रुग्ण शिक्षा का इलाज: .पढ़ाई के साथ परीक्षाओं की गंभीरता और पवित्रता पर भी गौर किया जाना चाहिए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को जो दिशा निर्देश दिए, उससे स्पष्ट है कि उन्हें इस विभाग की बीमारी अच्छी तरह पता है। उन्होंने इलाज शुरू करने का तरीका भी बता दिया। देखने की बात है कि अधिकारी उनके निर्देश पर कितना अमल करते हैं।
शिक्षा विभाग की असली बीमारी हर स्तर पर बेपरवाही है। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय लापरवाह, आलसी और अयोग्य शिक्षकों के हवाले छोड़ दिए गए हैं जिनकी रुचि सिर्फ मिडडे मील में रहती है। बोर्ड परीक्षा के दौरान नकल पर सख्ती किए जाते ही लाखों छात्र-छात्रओं द्वारा परीक्षा छोड़ने की प्रवृत्ति से जाहिर है कि माध्यमिक विद्यालयों में बिल्कुल पढ़ाई-लिखाई नहीं होती। यही हाल प्राथमिक विद्यालयों का है। कुछ दशक पहले, जब पढ़ाई-लिखाई का माहौल स्वत:स्फूर्त ठीक ठाक था, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी नियमित रूप से विद्यालयों का मुआयना करते थे। कई बार मुआयना आकस्मिक होता था, इसके बावजूद पढ़ाई से संबंधित शिकायतें नहीं मिलती थीं। अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। शिक्षक पढ़ाना नहीं चाहते, बच्चे पढ़ना नहीं चाहते और अधिकारियों को इन बातों की परवाह नहीं। मुख्यमंत्री का यह निर्देश बेहद महत्वपूर्ण है कि अधिकारी कुर्सियां छोड़कर फील्ड में विजिट करें। यदि अधिकारी विद्यालयों का मुआयना शुरू कर दें तो शिक्षा प्रणाली में लगी बीमारी का इलाज खुद शुरू हो जाएगा। वैसे मुख्यमंत्री के इस निर्देश को व्यापक नजरिए से देखा जाना चाहिए। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अलावा स्थानीय सांसद, मंत्री, प्रभारी मंत्री, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, जिलाधिकारी, तहसीलों के उप जिलाधिकारी और अन्य जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को भी विद्यालयों का निरीक्षण अपने कार्य एजेंडे में शामिल करना चाहिए। यदि विद्यालयों का मुआयना होगा तो स्वाभाविक रूप से प्रधानाचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहेंगे और पढ़ाई-लिखाई शुरू हो जाएगी। पढ़ाई के साथ परीक्षाओं की गंभीरता और पवित्रता पर भी गौर किया जाना चाहिए। पहले विद्यालयों में आकस्मिक एवं मासिक टेस्ट के अलावा त्रैमासिक, छमाही और सालाना परीक्षाएं आयोजित की जाती थीं। इन परीक्षाओं के जरिये विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों की परफॉरमेंस का भी मूल्यांकन हो जाता था। शिक्षा प्रणाली में गिरावट के साथ यह सब बंद हो गया। इसे फिर शुरू किया जाना हितकारी होगा।

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