लखनऊ : योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में आने वाली अड़चनों को दूर करने की गरज से सरकार ने परियोजनाओं की पुनरीक्षित लागत के प्रस्तावों के मूल्यांकन की व्यवस्था में संशोधन किया है।
पहले परियोजना की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर अत्यंत कम धनराशि के प्रस्ताव भी व्यय वित्त समिति को भेजे जाते थे लेकिन, सरकार ने तय किया है कि 25 करोड़ रुपये तक की पुनरीक्षित लागत के प्रस्ताव को प्रशासकीय विभाग खुद मंजूरी दे सकेंगे। इससे अधिक के प्रस्तावों का परीक्षण ही व्यय वित्त समिति को भेजा जाएगा। 1मंगलवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। इसके समेत कुल सात फैसले किये गए। राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में व्यय वित्त समिति गठित है। परियोजनाओं की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर ऐसे सभी पुनरीक्षित प्रस्ताव व्यय वित्त समिति के पास भेजे जाने की वजह से योजनाओं में विलंब होने के साथ-साथ जनशक्ति पर भी बोझ पड़ता है। इसलिए कैबिनेट ने इस संशोधन प्रस्ताव को मंजूर किया है।
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