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Blog editor : सुनवाई न होने से याचियों का कोई नुकसान नही हुआ बल्कि भविष्य में लाभ ही छुपा है

मित्रों कल की सुनवाई न होने और नेताओं की हरामिपन्ति से सभी अचयनितों का मन दुखी है, पर उम्मीद रखे हम जीतेंगे। सभी याचियों को उनका हक़ सुप्रीमकोर्ट जरूर देगा; ये मेरा विश्वास है। आप भी विश्वास और धैर्य बनाये रखे।

" #_ऊपर_वाले_के_घर_देर_है_अंधेर_नही "

कल की सुनवाई न होना ...पूर्व नियोजित था, यह 21 को ही मैंने कहा था (वॉल पर पोस्ट देख सकते हैं) । सुनवाई न होने से याचियों का कोई नुकसान नही हुआ बल्कि भविष्य में लाभ ही छुपा है।

आप सभी जानते हैं की "कैप्टन" ही सारे निर्णय लेता है अन्य सहयोगी(खिलाडी) उस निर्णय अनुसार चलते हैं; जो की "खानविलकर जी" ने भी किया।

"उत्तर प्रदेश" .. हर मामले में भारत का सबसे प्रमुख राज्य है। वर्तमान में यूपी में सत्ता पलट होने जा रहा है जिसका अंदाजा आज आप भी लगा ही लिए होंगे, जिसे दीपक मिश्रा जी की दूर दृस्टि ने पहले ही भाप लिया था।
(यह अटल सत्य है की यूपी में केंद्र की सरकार आ रही है और उनके घोसणा पत्र में सुप्रीमकोर्ट के निर्णय का अंश समाहित है।)

शिक्षामित्र मुद्दा उनकी संख्या, संगठन शक्ति, कम शिक्षित एवं गवारुपन के कारन सभी राजनितिक पार्टियों को आकर्षित किये हुए है।

दीपक मिश्रा जी 1 लाख 72 हजार परिवारों के पेट पर लात नही मारना चाहते हैं। वो चाहते हैं "सांप भी मर जाए लाठी भी न टूटे" , जिस कारण वो 2015 से ही डेट-डेट के खेल से शिक्षामित्रों को वेंटिलेटर पर एवं बीएड बेरोजगारों को याची लाभ के द्वारा जीवित रखे हैं ।
चूँकि अमित शाह जी द्वारा शिक्षामित्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के किये वादे के पुरे होने तक (3माह) मिश्रा जी इस केस को और खीचना चाहते हैं, इस लिए खानविलकर जी को माध्यम बना दिए।

यदि शिक्षामित्रों के लिए कोई विकल्प सरकार (कोई भी) नही बनाती है तो अंत में तो उन्हें मिश्रा जी बाहर करेंगे ही और बीएड वालों को अवसर उपलब्ध् कराएंगे (कारन बीएड वालो के लिए यह अंतिम अवसर है,जिसे वो बखूबी जानते हैं और यूपी की पिछली सरकारों द्वारा किये गए सौतेले व्यवहार से भी परिचित हैं)।

नोट-
1- यह मेरे व्यक्तिगत विचार हैं जो वर्तमान परिस्थितियों पर आधारित हैं। आपके विचारों से मतभेद हो सकता है, पर इस विचार को स्वीकारने के अलावा अन्य कोई विकल्प आपके पास नही है।
2- नेताओं के पास 7 दिसंबर 2015 से अब तक (22 फरवरी 17) इतना पैसा पड़ा है की... वरिष्ट अधिवक्ताओं की फ़ौज अगले 5-10-15 सुनवाई में भी ख़त्म न हो।
3- नेताओं उर्फ़ चयनितों में से अब कोई 1 रुपया भी मांगे तो उसकी चड्ढी भी उससे छिन कर रुपयों के बराबर जूतों की बौछार करने में जरा भी संकोच न करें।
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