🔴 शून्य जनपद के लोगों को मुट्ठी भर लोगों ने भ्रमित कर रखा है, इसके अतिरिक्त शून्य जनपद के कुछ लोग हमारी टीम पर अनर्गल आरोप लगाते हुए कहते हैं कि हमारी टीम शून्य जनपद के विरुद्ध मुकदमा लड़ रही है जबकि यह बात पूर्णतया भ्रामक और असत्य है।
👉 टीम द्वारा वर्तमान में मात्र दो मुक़दमे लडे जा रहा हैं जिनका विवरण निम्नलिखित है।
(1) जस्टिस इरशाद अली द्वारा 12460 भर्ती की पूरी चयन सूची रद्द करने का आदेश दिया गया था। इस आदेश के विरुद्ध हमारी टीम द्वारा ऐसे लोगों की तरफ़ से अपील की गयी जो 12460 भर्ती में नियुक्ति प्राप्त कर चुके हैं तथा वर्तमान में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। हमारी इस अपील में न तो शून्य जनपद के विषय में कुछ कहा गया और नाहीं 51 जनपद के अचयनितो के विषय में कोई बात की गयी।
(2) 12460 भर्ती की अप्रैल वाली काउन्सिलिंग के समय ज़िला वरीयता के नियम को चुनौती देने वाली एक याचिका सचिन कुमार व अन्य ने दाख़िल की जिसमें याचि ऐसे लोग थे जिनमे बहुत कम सीटें आयीं थी। इस याचिका में 12460 भर्ती के सर्क़ुलर तथा गाइड्लायन आदि को रद्द करने की माँग की गयी है, एक तरह से यह भर्ती रद्द करवाने की मंशा के साथ दाख़िल याचिका है।
हमारे द्वारा इसी याचिका में आई॰ए॰ डालकर भर्ती को स्टे होने से बचाया था और इसी याचिका में हमको काउंटर लगाना था जो हम लगा चुके हैं। इस याचिका में नियम 14(1)(a) को रद्द करवाने की माँग है जिसे हम बचा रहे हैं।
🔴 उपरोक्त दोनो केस से स्पष्ट है कि हमारी टीम की प्राथमिकता 12460 भर्ती को सुरक्षित रखना है।
शून्य जनपद के चंद लोगों को लखनऊ में बैठा एक गुट भ्रमित करके सीधे से केस को उलझाकर अधिवक्ताओं की चाँदी कटवा रहा है। हमने पूर्व में ही सचेत किया था कि ज़िला वरीयता के नियम को रद्द करवाने का सपना देखने के बजाय मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सीधे तरीक़े से बहस कराकर नियुक्ति ले लीजिए लेकिन हमारी टीम की सलाह नहीं मानी गयी।
नियुक्ति पाने का अंतिम अवसर यही बचा है कि अब शून्य जनपद और 51 जनपद सुलह कर लें अन्यथा कुछ नेता पैसा लेकर याचि बनाते रहेंगे और आप लोग बेरोज़गारी में भटकते रहेंगे।
धन्यवाद।
#कुलदीप_एंड_टीम
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Originally published by https://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/
👉 टीम द्वारा वर्तमान में मात्र दो मुक़दमे लडे जा रहा हैं जिनका विवरण निम्नलिखित है।
(1) जस्टिस इरशाद अली द्वारा 12460 भर्ती की पूरी चयन सूची रद्द करने का आदेश दिया गया था। इस आदेश के विरुद्ध हमारी टीम द्वारा ऐसे लोगों की तरफ़ से अपील की गयी जो 12460 भर्ती में नियुक्ति प्राप्त कर चुके हैं तथा वर्तमान में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। हमारी इस अपील में न तो शून्य जनपद के विषय में कुछ कहा गया और नाहीं 51 जनपद के अचयनितो के विषय में कोई बात की गयी।
(2) 12460 भर्ती की अप्रैल वाली काउन्सिलिंग के समय ज़िला वरीयता के नियम को चुनौती देने वाली एक याचिका सचिन कुमार व अन्य ने दाख़िल की जिसमें याचि ऐसे लोग थे जिनमे बहुत कम सीटें आयीं थी। इस याचिका में 12460 भर्ती के सर्क़ुलर तथा गाइड्लायन आदि को रद्द करने की माँग की गयी है, एक तरह से यह भर्ती रद्द करवाने की मंशा के साथ दाख़िल याचिका है।
हमारे द्वारा इसी याचिका में आई॰ए॰ डालकर भर्ती को स्टे होने से बचाया था और इसी याचिका में हमको काउंटर लगाना था जो हम लगा चुके हैं। इस याचिका में नियम 14(1)(a) को रद्द करवाने की माँग है जिसे हम बचा रहे हैं।
🔴 उपरोक्त दोनो केस से स्पष्ट है कि हमारी टीम की प्राथमिकता 12460 भर्ती को सुरक्षित रखना है।
शून्य जनपद के चंद लोगों को लखनऊ में बैठा एक गुट भ्रमित करके सीधे से केस को उलझाकर अधिवक्ताओं की चाँदी कटवा रहा है। हमने पूर्व में ही सचेत किया था कि ज़िला वरीयता के नियम को रद्द करवाने का सपना देखने के बजाय मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सीधे तरीक़े से बहस कराकर नियुक्ति ले लीजिए लेकिन हमारी टीम की सलाह नहीं मानी गयी।
नियुक्ति पाने का अंतिम अवसर यही बचा है कि अब शून्य जनपद और 51 जनपद सुलह कर लें अन्यथा कुछ नेता पैसा लेकर याचि बनाते रहेंगे और आप लोग बेरोज़गारी में भटकते रहेंगे।
धन्यवाद।
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