नई दिल्ली. देश में कोरोना की मार से यूपी के शिक्षक भी
बचे नहीं हैं. लॉकडाउन ने उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में
68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट के आधार पर सामान्य श्रेणी में चयनित
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों की मनपसंद जिले में तैनाती को रोक दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 अगस्त 2019 को इन शिक्षकों को उनकी वरीयता वाले जिले में नए सत्र 1 अप्रैल 2020 से तैनात करने का निर्देश दिया था.
इसके प्रस्ताव को शिक्षा शिक्षा परिषद ने सरकार के पास भेजा था. इस पर अनारक्षित वर्ग की शिखा सिंह व अन्य अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसका आदेश कोर्ट ने 13 फरवरी को सुरक्षित कर लिया था. वहीं एमआरसी अभ्यर्थी आदेश का इंतजार कर रहे थे कि तभी लॉकडाउन के कारण कोर्ट भी बंद हो गए.
अभ्यर्थी बादल मलिक एवं शुभम चौधरी का कहना है कि हाईकोर्ट ने एमआरसी अभ्यर्थियों की तैनाती को संविधान के अनुच्छेद 14 व 16(1) के विपरीत मानते हुए मनमाने रद्द कर दिया था. बता दें कि 68500 भर्ती में शुरुआती तीन चक्रों में क्रमश: 34,660, 6127 व 4596 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई थी.
गलत जिले को लेकर दायर हुई थीं 263 याचिकाएं
इस भर्ती में जिला आवंटन त्रुटि को लेकर 263 याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिसमें सभी वर्ग के अभ्यर्थी शामिल थे. एमआरसी अभ्यर्थियों का कहना है कि याचिकाओं का निस्तारण करते हुए उच्च न्यायालय ने सिर्फ मेधावी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय दिया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 अगस्त 2019 को इन शिक्षकों को उनकी वरीयता वाले जिले में नए सत्र 1 अप्रैल 2020 से तैनात करने का निर्देश दिया था.
इसके प्रस्ताव को शिक्षा शिक्षा परिषद ने सरकार के पास भेजा था. इस पर अनारक्षित वर्ग की शिखा सिंह व अन्य अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसका आदेश कोर्ट ने 13 फरवरी को सुरक्षित कर लिया था. वहीं एमआरसी अभ्यर्थी आदेश का इंतजार कर रहे थे कि तभी लॉकडाउन के कारण कोर्ट भी बंद हो गए.
अभ्यर्थी बादल मलिक एवं शुभम चौधरी का कहना है कि हाईकोर्ट ने एमआरसी अभ्यर्थियों की तैनाती को संविधान के अनुच्छेद 14 व 16(1) के विपरीत मानते हुए मनमाने रद्द कर दिया था. बता दें कि 68500 भर्ती में शुरुआती तीन चक्रों में क्रमश: 34,660, 6127 व 4596 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई थी.
गलत जिले को लेकर दायर हुई थीं 263 याचिकाएं
इस भर्ती में जिला आवंटन त्रुटि को लेकर 263 याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिसमें सभी वर्ग के अभ्यर्थी शामिल थे. एमआरसी अभ्यर्थियों का कहना है कि याचिकाओं का निस्तारण करते हुए उच्च न्यायालय ने सिर्फ मेधावी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय दिया था.