इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच में आयोग के पूर्व अधिकारियों और उन परीक्षकों को सामने बैठा कर पूछताछ होगी जिन्होंने कॉपियों के परीक्षण के बदले भुगतान नहीं लिया। कॉपियों का परीक्षण कर भुगतान न लेने या नकद भुगतान लेने के पीछे सीबीआइ को परीक्षकों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत ऐसे परीक्षकों को सीबीआइ की ओर से समन भेजा जा चुका है। 1पांच साल के दौरान हुई सभी भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ अफसरों ने पीसीएस 2015 में अब तक कई गंभीर खामियों को ढूंढ निकाला है। पांच मई को दिल्ली मुख्यालय में आयोग के खिलाफ पहली एफआइआर दर्ज करने के बाद जांच अधिकारियों ने अपनी कार्यवाही तेजी से शुरू कर दी है। कई पूर्व अधिकारियों को समन भेजा जा चुका है, जिनसे इसी हफ्ते पूछताछ होने के आसार हैं। सीबीआइ अफसरों ने अप्रैल माह में उन परीक्षकों का ब्योरा जुटा लिया था जिनके बारे में पता चला था कि उन्हें उत्तर पुस्तिकाओं के परीक्षण के बदले भुगतान या तो नकद दिया गया या फिर दिया ही नहीं गया। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ कई विवि में कार्यरत कई ऐसे परीक्षकों को समन भेज चुकी है। जिन्हें सीबीआइ के इलाहाबाद कैंप कार्यालय बुलाकर यह पूछा जाएगा कि परीक्षण के बदले भुगतान न लेने के पीछे कौन सी प्रमुख वजह है। इनका आयोग के पूर्व अधिकारियों से सामना भी कराकर सीबीआइ के विशेषज्ञ पूछताछ कर सकते हैं।
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