लखनऊ
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के निर्माण कार्य के नाम पर धांधली
करने वाले अब नहीं बच पाएंगे। योगी सरकार ने पिछले दो वर्षों के दौरान हुए
निर्माण कार्यों की जांच कराने का फैसला लिया है और इसकी जिम्मेदारी बेसिक
शिक्षा निदेशालय को दी गई है।
इस बारे में जिलेवार अधिकारियों को आवंटन कर दिया गया है। जांच टीमों को अपनी रिपोर्ट 24 दिसंबर तक परियोजना निदेशालय को भेजनी है।
शिक्षा
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तीन विकास खंडों में कम से कम 20 स्कूलों
की जांच होगी। स्कूल में कम्पोजिट स्कूल ग्रांट के साथ फर्निचर, हैंडपंप,
विद्युतीकरण, चारदीवारी, विज्ञान किट, स्पोर्ट्स ग्रांट, पुस्तकालय ग्रांट
भी दी गई हो तो वह भी जांच के दायरे में रहेगी। सारे कार्यों की टेंडर
प्रक्रिया की भी जांच होगी।
अधिकारी ने बताया कि जांच टीम यह भी देखेगी कि भेजी गई धनराशि का कितना उपयोग हुआ। यदि नहीं हुआ तो उसके लिए दोषी कौन है। बची हुई धनराशि का ब्योरा भी जांचा जाएगा। दी गई धनराशि में हुए कार्यों की गुणवत्ता भी जांची जाएगी। बांदा, बाराबंकी, झांसी, मुरादाबाद, सीतापुर, बुलंदशहर, गोण्डा, अम्बेडकर नगर, कानपुर देहात, हापुड़, सुल्तानपुर, गोरखपुर, कौशाम्बी, महोबा, फतेहपुर और देवरिया जिलों में जांच 11 से 21 दिसम्बर तक होगी।
इस बारे में जिलेवार अधिकारियों को आवंटन कर दिया गया है। जांच टीमों को अपनी रिपोर्ट 24 दिसंबर तक परियोजना निदेशालय को भेजनी है।
अधिकारी ने बताया कि जांच टीम यह भी देखेगी कि भेजी गई धनराशि का कितना उपयोग हुआ। यदि नहीं हुआ तो उसके लिए दोषी कौन है। बची हुई धनराशि का ब्योरा भी जांचा जाएगा। दी गई धनराशि में हुए कार्यों की गुणवत्ता भी जांची जाएगी। बांदा, बाराबंकी, झांसी, मुरादाबाद, सीतापुर, बुलंदशहर, गोण्डा, अम्बेडकर नगर, कानपुर देहात, हापुड़, सुल्तानपुर, गोरखपुर, कौशाम्बी, महोबा, फतेहपुर और देवरिया जिलों में जांच 11 से 21 दिसम्बर तक होगी।