गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जनपद के परिषदीय विद्यालयों में 234
शिक्षकों की छह माह पूर्व नियुक्ति हुई थी। तैनाती के बाद उनके अभिलेखों को
सत्यापन के लिए संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालय को भेजा गया है। सत्यापन
में देरी के कारण शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है।
इसको लेकर शिक्षक संगठनों में नाराजगी है। शिक्षक संगठनों ने शपथ लेकर वेतन भुगतान करने की मांग की है। हालांकि विभाग का कहना है कि प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के बगैर वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता।
बेसिक शिक्षा विभाग में इसी साल मई में 12460 शिक्षक-भर्ती की गई। काउंसिलिंग के बाद प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर इनकी तैनाती कर दी गई। तभी से विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन छह माह बीत जाने के बाद वेतन के नाम पर एक रुपये भुगतान नहीं किया गया। नवनियुक्त शिक्षक हर दिन बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। उनके सामने आर्थिक तंगी शुरू हो गई है। कई शिक्षक कर्जदार हो गए हैं। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालय को कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया है। वहीं विभागीय लोगों का कहना है कि अबतक करीब 65 नवनियुक्त शिक्षकों का सत्यापन होकर आया है। उन शिक्षकों को वेतन आदेश जारी कर दिए गए हैं। वहीं कुछ अन्य शिक्षकों को 20 दिसंबर तक वेतन आदेश जारी करने की तैयारी है। बता दें कि नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन भुगतान की मांग को लेकर शिक्षक संगठनों ने बीएसए को कई बार मांग-पत्र दिया है। संगठन का कहना है कि सत्यापन में देरी से वेतन भुगतान में भी देरी हो रही है। इसको देखते हुए शपथ-पत्र लेकर वेतन भुगतान किया जाए। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी माधवजी तिवारी ने बताया कि सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन होने पर वेतन भुगतान की कार्रवाई की जाएगी।
जनपद में आठ वर्षों में हुईं शिक्षक भर्तियों की जांच शुरू
उधर, बेसिक शिक्षा विभाग में आठ सालों में की गई शिक्षक भर्तियों की जांच शुरू हो गई है। एडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने बैठक कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से नियुक्ति से संबंधित समस्त पत्रावली को तलब किया है। इसको लेकर फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षकों में खलबली मच गई है। विभागीय लोगों की मानें तो जनपद में फर्जीवाड़ा के कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। फिलहाल अफसरों की जांच पर सबकी निगाहें हैं।
शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2010 से अब तक शिक्षकों की नियुक्ति की जांच के आदेश दिए हैं। शासन ने एडीएम की अध्यक्षता में अपर पुलिस अधीक्षक व उप निदेशक बेसिक शिक्षा की त्रिस्तरीय कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया। इसको देखते हुए डीएम अमित किशोर ने एडीएम प्रशासन राकेश कुमार पटेल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की, जिसमें एएसपी दक्षिणी शिष्यपाल व एडी बेसिक शिक्षा गोरखपुर सत्यप्रकाश त्रिपाठी शामिल हैं। एक दिन पूर्व जांच कमेटी ने बैठक कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से नियुक्तियों के संबंध में ब्योरा तलब किया है। विभागीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2010 से 2013 तक की नियुक्तियां डायट के माध्यम से की गई, जबकि 2013 से अबतक की नियुक्तियां बीएसए ने की है। अब तक करीब तीन हजार शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं। इन नियुक्तियों के निवास प्रमाण-पत्र की जांच की जाएगी। इसके लिए पुलिस वेरीफिकेशन कराया जाएगा, ताकि पता चल सके कि कोई एक ही व्यक्ति के प्रमाण-पत्रों व अभिलेखों के आधार पर कोई दो जगहों पर नौकरी तो नहीं कर रहा है। दूसरे जनपद में तैनात शिक्षकों के अभिलेखों पर जनपद में कई लोग फर्जी तरीके से नौकरी करते हुए पाए गए हैं, लेकिन अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी माधवजी तिवारी ने बताया कि कमेटी ने सूचना मांगा है। 2010 से अब तक प्राथमिक विद्यालयों में हुई भर्तियों का विवरण तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कमेटी को सभी अभिलेख उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
