नई दिल्ली : शोध को बढ़ावा देने में जुटी सरकार ने विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़े एक हजार छात्रों को इस साल फिर शोध (पीएचडी) का मौका दिया है। प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) के तहत सरकार ने शोध में रुचि रखने वाले इच्छुक छात्रों से इसे लेकर आवेदन मांगे हैं। साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से भी छात्रों को इसे लेकर प्रोत्साहित करने को कहा गया है।
पिछले साल इस मुहिम में देशभर से कम छात्रों के शामिल होने से सरकार को निराशा हाथ लगी थी। यही वजह है कि इस बार वह इसमें ज्यादा से ज्यादा छात्रों की भागीदारी को लेकर जुटी है।
योजना के तहत सरकार ने शोध में रुचि रखने वाले ऐसे छात्रों को आकर्षक पैकेज देने का भी एलान किया है। इसके तहत पीएचडी के दौरान अगले पांच साल तक प्रतिवर्ष दो लाख रुपये दिए जाएंगे। वहीं शोधार्थियों को बतौर फेलोशिप पहले दो साल तक हर महीने 70 हजार, तीसरे साल में हर महीने 75 हजार और चौथे व पांचवे वर्ष में हर महीने 80 हजार रुपये दिए जाएंगे। योजना के तहत पीएचडी के इच्छुक छात्रों से 21 अप्रैल तक आवेदन मांगे गए हैं। सरकार ने इस योजना की शुरुआत पैसों की कमी के चलते पीएचडी से वंचित रह जाने वालों छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए की है। पिछले साल शुरू की गई इस योजना में अगले तीन साल तक एक-एक हजार छात्रों को पीएचडी में मदद प्रदान करना था। बावजूद इसके पिछले साल इसके मुकाबले करीब 150 छात्रों का ही इनमें चयन हो पाया था।
हालांकि पिछले साल के परिणाम से निराश सरकार ने योजना में इस बार कुछ बड़े बदलाव भी किए हैं। इसके तहत इस बार विश्वविद्यालय और कॉलेजों के छात्र भी आवेदन कर सकेंगे। इससे पहले इस योजना के तहत सिर्फ आइआइटी, एनआइटी जैसे संस्थानों को ही इस दायरे में रखा गया था। जिसके बीटेक और एमटेक की पढ़ाई पूरा कर चुके या फिर अंतिम वर्ष के छात्र आवेदन कर सकते हैं। इस पूरी योजना के पीछे सरकार का मकसद छात्रों के बीच शोध की रुचि को बढ़ाना है। साथ ही उद्योगों की मांग के मुताबिक जरूरी तकनीक मुहैया कराना है। इसके अलावा पीएचडी को लेकर छात्रों में रुचि पैदाकर संस्थानों में शिक्षकों की कमी पूरी करने का भी एक बड़ा मकसद है।
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योजना के तहत सरकार ने शोध में रुचि रखने वाले ऐसे छात्रों को आकर्षक पैकेज देने का भी एलान किया है। इसके तहत पीएचडी के दौरान अगले पांच साल तक प्रतिवर्ष दो लाख रुपये दिए जाएंगे। वहीं शोधार्थियों को बतौर फेलोशिप पहले दो साल तक हर महीने 70 हजार, तीसरे साल में हर महीने 75 हजार और चौथे व पांचवे वर्ष में हर महीने 80 हजार रुपये दिए जाएंगे। योजना के तहत पीएचडी के इच्छुक छात्रों से 21 अप्रैल तक आवेदन मांगे गए हैं। सरकार ने इस योजना की शुरुआत पैसों की कमी के चलते पीएचडी से वंचित रह जाने वालों छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए की है। पिछले साल शुरू की गई इस योजना में अगले तीन साल तक एक-एक हजार छात्रों को पीएचडी में मदद प्रदान करना था। बावजूद इसके पिछले साल इसके मुकाबले करीब 150 छात्रों का ही इनमें चयन हो पाया था।
हालांकि पिछले साल के परिणाम से निराश सरकार ने योजना में इस बार कुछ बड़े बदलाव भी किए हैं। इसके तहत इस बार विश्वविद्यालय और कॉलेजों के छात्र भी आवेदन कर सकेंगे। इससे पहले इस योजना के तहत सिर्फ आइआइटी, एनआइटी जैसे संस्थानों को ही इस दायरे में रखा गया था। जिसके बीटेक और एमटेक की पढ़ाई पूरा कर चुके या फिर अंतिम वर्ष के छात्र आवेदन कर सकते हैं। इस पूरी योजना के पीछे सरकार का मकसद छात्रों के बीच शोध की रुचि को बढ़ाना है। साथ ही उद्योगों की मांग के मुताबिक जरूरी तकनीक मुहैया कराना है। इसके अलावा पीएचडी को लेकर छात्रों में रुचि पैदाकर संस्थानों में शिक्षकों की कमी पूरी करने का भी एक बड़ा मकसद है।
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