रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन यापन को लेकर चिंतिंत शिक्षकों को नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के नाम पर भी धोखा ही मिल रहा है। कहने को तो एक अप्रैल 2005 से ही योजना लागू कर दी गई थी लेकिन हकीकत में 14 साल बीतने के बावजूद जिले में एक भी शिक्षक की एनपीएस पासबुक तक नहीं बन सकी है।
जबकि एनपीएस की पासबुक बनाने का शासनादेश मार्च 2017 में जारी हुआ था।.
प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए 28 मार्च 2005 के शासनादेश के जरिए एक अप्रैल 2005 से एनपीएस लागू की गई। 2010 में राज्य कर्मचारियों के वेतन से कटौती प्रारंभ कर दी गई लेकिन शिक्षकों के वेतन से कटौती शुरू नहीं की गई। 2005 से 2014 तक 9 वर्षों में शिक्षकों के लिए नई पेंशन योजना क्रियान्वित किए जाने के संबंध में प्रदेश सरकार ने कुल 22 शासनादेश जारी किए।.
लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने क्रियान्वयन नहीं कराया। पिछले साल 21 जून को माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को एनपीएस लागू करने के संबंध में सख्त आदेश दिया और क्रियान्वयन रिपोर्ट भी मांगी। लेकिन अफसरों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। 13 फरवरी 2019 को मुख्य सचिव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को अपने कार्यालय में एक टीम गठित करते हुए विशेष अभियान चलाकर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एनपीएस क्रियान्वयन संबंधी विभिन्न सूचनाएं 10 दिन के भीतर उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया था। लेकिन मुख्य सचिव के उस आदेश की प्रति तीन महीना बीत जाने के बाद भी स्कूलों के प्रधानाचार्य तक नहीं पहुंच सकी है। 2005 से अब तक हजारों शिक्षकों की आधी नौकरी बीत चुकी है लेकिन प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग के अफसर उस योजना का क्रियान्वयन तक नहीं करा सके हैं जिसके बिना पर वह पुरानी पेंशन देना नहीं चाहते हैं।.
माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट ने वर्ष 2014 से एनपीएस के लिए एकल मुद्दा आंदोलन चलाया। केंद्रीय कर्मचारियों, शिक्षकों एवं राज्य कर्मचारियों की कटौती समय पर शुरू होने के कारण आज उनके खाते में 18 से 20 लाख जीपीएफ के रूप में जमा है। लेकिन सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों के खाते में पुरानी पेंशन की आस में कोई मुकम्मल भविष्य निधि नहीं है। एनपीएस की मुख्य सचिव के आदेशानुसार ब्याज सहित कटौतियों को जमा कराने के लिए आवश्यक प्रयास करना चाहिए। -लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री ठकुराई गुट .
उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने 13 फरवरी 2019 को शासनादेश जारी एनपीएस के नियोक्ता अंशदान में संशोधन कर दिया है। जिसके अनुसार अब एक अप्रैल 2019 से प्रदेश के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के पेंशन खाते में नियोक्ता की ओर से जमा की जाने वाली धनराशि अब वेतन के 10 प्रतिशत के स्थान पर 14 प्रतिशत जमा कराया जाना है। पूरे प्रदेश में शिक्षकों के अप्रैल का वेतन या तो भुगतान हो चुका है या हो रहा है। लेकिन पूरे प्रदेश के किसी भी जनपद में किसी भी शिक्षक के खाते में नियोक्ता अंशदान की बढ़ी हुई कटौती के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
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प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए 28 मार्च 2005 के शासनादेश के जरिए एक अप्रैल 2005 से एनपीएस लागू की गई। 2010 में राज्य कर्मचारियों के वेतन से कटौती प्रारंभ कर दी गई लेकिन शिक्षकों के वेतन से कटौती शुरू नहीं की गई। 2005 से 2014 तक 9 वर्षों में शिक्षकों के लिए नई पेंशन योजना क्रियान्वित किए जाने के संबंध में प्रदेश सरकार ने कुल 22 शासनादेश जारी किए।.
लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने क्रियान्वयन नहीं कराया। पिछले साल 21 जून को माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को एनपीएस लागू करने के संबंध में सख्त आदेश दिया और क्रियान्वयन रिपोर्ट भी मांगी। लेकिन अफसरों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। 13 फरवरी 2019 को मुख्य सचिव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को अपने कार्यालय में एक टीम गठित करते हुए विशेष अभियान चलाकर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एनपीएस क्रियान्वयन संबंधी विभिन्न सूचनाएं 10 दिन के भीतर उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया था। लेकिन मुख्य सचिव के उस आदेश की प्रति तीन महीना बीत जाने के बाद भी स्कूलों के प्रधानाचार्य तक नहीं पहुंच सकी है। 2005 से अब तक हजारों शिक्षकों की आधी नौकरी बीत चुकी है लेकिन प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग के अफसर उस योजना का क्रियान्वयन तक नहीं करा सके हैं जिसके बिना पर वह पुरानी पेंशन देना नहीं चाहते हैं।.
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उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने 13 फरवरी 2019 को शासनादेश जारी एनपीएस के नियोक्ता अंशदान में संशोधन कर दिया है। जिसके अनुसार अब एक अप्रैल 2019 से प्रदेश के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के पेंशन खाते में नियोक्ता की ओर से जमा की जाने वाली धनराशि अब वेतन के 10 प्रतिशत के स्थान पर 14 प्रतिशत जमा कराया जाना है। पूरे प्रदेश में शिक्षकों के अप्रैल का वेतन या तो भुगतान हो चुका है या हो रहा है। लेकिन पूरे प्रदेश के किसी भी जनपद में किसी भी शिक्षक के खाते में नियोक्ता अंशदान की बढ़ी हुई कटौती के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
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