देश का भविष्य संवारने वाले हाथ मजदूरी करके, सब्जी बेचकर और दूसरे छोटे-मोटे काम करके पेट पालने को मजबूर हैं। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षामित्रों के हालात बदतर हो गए हैं।
25 जुलाई 2017 तक शिक्षामित्रों को जहां 42 हजार रुपये तक वेतन मिल रहा था वहीं समायोजन निरस्त होने के बाद मानदेय के रूप में प्रतिमाह मात्र 10 हजार रुपये दिया जा रहा है।.
इसके चलते शिक्षामित्रों के लिए अपने परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है और यही कारण है कि बच्चों को पढ़ाने के बाद कोई मजदूरी कर रहा है, कोई किराना या सब्जी की दुकान पर बैठ रहा है या कोई घरों की पुताई करके अपना परिवार का भरण पोषण कर रहा है। बढ़ती उम्र में जिम्मेदारियों के बोझ से दबे शिक्षामित्र पार्ट टाइम जॉब करने को विवश है। प्राथमिक विद्यालय पाठकपुर कोरांव के प्रभाकांत कुशवाहा तो घरों में वायरिंग करके गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं। .
बच्चों का भविष्य खराब न हो इसलिए इसी तरह रामदास लेडियारी मंडी में पल्लेदारी (बोरा ढोना) कर रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय जसरा के शिक्षामित्र दशरथ लाल भारती स्कूल पूरा होने के बाद घर पर ही किराना की दुकान चलाते हैं। प्राथमिक विद्यालय सुजौना के राकेश कुमार स्कूल के बाद यमुना नदी के तट पर बालू की लोडिंग करके परिवार चला रहे हैं। भाई इंजीनियरिंग और दो बेटियां हाईस्कूल व इंटर में पढ़ रही है। .
प्राथमिक विद्यालय अमिलियां पाल कोरांव के राजेश गौड़ सब्जी की दुकान लगाते हैं। प्राथमिक विद्यालय पूरे गोबई हंडिया के अनिल जायसवाल शाम 4 से 9 बजे तक दवा की दुकान पर नौकरी करते हैं। उनका एक बेटा बीएससी करके डीएलएड और दूसरा बीएससी कर रहा है। बेटों की पढ़ाई और घर का खर्च 10 हजार रुपये मानदेय से नहीं चल रहा। प्राथमिक विद्यालय डील कोरांव के कमलाकर सिंह ने सहायक अध्यापक बनने पर होम लोन ले लिया था। जिसकी किस्त 17767 रुपये महीना है। किश्त चुकाने में दिक्कत हो रही थी तो कर्ज लेकर ई रिक्शा ले लिया और उसे चलवा रहे हैं। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वसीम अहमद के अनुसार सरकार के उपेक्षात्मक रवैए से शिक्षामित्र धैर्य छोड़ रहे है। दावा किया कि 25 जुलाई 2017 के बाद से पूरे प्रदेश में लगभग 1500 शिक्षामित्र हिम्मत हार कर काल के गाल में समा चुके है। जुलाई 2019 में ही 29 शिक्षामित्र जिंदगी की जंग हार गए। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की
25 जुलाई 2017 तक शिक्षामित्रों को जहां 42 हजार रुपये तक वेतन मिल रहा था वहीं समायोजन निरस्त होने के बाद मानदेय के रूप में प्रतिमाह मात्र 10 हजार रुपये दिया जा रहा है।.
इसके चलते शिक्षामित्रों के लिए अपने परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है और यही कारण है कि बच्चों को पढ़ाने के बाद कोई मजदूरी कर रहा है, कोई किराना या सब्जी की दुकान पर बैठ रहा है या कोई घरों की पुताई करके अपना परिवार का भरण पोषण कर रहा है। बढ़ती उम्र में जिम्मेदारियों के बोझ से दबे शिक्षामित्र पार्ट टाइम जॉब करने को विवश है। प्राथमिक विद्यालय पाठकपुर कोरांव के प्रभाकांत कुशवाहा तो घरों में वायरिंग करके गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं। .
बच्चों का भविष्य खराब न हो इसलिए इसी तरह रामदास लेडियारी मंडी में पल्लेदारी (बोरा ढोना) कर रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय जसरा के शिक्षामित्र दशरथ लाल भारती स्कूल पूरा होने के बाद घर पर ही किराना की दुकान चलाते हैं। प्राथमिक विद्यालय सुजौना के राकेश कुमार स्कूल के बाद यमुना नदी के तट पर बालू की लोडिंग करके परिवार चला रहे हैं। भाई इंजीनियरिंग और दो बेटियां हाईस्कूल व इंटर में पढ़ रही है। .
प्राथमिक विद्यालय अमिलियां पाल कोरांव के राजेश गौड़ सब्जी की दुकान लगाते हैं। प्राथमिक विद्यालय पूरे गोबई हंडिया के अनिल जायसवाल शाम 4 से 9 बजे तक दवा की दुकान पर नौकरी करते हैं। उनका एक बेटा बीएससी करके डीएलएड और दूसरा बीएससी कर रहा है। बेटों की पढ़ाई और घर का खर्च 10 हजार रुपये मानदेय से नहीं चल रहा। प्राथमिक विद्यालय डील कोरांव के कमलाकर सिंह ने सहायक अध्यापक बनने पर होम लोन ले लिया था। जिसकी किस्त 17767 रुपये महीना है। किश्त चुकाने में दिक्कत हो रही थी तो कर्ज लेकर ई रिक्शा ले लिया और उसे चलवा रहे हैं। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वसीम अहमद के अनुसार सरकार के उपेक्षात्मक रवैए से शिक्षामित्र धैर्य छोड़ रहे है। दावा किया कि 25 जुलाई 2017 के बाद से पूरे प्रदेश में लगभग 1500 शिक्षामित्र हिम्मत हार कर काल के गाल में समा चुके है। जुलाई 2019 में ही 29 शिक्षामित्र जिंदगी की जंग हार गए। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की