खुलने के बाद ठप हो गई बच्चों की पढ़ाई, परिषदीय स्कूलों में चल रही ऑनलाइन पढ़ाई भी हुई बेपटरी

 शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता में भारी अंतर पर हाईकोर्ट की चिंता ने एक बार फिर इस समस्या की ओर सबका ध्यान खींचा है। लॉकडाउन लगने के बाद से सीबीएसई और

सीआईएससीई स्कूलों ने तो पढ़ाई-लिखाई का ऑनलाइन तौरतरीका अपना लिया लेकिन सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा का लाभ बमुश्किल एक तिहाई बच्चों को भी नहीं मिल सका। हालत यह है कक्षा एक से आठ तक परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के जुलाई में खुलने के बाद जो थोड़ी बहुत पढ़ाई हो रही थी वह भी पटरी से उतर गई। सरकारी स्कूलों में 25 से 30 प्रतिशत बच्चों को ही वर्तमान में ऑनलाइन पढ़ाई का मिल पा रहा है।



मार्च से लेकर जून अंत तक शिक्षकों ने व्हाटसग्रुपों पर बच्चों को जोड़कर कक्षाएं चलाईं। बच्चों को होमवर्क देना, प्रतियोगिताएं करवना जैसी गतिविधयां चल रही थी।लेकिन जब शिक्षकों को स्कूल बुलाया जाने लगा तो वह व्हाट्सएप ग्रुपों पर निष्क्रिय हो गए। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी अध्यापकों को गांवों में भेजकर बच्चों को छोटे-छोटे समूह में पढ़वा सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाई करा रहे हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है। ऐसी ही स्थिति माध्यमिक विद्यालयों में है। यूपी बोर्ड के 1079 स्कूलों में पंजीकृत कक्षा 9 से 12 तक के 418888 छात्र-छात्राओं में से 58 हजार से अधिक बच्चे ऐसे हैं जिनके पास न तो टेलीविजन है और न ही  स्कूल खुले एक महीने से अधिक हो चुके हैं लेकिन एक तिहाई बच्चे भी स्कूल नहीं आ रहे हैं।

दीक्षा एप, रीड अलांग एप आदि के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है |सभी स्कूलों में व्हाट्सग्रुप बने हुए हैं. स्मार्टफोन और इंटरनेट आदि की सुविधाएं न होने के कारण 30-35 प्रतिशत बच्चे ही इससे जुड़ सके हैं | -डॉ . विनोद मिश्र, जिला समन्वयक प्रशिक्षण समग्र शिक्षा अभियान