बरेली। जनपद बरेली के
साहित्य संगीत कला कुंवरपुर स्कूल में चहेतों को नौकरी दिलाने का गंदा खेल
खेला जा रहा है। जिसमें विभागीय अधिकारी भी मिले हुए हैं। बहरहाल डीएम के
आदेश पर स्कूल को बंद कर दिया गया है। जिस वजह से आधा स्टाफ बेरोजगार हो
गया है।
मामला तब पकड़ में आया जब 2 बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने अलग अलग
रिपोर्ट बना अधिकारियों को सौप दी।
ये निकाले गए
साहित्य संगीत कला अनन्त आजाद स्कूल से
निकली गईं राजेश्वरी, नमिता और ज्योति सक्सेना ने बताया कि वह कई साल से
स्कूल में कार्य कर रही थीं। लेकिन 3 अप्रैल 2016 को स्कूल प्रबंन्धन ने
स्कूल न आने का मौखिक आदेश जारी कर दिया। इसके बाद भी स्टाफ ने स्कूल जाना
बंद नहीं किया और अवैतनिक काम करते रहे।
एक भवन और 8वीं तक की क्लास
बताया कि एक ही भवन में 1-8 तक स्कूल
संचालित है। आरोप है कि प्रबंधतंत्र अपने चहेतों को नौकरी पर रखने के लिए
उन्हें नौकरी से निकाल रहा है। साथ ही बताया कि 2002 में बेसिक शिक्षा
अधिकारी प्रताप चन्द्र बघेल ने उप शिक्षा निदेशक को स्कूल की 1-8 तक
मान्यता होने का पत्र जारी किया था। स्कूल में सभी बच्चों की छात्रवृत्ति,
और पुस्तकें लगातार आती रही है लेकिन 17-8-2016 में तत्कालीन बेसिक शिक्षा
अधिकारी एश्वर्या लक्ष्मी ने जाँच कर डीएम को रिपोर्ट भेज दी। जिसमे 1-5 तक
की मान्यता और भवन की रजिस्ट्री न होने का हवाला देकर स्कूल बंद कराने की
मांग की। इसके बाद से स्कूल बंद कर दिया गया।
आकड़ो में भी किया खेल, रिश्तेदारों को मिली जगह
नमिता ने बताया कि प्रबंध तंत्र ने विभाग
से मिलीभगत कर ज्वानिंग वर्ष में भी खेल खेल दिया। बताया कि उन्होंने जुलाई
1991 में पढ़ना शुरू किया था। लेकिन आकड़ा संग्रह पत्र में ज्वानिंग 9 साल
बाद की दिखाई गयी है। यही हाल और भी स्टाफ का है। आरोप है कि प्रबंध कमेटी
के लोगों ने 6-8 तक चल रहे स्कूल में अपने रिश्तेदारों को लगा लिया है।
क्या कहते हैं BSA
बेसिक शिक्षा अधिकारी चंदना राम इकबाल ने
बताया कि मामला अभी जानकारी में नहीं है। मामले की जाँच कर कार्रवाही की
जायेगी। वही प्रबंधक हर्षित कुमार ने बताया कि महिला बेबुनियाद शिकायत कर
रही है। छात्रवृत्ति और पुस्तकें आना विभाग ही बता पायेगा। उन्होंने किसी
भी प्रबंधतंत्र के रिश्तेदार की ज्वानिंग होने से इंकार किया है जबकि
पीड़िता अधिकारियों को उनके नाम भी सौंप रही है।
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