प्रदेश सरकार सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक वर्ग के गरीब छात्र छात्रओं की दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के नियम एक समान करने जा रही है।
यह जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई है। अभी अलग-अलग नियम होने के कारण एक समान अर्हता वाले छात्रों को एक विभाग छात्रवृत्ति दे देता है जबकि दूसरा विभाग रिजेक्ट कर देता है। फिलहाल समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण व पिछड़ा वर्ग कल्याण
विभाग में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूíत की अलग-अलग नियमावली हैं। समाज कल्याण विभाग में पिछले वर्ष सामान्य वर्ग के 50 फीसद अंक पाने वाले छात्र-छात्रओं की शुल्क प्रतिपूर्ति हो गई थी, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग में 60 फीसद अंक वालों की ही शुल्क प्रतिपूíत हो सकी थी। इससे कम अंक वालों को योजना का लाभ नहीं मिल सका था। इसको लेकर सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग की नाराजगी ङोलनी पड़ी थी। पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्र-छात्रओं की कॉमन मेरिट लिस्ट बनाकर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूíत करता है। वहीं, समाज कल्याण विभाग सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों के छात्र-छात्रओं की अलग-अलग मेरिट लिस्ट तैयार कर योजना का लाभ देता है। सीमित बजट होने के कारण प्राइवेट कॉलेजों व संस्थानों में पढ़ने वाले सामान्य वर्ग के छात्र-छात्रओं की शुल्क प्रतिपूíत नहीं हो पाती है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में प्राइवेट व सरकारी दोनों कॉलेजों में पढ़ने वाले युवाओं को फायदा मिला था। इसे देखते हुए सरकार ने तीनों विभागों की एक ही नियमावली बनाने के निर्देश दिए हैं।
यह जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई है। अभी अलग-अलग नियम होने के कारण एक समान अर्हता वाले छात्रों को एक विभाग छात्रवृत्ति दे देता है जबकि दूसरा विभाग रिजेक्ट कर देता है। फिलहाल समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण व पिछड़ा वर्ग कल्याण