इसको लेकर शिक्षक संगठनों में नाराजगी है। शिक्षक संगठनों ने शपथ लेकर वेतन भुगतान करने की मांग की है। हालांकि विभाग का कहना है कि प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के बगैर वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता।
बेसिक शिक्षा विभाग में इसी साल मई में 12460 शिक्षक-भर्ती की गई। काउंसिलिंग के बाद प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर इनकी तैनाती कर दी गई। तभी से विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन छह माह बीत जाने के बाद वेतन के नाम पर एक रुपये भुगतान नहीं किया गया। नवनियुक्त शिक्षक हर दिन बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। उनके सामने आर्थिक तंगी शुरू हो गई है। कई शिक्षक कर्जदार हो गए हैं। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालय को कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया है। वहीं विभागीय लोगों का कहना है कि अबतक करीब 65 नवनियुक्त शिक्षकों का सत्यापन होकर आया है। उन शिक्षकों को वेतन आदेश जारी कर दिए गए हैं। वहीं कुछ अन्य शिक्षकों को 20 दिसंबर तक वेतन आदेश जारी करने की तैयारी है। बता दें कि नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन भुगतान की मांग को लेकर शिक्षक संगठनों ने बीएसए को कई बार मांग-पत्र दिया है। संगठन का कहना है कि सत्यापन में देरी से वेतन भुगतान में भी देरी हो रही है। इसको देखते हुए शपथ-पत्र लेकर वेतन भुगतान किया जाए। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी माधवजी तिवारी ने बताया कि सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन होने पर वेतन भुगतान की कार्रवाई की जाएगी।
जनपद में आठ वर्षों में हुईं शिक्षक भर्तियों की जांच शुरू
उधर, बेसिक शिक्षा विभाग में आठ सालों में की गई शिक्षक भर्तियों की जांच शुरू हो गई है। एडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने बैठक कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से नियुक्ति से संबंधित समस्त पत्रावली को तलब किया है। इसको लेकर फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षकों में खलबली मच गई है। विभागीय लोगों की मानें तो जनपद में फर्जीवाड़ा के कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। फिलहाल अफसरों की जांच पर सबकी निगाहें हैं।
शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2010 से अब तक शिक्षकों की नियुक्ति की जांच के आदेश दिए हैं। शासन ने एडीएम की अध्यक्षता में अपर पुलिस अधीक्षक व उप निदेशक बेसिक शिक्षा की त्रिस्तरीय कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया। इसको देखते हुए डीएम अमित किशोर ने एडीएम प्रशासन राकेश कुमार पटेल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की, जिसमें एएसपी दक्षिणी शिष्यपाल व एडी बेसिक शिक्षा गोरखपुर सत्यप्रकाश त्रिपाठी शामिल हैं। एक दिन पूर्व जांच कमेटी ने बैठक कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से नियुक्तियों के संबंध में ब्योरा तलब किया है। विभागीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2010 से 2013 तक की नियुक्तियां डायट के माध्यम से की गई, जबकि 2013 से अबतक की नियुक्तियां बीएसए ने की है। अब तक करीब तीन हजार शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं। इन नियुक्तियों के निवास प्रमाण-पत्र की जांच की जाएगी। इसके लिए पुलिस वेरीफिकेशन कराया जाएगा, ताकि पता चल सके कि कोई एक ही व्यक्ति के प्रमाण-पत्रों व अभिलेखों के आधार पर कोई दो जगहों पर नौकरी तो नहीं कर रहा है। दूसरे जनपद में तैनात शिक्षकों के अभिलेखों पर जनपद में कई लोग फर्जी तरीके से नौकरी करते हुए पाए गए हैं, लेकिन अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी माधवजी तिवारी ने बताया कि कमेटी ने सूचना मांगा है। 2010 से अब तक प्राथमिक विद्यालयों में हुई भर्तियों का विवरण तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कमेटी को सभी अभिलेख उपलब्ध करा दिए जाएंगे।