लखनऊ
बेसिक शिक्षा विभाग
में होने वाली 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन बुधवार को आने
की उम्मीद है। बुधवार से आवेदन प्रक्रिया शुरू होनी है।
खास बात यह है कि शिक्षक भर्ती में पहले से कोई कटऑफ तय नहीं किया गया है। इसका सीधा फायदा शिक्षामित्रों को होगा क्योंकि उन्हें मिलने वाले अतिरिक्त वेटेज से रेस में आगे निकल जाएंगे। वहीं, अन्य अभ्यर्थियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा कड़ी हो जाएगी।
पिछली शिक्षक भर्ती में पहले से ही न्यूनतम कटऑफ अनारक्षित संवर्ग व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 45% और एससी-एसटी के लिए 40% तय कर दी गई थी। इसका असर यह हुआ कि 68,500 पदों के लिए परीक्षा में बैठे 1.07 लाख अभ्यर्थियों में महज 41556 अभ्यर्थी ही पास हुए। परीक्षा में बैठने वाले 34,311 शिक्षामित्र थे, जिनमें से केवल 7224 ही क्वालिफाई कर पाए। कटऑफ पहले से तय होने के कारण परीक्षा में पास सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बाद भी करीब 28 हजार पद खाली रह गए थे इसलिए इस बार पहले से कटऑफ तय ही नहीं किया गया है। परीक्षा के बाद रिजल्ट घोषित होने पर पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार न्यूनतम कटऑफ तय किया जाएगा।
वेटेज ऐसे डालेगा असर
पिछली भर्ती में जो भी अभ्यर्थी क्वालिफाई हुआ, उसको नौकरी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो भर्तियों में अवसर देने और वेटेज देने का निर्देश दिया था। इसके तहत शिक्षामित्रों को अनुभव के आधार पर 2.5 अंक प्रतिवर्ष और अधिकतम 25 अंक वेटेज मिलना है। पिछली परीक्षा में वेटेज का फायदा उन्हीं शिक्षामित्रों को मिलता, जो लिखित परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ की सीमा रेखा पार करते। हालांकि, इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। अब चूंकि कोई न्यूनतम कटऑफ नहीं होगा तो शिक्षामित्रों की मेरिट उनके लिखित परीक्षा में पाए मूल अंक में वेटेज जोड़कर बनेगी। ऐसे में अगर कोई दस वर्ष पुराना शिक्षामित्र परीक्षा में बैठा है और उसने 25 अंक हासिल किए हैं तो भी 25 अंक का वेटेज जोड़कर उसके 50 अंक हो जाएंगे। ऐसे में गैर-शिक्षामित्र अभ्यर्थियों पर वे नौकरी की रेस में भारी पड़ेंगे। इससे पिछली बार की अपेक्षा इस बार अधिक शिक्षामित्रों को नौकरी मिलने की उम्मीद है।
ऐकडेमिक मेरिट भी इस बार होगी अहम
पिछली भर्ती में पद के सापेक्ष अभ्यर्थी न होने के कारण ऐकेडमिक मेरिट का कोई महत्च नहीं रह गया था। इस बार इसकी भूमिका अहम होगी। भर्ती की फाइनल मेरिट 60% लिखित परीक्षा के अंक और 40% ऐकेडमिक वेटेज मिलाकर बनेगी। इसमें हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रैजुएशन, बीटीसी/बीएड सब पर 10-10 अंक के अधिकतम वेटेज होंगे। शिक्षक भर्ती परीक्षा में टीईटी क्वालिफाई अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे। प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए बीएड को योग्य मानने के बाद अभ्यर्थियों के संख्या में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। टीईटी के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। पिछली बार प्राथमिक स्तर पर टीईटी में केवल 2.76 लाख अभ्यर्थी बैठे थे और उसमें महज 48 हजार ही सफल हो पाए थे। इस बार टीईटी प्राथमिक स्तर में 11 लाख से अधिक अभ्यर्थी बैठे हैं जो पिछली बार का लगभग 4 गुना है। इसके चलते शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी आवेदकों की संख्या काफी बढ़ेगी। पद के सापेक्ष अभ्यर्थियों की रेस में वही आगे निकल सकेंगे जिनकी एकेडमिक मेरिट भी बेहतर होगी।
