जौनपुर। संतकबीर नगर जिले में तैनात बीएसए गजराज
प्रसाद यादव जौनपुर में अपनी तैनाती के दौरान चर्चाओं में रहे हैं। नियम
विरुद्ध शासनादेश को ताक पर रखकर काम करना उनकी आदत में शुमार था। ऐसी ही
खामियों के चलते संतकबीरनगर में विजिलेंस के हत्थे चढ़ गए।
इटावा जिले के अमिताभ बच्चन राजकीय इंटर कॉलेज सैफई में प्रिंसिपल के रूप में तैनात रहे गजराज प्रसाद यादव 15 अप्रैल 2016 को जौनपुर में बीएसए के रूप में कार्यभार संभाले थे, गजराज प्रसाद को परमहंस यादव के स्थान पर बीएसए की जिम्मेदारी मिली थी, परमहंस यादव जौनपुर से मंडल मुख्यालय आजमगढ़ भेज दिए गए थे, सूत्र बताते हैं कि गजराज प्रसाद यादव अपनी तैनाती के दौरान 400 सहायक अध्यापकों की तैनाती नियम विरुद्ध तरीके से की था। यह वह शिक्षक है जो शिक्षामित्र से पदोन्नति पाकर सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती पाए थे नियम शासनादेश था कि शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने शिक्षकों को स्थानांतरित न किया जाए।
खुलेआम मांगी जाती थी रिश्वत
इसके लिए सचिव बेसिक शिक्षा का आदेश आया था लेकिन 25 से 40 हजार रुपए का खुला रेट उनके कुछ खास ने खोल रखा था इनमें अभी हाल में विजिलेंस के हत्थे चढ़े रमेश प्रजापति व मौजूदा समय कार्यालय में प्रधान लिपिक का काम देख रहे दो बाबू की भूमिका खास है। गजराज प्रसाद ने बंद और एकल विद्यालयों में भी तैनात शिक्षकों को अन्य ट्रांसफर कर दिया।
खुद को बताते थे सपा नेताओं का रिश्तेदार
जिसके खिलाफ शिक्षक नेताओं ने पिछले दिनों दफ्तर में धरना प्रदर्शन किया था जौनपुर में कार्यभार ग्रहण करते ही गजराज प्रसाद यादव खुद को सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का रिश्तेदार बताते थे, उनके नाम पर वसूली के लिए सिकरारा ब्लाक क्षेत्र का एक शिक्षक पूरे दिन दफ्तर में बैठा रहता था , जो दफ्तर यहीं से चलाते हो भ्रष्टाचार के बड़े मामले की शिकायत शासन स्तर पर जौनपुर में तैनात रहे सपा के पूर्व मंत्री और विधायकों ने खुद पूर्व सीएम से किया तो आनन-फानन में गजराज प्रसाद को जौनपुर से संतकबीरनगर का बीएसए बना कर भेज दिया गया।
डीएम को मिली थी शिकायत
7 अक्टूबर 2016 को उनका तबादला संत कबीर नगर के लिए हुआ। यूं कहें कि 5 महीना 22 दिन की तैनाती चर्चा का विषय में गजराज प्रसाद ने जिले के कस्तूरबा विद्यालयों में अपने ही मनचाहे 12 लोगों को परिचारक चपरासी व पार्ट टाइम शिक्षक के रूप में तैनाती भी करवा दिया है। इसकी शिकायत तत्कालीन डीएम भानुचंद्र गोस्वामी से हुई थी लेकिन सपा में रसूखदार होने के नाते मामले को फाइल दबा दी गई।
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खुलेआम मांगी जाती थी रिश्वत
इसके लिए सचिव बेसिक शिक्षा का आदेश आया था लेकिन 25 से 40 हजार रुपए का खुला रेट उनके कुछ खास ने खोल रखा था इनमें अभी हाल में विजिलेंस के हत्थे चढ़े रमेश प्रजापति व मौजूदा समय कार्यालय में प्रधान लिपिक का काम देख रहे दो बाबू की भूमिका खास है। गजराज प्रसाद ने बंद और एकल विद्यालयों में भी तैनात शिक्षकों को अन्य ट्रांसफर कर दिया।
खुद को बताते थे सपा नेताओं का रिश्तेदार
जिसके खिलाफ शिक्षक नेताओं ने पिछले दिनों दफ्तर में धरना प्रदर्शन किया था जौनपुर में कार्यभार ग्रहण करते ही गजराज प्रसाद यादव खुद को सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का रिश्तेदार बताते थे, उनके नाम पर वसूली के लिए सिकरारा ब्लाक क्षेत्र का एक शिक्षक पूरे दिन दफ्तर में बैठा रहता था , जो दफ्तर यहीं से चलाते हो भ्रष्टाचार के बड़े मामले की शिकायत शासन स्तर पर जौनपुर में तैनात रहे सपा के पूर्व मंत्री और विधायकों ने खुद पूर्व सीएम से किया तो आनन-फानन में गजराज प्रसाद को जौनपुर से संतकबीरनगर का बीएसए बना कर भेज दिया गया।
डीएम को मिली थी शिकायत
7 अक्टूबर 2016 को उनका तबादला संत कबीर नगर के लिए हुआ। यूं कहें कि 5 महीना 22 दिन की तैनाती चर्चा का विषय में गजराज प्रसाद ने जिले के कस्तूरबा विद्यालयों में अपने ही मनचाहे 12 लोगों को परिचारक चपरासी व पार्ट टाइम शिक्षक के रूप में तैनाती भी करवा दिया है। इसकी शिकायत तत्कालीन डीएम भानुचंद्र गोस्वामी से हुई थी लेकिन सपा में रसूखदार होने के नाते मामले को फाइल दबा दी गई।
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