12460 :
1) हमने कहा था जिस दिन पुराने केसेस की DCL जारी हो उस दिन को देखते हुए एक फ्रेश केस फ़ाइल किया जाए। ऐसे चाहे जितने फ्रेश लगालो वो पुराने से ही कनेक्ट होंगे।
2) सही approch त्रिपदीय है:-
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■ पुराने केसेस लिस्ट करवाये जाएं और जिस दिन DCL में लगे हों उस अककॉर्डिंग ही नई केस फ़ाइल किया जाए ताकि सेम डे नया केस फ्रेश लिस्ट में हो और उसके साथ पुराने को उठवा लिया जाए।
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■ फिर भी सुनवाई न हो तो amalgamation के अंतर्गत सारे डिवीज़न बेंच केसेस को एक जगह प्रयागराज या लखनऊ भेजने की याचना की जाए।
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■ यह भी बेअसर हो तो सुप्रीम कोर्ट अंडर आर्टिकल 32 मूव किया जाए।
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3) 12460 में 51 जनपद के कथित नेताओं द्वारा ज्ञान बाचा जा रहा है उसको नजर अंदाज करें वो केवल कोर्ट सिस्टम की निष्क्रियता को जिला वरीयता विरोधी ने हमारी नही सुनी के नाम पर भुना रहे हैं।
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4) सिंगल जज का ऑर्डर पढ़ लें तो पाएंगे 12460 0 जनपद ने सिंगल बेंच की पेंडेंसी में कभी भी रूल चैलेंज नहीं किया। जब वहां से बात नहीं बनी तब रूल का vires चैलेंज किया है।
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5) जबकि हम शुरू से कह रहे हैं कि crux of the battle is rule 14(1)(a) इसलिए पैरवी कार चाहे मोहित द्विवेदी, सौरभ वर्मा टीम हो या आशीष तिवारी। एक दूसरे को नीचा दिखाने के बजाए यदि बिंदु 2 पर ध्यान देंगे तो जीत जाएंगे और हाँ लगभग 2 साल लगेंगे जीत में पहले ही बता रहे हैं इसलिए काम धँधा शादी ब्याह निपटा लें।
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6) और जिला वरीयता के नियम से नौकरी पाए लोगो को इतना ही कहेंगे कि जिला वरीयता विरोधियों को ज्ञान बाचना बन्द करें नहीं तो हमसे ओपन डिबेट करलें फिर बता देंगे किसने क्या सही स्टेप लिया किसने नहीं।
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1) हमने कहा था जिस दिन पुराने केसेस की DCL जारी हो उस दिन को देखते हुए एक फ्रेश केस फ़ाइल किया जाए। ऐसे चाहे जितने फ्रेश लगालो वो पुराने से ही कनेक्ट होंगे।
2) सही approch त्रिपदीय है:-
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■ पुराने केसेस लिस्ट करवाये जाएं और जिस दिन DCL में लगे हों उस अककॉर्डिंग ही नई केस फ़ाइल किया जाए ताकि सेम डे नया केस फ्रेश लिस्ट में हो और उसके साथ पुराने को उठवा लिया जाए।
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■ फिर भी सुनवाई न हो तो amalgamation के अंतर्गत सारे डिवीज़न बेंच केसेस को एक जगह प्रयागराज या लखनऊ भेजने की याचना की जाए।
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■ यह भी बेअसर हो तो सुप्रीम कोर्ट अंडर आर्टिकल 32 मूव किया जाए।
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3) 12460 में 51 जनपद के कथित नेताओं द्वारा ज्ञान बाचा जा रहा है उसको नजर अंदाज करें वो केवल कोर्ट सिस्टम की निष्क्रियता को जिला वरीयता विरोधी ने हमारी नही सुनी के नाम पर भुना रहे हैं।
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4) सिंगल जज का ऑर्डर पढ़ लें तो पाएंगे 12460 0 जनपद ने सिंगल बेंच की पेंडेंसी में कभी भी रूल चैलेंज नहीं किया। जब वहां से बात नहीं बनी तब रूल का vires चैलेंज किया है।
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5) जबकि हम शुरू से कह रहे हैं कि crux of the battle is rule 14(1)(a) इसलिए पैरवी कार चाहे मोहित द्विवेदी, सौरभ वर्मा टीम हो या आशीष तिवारी। एक दूसरे को नीचा दिखाने के बजाए यदि बिंदु 2 पर ध्यान देंगे तो जीत जाएंगे और हाँ लगभग 2 साल लगेंगे जीत में पहले ही बता रहे हैं इसलिए काम धँधा शादी ब्याह निपटा लें।
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6) और जिला वरीयता के नियम से नौकरी पाए लोगो को इतना ही कहेंगे कि जिला वरीयता विरोधियों को ज्ञान बाचना बन्द करें नहीं तो हमसे ओपन डिबेट करलें फिर बता देंगे किसने क्या सही स्टेप लिया किसने नहीं।
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