प्रयागराज. इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के कुलपति
प्रो. रतन लाल हांगलू के समर्थन में महाविद्यालयों के शिक्षकों ने उनकी
बहाली तक कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की है।
इसके साथ ही महाविद्यालयों के शिक्षकों के संगठन ऑक्टा ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र भेजकर प्रो. हांगलू की बहाली की मांग की है। चेतावनी दी है कि उनकी बहाली न होने की दशा में कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। इस दौरान कक्षाओं के साथ परीक्षाओं का बहिष्कार भी होगा।शिक्षक संगठनों का कहना है कि कुलपति ने अपने चार वर्षों के कार्यकाल में कई ऐसे काम किए, जो पिछले 40 वर्षों में नहीं हुए। पूर्व शिक्षकों के गुट ने शिक्षक भर्ती में अड़ंगा लगाया। कुलपति ने पहले चरण में भर्ती पूरी करा दी और कॉलेजों में हालत सुधरने लगे तो पूर्व शिक्षकों को यह अच्छा नहीं लगा, क्योंकि इससे विश्वविद्यालय में उनका दबदबा खत्म होने लगा। ऐसे लोग छात्र नेताओं को पैसा देकर कुलपति के खिलाफ आंदोलन कराते रहे। ऑक्टा मांग करता है कि कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को वापस लाया जाए।
कार्य बहिष्कार से परीक्षाएं और शिक्षण कार्य प्रभावित होगा
महासचिव उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रो. हांगलू की कुलपति के पद पर बहाली नहीं हुई तो कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। शिक्षक सुबह 10 से शाम चार बजे तक कॉलेज में उपस्थित तो रहेंगे लेकिन कोई काम नहीं करेंगे। यह भी कहा गया है कि इससे नियुक्तियां प्रभावित होने से विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की गुणवत्ता प्रभावित होंगी और साथ ही सभी विकास कार्य ठप पड़ जाएंगे। पत्र में कहा गया है कि सभी शिक्षक और कर्मचारी कुलपति के साथ हैं। पत्र में राज्यपाल से यह मांग की गई है कि वह कुलपति का इस्तीफा स्वीकार ना करें।
यह है मामला
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हांगलू ने बुधवार (1 जनवरी) देर शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि गुरुवार को उन्होंने अपने इस्तीफे की पुष्टि की। दरअसल, हांगलू के खिलाफ वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर जांच भी चल रही थी। हांगलू समेत पांच लोगों ने पद से इस्तीफा दिया है। इस्तीफे के बाद हांगलू ने कहा कि उनके साथ षडयंत्र किया गया है। ईमानदार लोगों के साथ ऐसा ही होता है।
इसके साथ ही महाविद्यालयों के शिक्षकों के संगठन ऑक्टा ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र भेजकर प्रो. हांगलू की बहाली की मांग की है। चेतावनी दी है कि उनकी बहाली न होने की दशा में कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। इस दौरान कक्षाओं के साथ परीक्षाओं का बहिष्कार भी होगा।शिक्षक संगठनों का कहना है कि कुलपति ने अपने चार वर्षों के कार्यकाल में कई ऐसे काम किए, जो पिछले 40 वर्षों में नहीं हुए। पूर्व शिक्षकों के गुट ने शिक्षक भर्ती में अड़ंगा लगाया। कुलपति ने पहले चरण में भर्ती पूरी करा दी और कॉलेजों में हालत सुधरने लगे तो पूर्व शिक्षकों को यह अच्छा नहीं लगा, क्योंकि इससे विश्वविद्यालय में उनका दबदबा खत्म होने लगा। ऐसे लोग छात्र नेताओं को पैसा देकर कुलपति के खिलाफ आंदोलन कराते रहे। ऑक्टा मांग करता है कि कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को वापस लाया जाए।
कार्य बहिष्कार से परीक्षाएं और शिक्षण कार्य प्रभावित होगा
महासचिव उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रो. हांगलू की कुलपति के पद पर बहाली नहीं हुई तो कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। शिक्षक सुबह 10 से शाम चार बजे तक कॉलेज में उपस्थित तो रहेंगे लेकिन कोई काम नहीं करेंगे। यह भी कहा गया है कि इससे नियुक्तियां प्रभावित होने से विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की गुणवत्ता प्रभावित होंगी और साथ ही सभी विकास कार्य ठप पड़ जाएंगे। पत्र में कहा गया है कि सभी शिक्षक और कर्मचारी कुलपति के साथ हैं। पत्र में राज्यपाल से यह मांग की गई है कि वह कुलपति का इस्तीफा स्वीकार ना करें।
यह है मामला
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हांगलू ने बुधवार (1 जनवरी) देर शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि गुरुवार को उन्होंने अपने इस्तीफे की पुष्टि की। दरअसल, हांगलू के खिलाफ वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर जांच भी चल रही थी। हांगलू समेत पांच लोगों ने पद से इस्तीफा दिया है। इस्तीफे के बाद हांगलू ने कहा कि उनके साथ षडयंत्र किया गया है। ईमानदार लोगों के साथ ऐसा ही होता है।