जनसंदेश टाइम्स
आगरा शिक्षा मित्र योगी सरकार की वादा खिलाफी से खासे नाराज हैं। शिक्षामित्रों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि उनके मानदेय में सरकार आंशिक वृद्धि की गयी है। योगी सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के मानदेय में आंशिक वृद्धि से आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि वे 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट की चोट कर अपने अपमान का बदला लेंगे।
विदित हो कि भाजपा ने 2017 के अपने चुनावी 'संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों को स्थाई समाधान का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद सरकार शिक्षामित्रों से किया वादा भूल गयी। शिक्षामित्रों की समस्याओं का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय हाईपावर कमेटी भी बनाई गयी। अब जबकि योगी सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।
शिक्षामित्रों की समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। जिसके कारण अब तक पांच हजार से अधिक शिक्षामित्र असमय अपने प्राण त्याग चुके हैं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर का कहना है कि योगी सरकार द्वारा मानदेव में आशिक वृद्धि कर शिक्षामित्रों के धाव पर नमक छिड़क ने का काम किया है।
जबकि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने 2017 में शिक्षामित्रों से वादा किया इस अपमान का बदला शिक्षामित्र आगामी 2022 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट की चोट कर लेंगे।
अखिलेश सरकार में हुआ था समायोजन
उत्तर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्रों का समायोजन अखिलेश सरकार में हुआ था समायोजन के बाद इनका मानदेय शिक्षकों के समकक्ष कर दिया गया था बाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समायोजन निरस्त होने के बाद प्रदेश की योगी सरकार शिक्षामित्रों को 10000 मानदेय के रूप में दे रही है अब संगठनों की मांग है कि उनके मानदेय में वृद्धि की जाए साथ ही 62 वर्ष तक सेवा कार्य की स्वीकृति दी जाए जबकि प्रदेश की योगी सरकार एक से 2000 मानदेय बढ़ाने की बात कह रही है जिसे शिक्षामित्रों के संगठन स्वीकार नहीं कर रहे हैं आचार सहिता लगने का समय नजदीक है ऐसे में प्रदेश भर के संविदा कर्मियों के सम्मान की लड़ाई एक बार फिर से जोर दिखा सकती है।