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यूपी बेसिक शिक्षा को मिली सिर्फ उम्मीदों की बैसाखी, सभी योजनाओं पर भारी पड़ा 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सुप्रीम कोर्ट का फैसला

पांच साल तक तमाम विवादों में घिरी प्राथमिक शिक्षा को नई सरकार से उम्मीदें थीं लेकिन उसे चुनावी घोषणाओं के तिरपाल से ढंकने की कोशिशें हुईं। सरकार ने पहली बार डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों को जूते-मोजे मुहैया कराए, हालांकि उनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल अब भी बरकरार है।
शैक्षिक कैलेंडर जारी हुआ लेकिन वह दीवारों पर टंगने जैसा ही रहा। जाड़ों में स्वेटर बांटने की घोषणा को अफसर अंजाम देते-देते आधा जाड़ा पार कर गए। जुलाई से निश्शुल्क पुस्तकें, ड्रेस और बैग बांटने की तैयारी हुई लेकिन, इस पर सितंबर से ही अमल हो पाया। इसके इतर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नई और पुरानी भर्तियों को पूरा करने की प्रक्रिया जनवरी में आचार संहिता के कारण रोक दी गई। इन सारी कवायदों पर भारी पड़ा सुप्रीम कोर्ट का फैसला जिसने 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद कर दिया।

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