उपनिरीक्षक चयनित कांस्टेबलों को ट्रेनिंग में अवकाश वेतन का हक

 प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस उपनिरीक्षक पद पर चयनित आरक्षियों को प्रशिक्षण भत्ता के साथ अवकाशकालीन वेतन पाने का हकदार करार दिया है। उन्हें शासनादेश का लाभ देने का निर्देश दिया है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने आलोक कुमार सिंह व अन्य की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।



खंडपीठ ने कहा है कि 16 सितंबर 1965 के शासनादेश तथा तीन नवंबर 1979 के सरकुलर के मुताबिक सीधी भर्ती में उपनिरीक्षक बने आरक्षियों को प्रशिक्षण काल को छुट्टी मानकर वेतन पाने का अधिकार है। ऐसा इसलिए किया गया कि उपनिरीक्षक पद पर चयन के बाद आरक्षी इस्तीफा दे देते थे। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद नियुक्त होते थे। शासनादेश से इस्तीफा न स्वीकार कर प्रशिक्षण के लिए कार्यमुक्त करने की व्यवस्था की गई। कहा गया कि प्रशिक्षण अवधि को छुट्टी माना जाय। विभाग ने वेतन देने से इन्कार कर दिया, जिसे चुनौती दी गई। एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी थी। इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गई। खंडपीठ ने एकलपीठ के 15 नवंबर 2019 के फैसले को रद कर दिया है। याची की तरफ से अधिवक्ता आलोक मिश्र ने बहस की।

याची का कहना था कि आरक्षी रहते हुए उपनिरीक्षक भर्ती में अर्जी दी। इसमें सफल घोषित किया गया। इसके बाद उसे प्रशिक्षण पर भेजा गया, लेकिन प्रशिक्षण भत्ता का ही भुगतान किया गया। याची ने 1965 के शासनादेश व 1979 के सरकुलर के आधार पर प्रशिक्षण अवधि को छुट्टी मानते हुए इस अवधि का वेतन देने की मांग की। पुलिस विभाग ने सीधी भर्ती में चयनित होने के कारण प्रशिक्षण काल का वेतन देने से इन्कार कर दिया था।