आरोप प्रत्यारोप का दौर चरम पर है यहां एक एक याची घुटघुटकर जीने को मजबूर है...

आरोप प्रत्यारोप का दौर चरम पर है यहां एक एक याची घुटघुटकर जीने को मजबूर है... पर हमारी भावनाओ से किसी को कोई मतलब नही.. मै आज सभी नेताओ से निवेदन करता हूँ पैसाे के लिये न लडे़ हमे न्याय चाहिए आपकी लड़ाई से नही मतलब... और हा मै आज महाकाल की कसम खाकर कहता हूं आप हमे शीघ्र नियुक्ति दिलाओ मै नियुक्ति के बाद एक के बजाये दो हजार दूंगा...
लेकिन हमे अब आपकी लड़ाई और हिसाब से नही मतलब हमे रोटी चाहिए... मा बाप के चेहरे की हसी चाहिये सम्मान की जिंदगी चाहिये... अपना भविष्य चाहिए... बहन की जरूरत बनना है.. पड़ोसियो का उपहास नही चाहिए.. हमे न्याय चाहिए बहुत धैर्य रख चुका है याची... हमे आपसे हिसाब नही चाहिए हिसाब लेकर हमे रोटी नही मिलेगी न न्याय मिलेगा... आपसी मतभेद दूर करे... न्याय के लिये प्रयास करे... और हा नियुक्ति के बाद आप लोगो को पैसा चाहिए तो मै एक के बजाय दो दूंगा जो भी नियुक्ति दिलायेगा... यहां किसी का बेटा किसी का पिता किसी का पति किसी का भाई है जो योग्यता होते हुये भी घुटघुट कर पांच सालो से जी रहा हर सुनवाई पर यही सोचता है कि शायद अब उसके कष्ट दूर हो जाये पर होता क्या है तारीख और फिर आरोप प्रत्यारोप.. लड़ाई... हमे न्याय चाहिए किसी को मेरा ये पोस्ट बुरा लगा हो तो माफी चाहता हूँ पर पैसो के लिये किसी की भावनाओं के साथ न खिलवाड़ करे... दुखित और द्रवित मन से लिखा हूं आज ये पोस्ट... ईश्वर न्याय करे... आपका याची अनुज सौरभ..
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