पंचायत सहायकों की भर्ती के विवादों का अब जिलास्तरीय टीम करेगी निपटारा

 जिले में पंचायत सहायकों की भर्ती में उपजे विवादों को निपटाने के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों के नेतृत्व में समिति का गठन किया गया है। समिति में शामिल अधिकारी ब्लाकों पर पक्ष और विपक्ष की बातों को सुनकर और कागजी अभिलेख एकत्रित करके निर्णय सुनाएंगे। पंचायत सहायकों की नियुक्ति में 2123 शिकायतें आने के कारण डीएम ने यह फैसला लिया है।





ग्रामीण इलाकों में इन दिनों पंचायत सहायक की भर्ती को लेकर प्रधानों और पूर्व प्रधानों ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। ग्राम प्रधान और चयन समिति में शामिल अधिकांश लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों का चयन करने के लिए फर्जी अंकपत्र लगा दिया है। इधर प्रशासनिक अफसरों के पास नेताओं के फोन घनघना रहे हैं। मगर डीएम ने पंचायत सहायक का चयन पूरी पारदर्शिता से करने के लिए जिले के 17 ब्लाकों के लिए अलग-अलग अफसरों की टीम बना दी है।

जिसमें एक जिला स्तरीय अधिकारी, बीडीओ, तहसीलदार और खंड शिक्षा अधिकारी शामिल हैं। समिति के सदस्य ब्लाकों पर मौजूद रहकर पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया सुनने और अभिलेखों का सत्यापन करने के बाद ही चयन पर मुहर लगाएंगे। जिले के 1193 ग्राम पंचायतों में एक -एक पद सृजित किए गए हैं, जबकि आवेदन करने वालों की संख्या 12,030 है। फिलहाल प्रधानों ने जिस आवेदक का चयन किया है, उसके सभी अभिलेखों की जांच और निवास की जांच करने के बाद ही चयन को अंतिम रुप दिया जाएगा। फिलहाल डीएम की इस पहल से डीपीआरओ का बोझ हल्का हो गया है।


दस सितंबर तक होना था चयन
पंचायत सहायकों के चयन के लिए शासन ने जो कार्यक्रम जारी किया था। उसके मुताबिक दस सितंबर तक नियुक्ति पत्र मिलना था। मगर शिकायतें अधिक होने के कारण अधिकारी निस्तारण करने में उलझ गए हैं। इससे लगता है कि अब सितंबर माह के अंत में ही चयनितों को नियुक्ति पत्र मिलेगा।
प्रधानी के चुनाव के बाद फिर दिखी गुटबाजी
जिले के अधिकांश ग्राम पंचायतों में प्रधानी के चुनाव के बाद एक बार फिर गुटबाजी देखने को मिल रही है। प्रधान अपने करीबियों को करना चाह रहे हैं, तो विरोधी प्रधान को नीचा दिखाने के लिए दूसरे के चयन करने का खेल कर रहे हैं। यही वजह है कि ग्राम पंचायतों से शिकायतें अधिक आ रही हैं।

पंचायत सहायकों की तैनाती में पूरी तरह पारदर्शिता बरतने के लिए डीएम ने सभी ब्लाकों में जिला स्तरीय अधिकारियों के नेतृत्व में चयन समिति का गठन किया गया है। सभी विवादों का निपटारा और अभिलेखों का सत्यापन करके चयन समिति अपना फैसला सुनाने के बाद अनुमोदन किया जाएगा। रविशंकर द्विवेदी, डीपीआरओ