खास बात यह है कि शिक्षक भर्ती में पहले से कोई कटऑफ तय नहीं किया गया है। इसका सीधा फायदा शिक्षामित्रों को होगा क्योंकि उन्हें मिलने वाले अतिरिक्त वेटेज से रेस में आगे निकल जाएंगे। वहीं, अन्य अभ्यर्थियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा कड़ी हो जाएगी।
पिछली शिक्षक भर्ती में पहले से ही न्यूनतम कटऑफ अनारक्षित संवर्ग व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 45% और एससी-एसटी के लिए 40% तय कर दी गई थी। इसका असर यह हुआ कि 68,500 पदों के लिए परीक्षा में बैठे 1.07 लाख अभ्यर्थियों में महज 41556 अभ्यर्थी ही पास हुए। परीक्षा में बैठने वाले 34,311 शिक्षामित्र थे, जिनमें से केवल 7224 ही क्वालिफाई कर पाए। कटऑफ पहले से तय होने के कारण परीक्षा में पास सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बाद भी करीब 28 हजार पद खाली रह गए थे इसलिए इस बार पहले से कटऑफ तय ही नहीं किया गया है। परीक्षा के बाद रिजल्ट घोषित होने पर पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार न्यूनतम कटऑफ तय किया जाएगा।
वेटेज ऐसे डालेगा असर
पिछली भर्ती में जो भी अभ्यर्थी क्वालिफाई हुआ, उसको नौकरी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो भर्तियों में अवसर देने और वेटेज देने का निर्देश दिया था। इसके तहत शिक्षामित्रों को अनुभव के आधार पर 2.5 अंक प्रतिवर्ष और अधिकतम 25 अंक वेटेज मिलना है। पिछली परीक्षा में वेटेज का फायदा उन्हीं शिक्षामित्रों को मिलता, जो लिखित परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ की सीमा रेखा पार करते। हालांकि, इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। अब चूंकि कोई न्यूनतम कटऑफ नहीं होगा तो शिक्षामित्रों की मेरिट उनके लिखित परीक्षा में पाए मूल अंक में वेटेज जोड़कर बनेगी। ऐसे में अगर कोई दस वर्ष पुराना शिक्षामित्र परीक्षा में बैठा है और उसने 25 अंक हासिल किए हैं तो भी 25 अंक का वेटेज जोड़कर उसके 50 अंक हो जाएंगे। ऐसे में गैर-शिक्षामित्र अभ्यर्थियों पर वे नौकरी की रेस में भारी पड़ेंगे। इससे पिछली बार की अपेक्षा इस बार अधिक शिक्षामित्रों को नौकरी मिलने की उम्मीद है।
ऐकडेमिक मेरिट भी इस बार होगी अहम
पिछली भर्ती में पद के सापेक्ष अभ्यर्थी न होने के कारण ऐकेडमिक मेरिट का कोई महत्च नहीं रह गया था। इस बार इसकी भूमिका अहम होगी। भर्ती की फाइनल मेरिट 60% लिखित परीक्षा के अंक और 40% ऐकेडमिक वेटेज मिलाकर बनेगी। इसमें हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रैजुएशन, बीटीसी/बीएड सब पर 10-10 अंक के अधिकतम वेटेज होंगे। शिक्षक भर्ती परीक्षा में टीईटी क्वालिफाई अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे। प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए बीएड को योग्य मानने के बाद अभ्यर्थियों के संख्या में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। टीईटी के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। पिछली बार प्राथमिक स्तर पर टीईटी में केवल 2.76 लाख अभ्यर्थी बैठे थे और उसमें महज 48 हजार ही सफल हो पाए थे। इस बार टीईटी प्राथमिक स्तर में 11 लाख से अधिक अभ्यर्थी बैठे हैं जो पिछली बार का लगभग 4 गुना है। इसके चलते शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी आवेदकों की संख्या काफी बढ़ेगी। पद के सापेक्ष अभ्यर्थियों की रेस में वही आगे निकल सकेंगे जिनकी एकेडमिक मेरिट भी बेहतर होगी।