जागरण संवाददाता, एटा: बीएड की फर्जी डिग्रियों की चल रही जांच के
मामले में फर्जीवाड़ा धीरे-धीरे खुल रहा है। इस मध्य बताया जा रहा है कि
बेसिक शिक्षा विभाग के ही तमाम लोगों के परिजन भी इस फर्जीवाड़ा में सामने आ
सकते हैं।
कारण यह है कि उन दिनों हुईं नियुक्तियों में विभाग के ही कुछ लोगों ने फर्जीवाड़े का सहारा लेकर अपने परिजनों और निकट संबंधियों की फर्जी डिग्रियों से नियुक्तियां करा दीं।
जिले में फर्जी बीएड की डिग्रियों को लेकर चल रही जांच में लगभग तीन दर्जन लोगों को चिन्हित किया जा चुका है, लेकिन सीडी में फर्जीवाड़ा काफी बड़ा होने के कारण विभाग को आगे के चिन्हांकन में कुछ समस्याएं जरूर आईं हैं।
वर्ष 2004 के बाद शिक्षकों की बंपर भर्तियां विशिष्ट बीटीसी के द्वारा हुईं थीं। यह ऐसा मौका था कि डिग्री धारियों को शिक्षक बनने में ज्यादा परेशानियां नहीं थीं। उसी समय चयन प्रक्रिया या फिर किसी न किसी रूप में शिक्षा विभाग से संपर्क रखने वाले लोगों ने भी मौके का फायदा उठाने के लिए हाथ बढ़ाए। बताया जाता है कि डायट, शिक्षा विभाग से जुड़े तमाम लोगों ने फर्जीवाड़े का सहारा लेकर बीएड की मार्कशीटें अपनी पुत्र, पुत्रवधू, भाई व अन्य रिश्तेदारों के लिए उपलब्ध कराईं और लगातार भर्ती चलने के मध्य उन्हें शिक्षक बना दिया। माना जा रहा है कि बीएड डिग्रियों की अंतिम जांच तक फर्जीवाड़े में विभाग की नजदीकियों के ही खास लोग फंसने से इंकार नहीं किया जा सकता है। फिलहाल कुछ ऐसे ही लोगों में बीएड डिग्रियों की जांच उनके चेहरों की हवाइयां उड़ा रही है।
ब्लॉकों से नहीं आईं सूचनाएं
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विभाग ने जल्दी से जल्दी जांच प्रक्रिया पूरी करने के लिए सभी ब्लॉकों से उन शिक्षकों की डिग्रियों का ब्योरा मांगा था। जिनकी नियुक्तियां 2004 के बाद की बीएड डिग्रियों से हुई है। कारण यही था कि उनकी डिग्रियों का मिलान आसानी से हो जाता और फर्जी मार्कशीटों वाले शिक्षक भी आसानी से चिन्हित हो जाते। मार्कशीटों को जुटाने में मुश्किलें हो रही हैं। इसी कारण जांच प्रक्रिया की गति फिलहाल धीमी पड़ी है। बीएसए एसके तिवारी का कहना है कि ब्लॉकों से सूचना मिलते ही जांच प्रक्रिया तेज होगी और फर्जी डिग्री धारकों की सही स्थिति सामने आ जाएगी।
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कारण यह है कि उन दिनों हुईं नियुक्तियों में विभाग के ही कुछ लोगों ने फर्जीवाड़े का सहारा लेकर अपने परिजनों और निकट संबंधियों की फर्जी डिग्रियों से नियुक्तियां करा दीं।
जिले में फर्जी बीएड की डिग्रियों को लेकर चल रही जांच में लगभग तीन दर्जन लोगों को चिन्हित किया जा चुका है, लेकिन सीडी में फर्जीवाड़ा काफी बड़ा होने के कारण विभाग को आगे के चिन्हांकन में कुछ समस्याएं जरूर आईं हैं।
वर्ष 2004 के बाद शिक्षकों की बंपर भर्तियां विशिष्ट बीटीसी के द्वारा हुईं थीं। यह ऐसा मौका था कि डिग्री धारियों को शिक्षक बनने में ज्यादा परेशानियां नहीं थीं। उसी समय चयन प्रक्रिया या फिर किसी न किसी रूप में शिक्षा विभाग से संपर्क रखने वाले लोगों ने भी मौके का फायदा उठाने के लिए हाथ बढ़ाए। बताया जाता है कि डायट, शिक्षा विभाग से जुड़े तमाम लोगों ने फर्जीवाड़े का सहारा लेकर बीएड की मार्कशीटें अपनी पुत्र, पुत्रवधू, भाई व अन्य रिश्तेदारों के लिए उपलब्ध कराईं और लगातार भर्ती चलने के मध्य उन्हें शिक्षक बना दिया। माना जा रहा है कि बीएड डिग्रियों की अंतिम जांच तक फर्जीवाड़े में विभाग की नजदीकियों के ही खास लोग फंसने से इंकार नहीं किया जा सकता है। फिलहाल कुछ ऐसे ही लोगों में बीएड डिग्रियों की जांच उनके चेहरों की हवाइयां उड़ा रही है।
ब्लॉकों से नहीं आईं सूचनाएं
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विभाग ने जल्दी से जल्दी जांच प्रक्रिया पूरी करने के लिए सभी ब्लॉकों से उन शिक्षकों की डिग्रियों का ब्योरा मांगा था। जिनकी नियुक्तियां 2004 के बाद की बीएड डिग्रियों से हुई है। कारण यही था कि उनकी डिग्रियों का मिलान आसानी से हो जाता और फर्जी मार्कशीटों वाले शिक्षक भी आसानी से चिन्हित हो जाते। मार्कशीटों को जुटाने में मुश्किलें हो रही हैं। इसी कारण जांच प्रक्रिया की गति फिलहाल धीमी पड़ी है। बीएसए एसके तिवारी का कहना है कि ब्लॉकों से सूचना मिलते ही जांच प्रक्रिया तेज होगी और फर्जी डिग्री धारकों की सही स्थिति सामने आ जाएगी।
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