 मार्च 2014 तक छूट दी अवश्य गई थी परन्तु इस शर्त पर कि कोई बीटीसी वाला न छूटे। दरअसल यह बताने की वैसे तो आवश्यकता ही नहीं हैं क्योंकि बीएड को अनुमति भी तब ही मिली थी जब बीटीसी मौजूद नहीं था तो उक्त कथन को कहने की आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि यह पहले ही साफ़ है कि न्यूनतम योग्यता से छूट तब ही सम्भव हैं जब न्यूनतम योग्यता रखने वाले व्यक्ति मौजूद न हों। मैं सत्य बात कहता हूँ और मुझे उसको कहने में कोई भय भी नहीं है। प्राइमरी अध्यापक बनने के लिए अर्हता बीटीसी है न कि बीएड। बीटीसी की गैर मौजूदगी में भले ही बीएड को मौका दे दिया जाए लेकिन जब बीटीसी मौजूद है तो बीएड का सवाल ही नहीं उठता।

आज बीएड वाले खासकर वह लोग जो याची नियुक्ति के ख्वाब सजाए हैं, बीटीसी वालों को केस की सुनवाई 26 अप्रैल लगवाने पर गरिया रहे हैं। कह रहे हैं कि बीटीसी ने हमें धोखा दिया, हमारे साथ छद्म युद्ध छेड़ दिया, फलाना ढिमाका। अरे मेरे लाल पीलो, अगर आप इतने ही योग्य हो जितना आप लोग बखान करते हो तो सुनवाई से और केस फाइनल होने से क्यों डरते हो? कहीं न कहीं तुम्हें व तुम्हारे नेताओं को भय है कि जिस दिन कोर्ट बीटीसी की असलियत से वाकिफ हो जाएगी उस दिन तुम लोगों को प्यार से पुचकार कर बाहर खिसका देगी। रही बात गद्दारी की तो गद्दारी किस बात की? गद्दारी तो बीएड वालों ने बीटीसी के साथ की। हम तो कोर्ट से बस अपना कानूनी हक मांग रहे हैं। शिक्षा मित्र केस में आपने क्या किया? केवल सुप्रीम कोर्ट से स्टे कराया बाकी का काम सब बीटीसी टीम व हमारे वकील खरे साहब का किया हुआ था। हाई कोर्ट के 91 पेज के आदेश में कहीं भी बीएड का नाम नहीं है, केवल बीटीसी की बात की गई है। श्रेय आप के नेता ऐसे लूट रहे थे जैसे सब इन्हीं का किया धरा हो। उसके बाद एस के पाठक नाम के व्यक्ति ने हमारी 15,000 भर्ती में अड़ंगा डालने की कोशिश की, टीईटी में 103 नंबरी राणा ने खुले मंच से 15000 पर स्टे लेने की बात की। अकादमिक टीम के मुखिया कपिल देव यादव ने तो सारी हदें लांघते हुए यहाँ तक कहा कि, बीटीसी वाले दूध पीते बच्चे हैं, बीटीसी को 15000 से ऊपर एक पद नहीं लेने देंगे। अरे तुम्हारे घर की खेती है जो हमें रोक लोगे? तुम हो कौन? अब किरायदार खुद मकान मालिक से कह रहा है कि तुम्हें घर में नहीं घुसने देंगे। वाह रे कलयुगी लोगों। धोखा तो तुम लोगों ने हम बीटीसी वालों को दिया है। हमारा तो एक मात्र लक्ष्य शिक्षा मित्रों को हटाना था लेकिन तुम लोगों ने हमें तुम्हारे खिलाफ मोर्चा लेने के लिए विवश कर दिया।
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