लखनऊ,इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में
69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के सम्बंध में दाखिल याचिकाओं पर राज्य
सरकार को प्रतिशपथपत्र दाखिल करने के लिए देा दिन का समय देते हुए परीक्षा
परिणाम के सम्बंध में गत 17 जनवरी केा यथास्थिति बरकरार रखने संबधित पारित आदेश को 29 जनवरी तक बढ़ा दिया है। कोर्ट ने याचीगण को भी एक दिन का समय प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने के लिए दिया है और अगली तारीख पर कोर्ट मामले में अंतिम सुनवायी करेगी। बतातें चलें कि सरकार 22 जनवरी केा लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित करने वाली थी किन्तु कोर्ट के दखल के चलते अभी परिणाम घोषित नहीं हो सकेगा।
यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल नौ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया। याचियों ने राज्य सरकार की ओर से 7 जनवरी को जारी क्वालिफाइंग मार्क्स को चुनौती दी है। इसमें सरकार ने 65 प्रतिशत सामान्य वर्ग के व 60 प्रतिशत आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित किया है।
याचिकाओं में कहा गया है कि कि 1 दिसम्बर 2018 को भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में कोई क्वालिफाइंग मार्क्स नहीं तय किया गया था। 6 जनवरी को लिखित परीक्षा हो गयी। जिसके बाद सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिये जबकि यह तय सिद्धांत है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बाद नियमों मे परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
सोमवार को राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत चंद्रा बहस को उपस्थित हुए और उन्हेानें केार्ट से देा दिन का समय सरकार की ओर से प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने के लिए मांगा जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए सुनवायी 29 तक टाल दी।
पिछली सुनवायी पर कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते। कोर्ट ने खुली अदालत में हैरानी जताते हुए कहा था कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं।
इसके पूर्व हुई सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था। लेकिन इस बार लिखित परीक्षा के बाद 7 जनवरी को अचानक 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया है।
परिणाम के सम्बंध में गत 17 जनवरी केा यथास्थिति बरकरार रखने संबधित पारित आदेश को 29 जनवरी तक बढ़ा दिया है। कोर्ट ने याचीगण को भी एक दिन का समय प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने के लिए दिया है और अगली तारीख पर कोर्ट मामले में अंतिम सुनवायी करेगी। बतातें चलें कि सरकार 22 जनवरी केा लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित करने वाली थी किन्तु कोर्ट के दखल के चलते अभी परिणाम घोषित नहीं हो सकेगा।
यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल नौ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया। याचियों ने राज्य सरकार की ओर से 7 जनवरी को जारी क्वालिफाइंग मार्क्स को चुनौती दी है। इसमें सरकार ने 65 प्रतिशत सामान्य वर्ग के व 60 प्रतिशत आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित किया है।
याचिकाओं में कहा गया है कि कि 1 दिसम्बर 2018 को भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में कोई क्वालिफाइंग मार्क्स नहीं तय किया गया था। 6 जनवरी को लिखित परीक्षा हो गयी। जिसके बाद सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिये जबकि यह तय सिद्धांत है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बाद नियमों मे परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
सोमवार को राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत चंद्रा बहस को उपस्थित हुए और उन्हेानें केार्ट से देा दिन का समय सरकार की ओर से प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने के लिए मांगा जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए सुनवायी 29 तक टाल दी।
पिछली सुनवायी पर कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते। कोर्ट ने खुली अदालत में हैरानी जताते हुए कहा था कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं।
इसके पूर्व हुई सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था। लेकिन इस बार लिखित परीक्षा के बाद 7 जनवरी को अचानक 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया है।