अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से होंगी सभी भर्तियां: कम अंक वालों के सिलेक्ट हो जाने और ज्यादा अंक वालों के सिलेक्ट न होने पर भी रीता जोशी ने दिया स्पष्टीकरण

रीता जोशी ने कहा, कंपनी के ब्लैकलिस्टेड होने की बात कही जा रही थी। हमने दो दिन तक इसका परीक्षण करवाया। पश्चिम बंगाल समेत अन्य जगहों पर जहां इसने काम किया है, पता लगवाया और पाया कि कंपनी कभी भी ब्लैकलिस्ट नहीं हुई। उन्होंने बताया कि कंपनी को टेंडर प्रक्रिया के मुताबिक चुना गया था।
इनका ट्रैक रेकॉर्ड भी चेक करवाया गया था, जो बेहतर था। जीएम (एचआर) पर हुए ऐक्शन पर उन्होंने बताया कि हमने उनसे काम वापस ले लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें यह कटऑफ चेक करना चाहिए था। चूक उनसे हुई। उनकी भूमिका की जांच करवानी है। हालांकि उनका सस्पेंशन नहीं हुआ है।

अधिकारियों की भूमिका की होगी जांच : जब स्वास्थ्य विभाग में दो बार आग लगने और इसके आरोपितों के अब तक पदों पर बरकरार रहने की बात आई तो रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि इन सब तरह की बातों पर भूमिका की जांच करवा ली जाएगी। एनएचएम की सलाहकारों में एक विजयलक्ष्मी और स्वास्थ्य निदेशालय के एक जेडी एके सिंह की बात उन्होंने की।•एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत स्टाफ नर्स, एएनएम, पीआरओ, लैब टेक्निशन और लैब अटेंडेंट की भर्ती के लिए परीक्षा परिणामों में कथित गड़बड़ी पर गुरुवार को महिला एवं बाल विकास मंत्री प्रो़ रीता बहुगुणा जोशी ने सफाई दी। एनेक्सी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि इसमें घोटाला नहीं हुआ बल्कि परीक्षा परिणाम जारी करने में चूक हुई है। रीता जोशी ने कहा कि इस बार एक एजेंसी के जरिए परीक्षाएं करवाई गई थीं। हालांकि अब फैसला लिया गया है कि एनएचएम के तहत भविष्य में होने वाली भर्तियों को अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिए ही करवाया जाएगा।

 कम अंक वालों के सिलेक्ट हो जाने और ज्यादा अंक वालों के सिलेक्ट न होने पर भी रीता जोशी ने स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, पिछली सरकारों में जिला स्तर पर भर्तियां की जाती थीं और सीएमओ जो कि जिले का विभागीय मुखिया होता था, वही भर्तियां करवाता था। हालांकि इसमें काफी गड़बड़ी की बात सामने आती थी। इसलिए फैसला लिया था कि हम मंडलवार भर्तियां करवाएंगे। जिले में भर्ती की जिम्मेदारी डीएम की तय की गई। भर्तियों का विज्ञापन निकालने के दौरान ही हमने जिलों की रिक्तियां घोषित की थीं। आवेदन की शर्तों में स्पष्ट था कि व्यक्ति एक ही जिले में आवेदन कर सकता है। रीता जोशी ने उदाहरण दिया कि अमेठी में एक पद था और चार लोगों ने परीक्षा दी। अभ्यर्थी को अधिकतम नंबर तीन मिले। वहीं आजमगढ़ में 81 पद थे और 1,444 लोगों ने आवेदन किया और यहां सर्वाधिक अंक 68 मिले जबकि न्यूनतम 22। तीन वाला तो अपने जिले का टॉपर है जबकि 22 वाला नहीं।

न्यूनतम कटऑफ वालों को भी बाहर नहीं किया गया था : रीता जोशी ने कहा कि जो लिस्ट जारी हुई थी उसमें न्यूनतम कट ऑफ की शर्त पूरा करने वालों को बाहर नहीं किया गया था। यहीं चूक हुई है। लिहाजा इसे केवल चूक ही कहा जाएगा, घोटाला नहीं। केंद्र सरकार की गाइडलाइन है कि किसी भी परीक्षा में पास होने के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को 33%, ओबीसी को 30% और एससी/एसटी को 24% नंबर पाने होंगे। तीन नंबर पाने वाला अभ्यर्थी इस शर्त को पूरा नहीं करता। रिजल्ट जारी करने से पहले यही देखना था, जो नहीं देखा गया। सरकार इसे स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि

ऐसे 258 लोग थे, जिन्हें हटाकर नई सूची जारी कर दी गई है। किसी के नंबरों में कोई बदलाव नहीं है।


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