प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के 100वें स्थापना दिवस पर नई शिक्षा नीति को आत्मविश्वास बढ़ाने वाला बताया। कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए पीएम मोदी ने बुधवार को कहा कि नई शिक्षा नीति में नर्सरी से लेकर पीएचडी तक बदलाव किया गया है। यह बदलाव आत्मविश्वास बढ़ाने वाला है।
उन्होंने कहा कि 36 साल बाद नई शिक्षा नीति लागू हो पाई है। परिवर्तन का विरोध करने वाले पुराना ढांचा टूटने से डरते हैं, पर नई संभावनाओं के निर्माण पर बात नहीं करते हैं। आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक यह नई शिक्षा नीति पूरी तरह शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बन चुकी होगी। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में लविवि को स्थानीय उत्पाद आधारित पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए भी कहा। विश्वविद्यालय को सौ साल के गौरवशाली इतिहास के लिए बधाई देते हुए उसके सहारे नया इतिहास गढ़ने की सीख भी दी। प्रधानमंत्री के साथ ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस समारोह से वर्चुअली जुड़े।
आजादी की 100वीं वर्षगांठ तक की कार्ययोजना बनाने के निर्देश
पीएम ने लविवि को उसके शताब्दी वर्ष में आजादी की सौंवी वर्षगांठ तक की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि लविवि को एक टीम बनाकर इस पर मंथन करना चाहिए कि आजादी की 100वीं जयंती के समय वर्ष 2047 में वह कहां होगा और देश की उन्नति में क्या योगदान दे रहा होगा।
जारी किया डाक टिकट और सिक्का
प्रधानमंत्री ने समारोह के दौरान लविवि पर आधारित शताब्दी डाक टिकट, विश्वविद्यालय के विशेष कवर और सौ रुपये के विशेष शताब्दी सिक्के का विमोचन किया।
युवाओं से कहा... कभी-कभी खुद से बात करो
पीएम ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ही पूर्व छात्र कवि प्रदीप की पंक्तियां पढ़ीं... कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो, अपनी नजर में तुम क्या हो, मन के तराजू में तो लो...। पीएम ने कहा- हमें खुद से साक्षात्कार करना चाहिए। हमारी आत्ममंथन की आदत छूट रही है। गैजेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारा समय चुरा रहे हैं। हमें इनसे अपने लिए समय छीनना होगा। युवाओं को छात्र जीवन का सदुपयोग करना चाहिए। अपने लिए समय निकालें तथा छात्र जीवन का आनंद उठाएं। अच्छे दोस्त बनाएं। छात्र जीवन में ही बने दोस्त आजीवन साथ रहते हैं।
कभी-कभी खुद से बात करो..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान लखनऊ विश्विद्यालय के ही पूर्व छात्र कवि प्रदीप की पंक्तियां- कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो, अपनी नजर में तुम क्या हो, मन के तराजू में तो लो..., पढ़ीं। उन्होंने कहा कि हमें खुद से साक्षात्कार करना चाहिए। हमारी आत्ममंथन की आदत छूट रही है। गैजेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारा समय चुरा रहे हैं। हमें इनसे अपने लिए समय छीनना होगा। युवाओं को छात्र जीवन का सदुपयोग करना चाहिए। अपने लिए समय निकालें तथा छात्र जीवन का आनंद उठाएं। अच्छे दोस्त बनाएं। छात्र जीवन में ही बने दोस्त आजीवन साथ रहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने नई शिक्षा नीति बात करते हुए कहा कि 36 साल बाद नर्सरी से पीएचडी तक बदलाव किया गया है। इस बदलाव के बाद विद्यार्थियों में आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। हमें नई शिक्षा नीति पर चर्चा करनी चाहिए था तथा तेजी से इसके अमलीकरण पर काम करना चाहिए।