परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के अभ्यर्थियों ने आरक्षित वर्ग की गलत तरीके से 6800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया रोकने की मांग लेकर सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। 6800 पदों के लिए जारी चौथी सूची से असंतुष्ट ओबीसी और एससी अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 भर्ती में आरक्षित वर्ग की 19000 से अधिक सीटों पर घोटाला हुआ है लेकिन सरकार मात्र 6800 पदों पर घोटाला स्वीकार रही है, जो पूरी तरह गलत है।
याचिका दाखिल करने वाले मुनेश मौर्य का कहना है कि पूर्व बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद तथा वर्तमान में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने लखनऊ हाईकोर्ट में कहा था कि इस भर्ती में एक भी सीट पर घोटाला नहीं हुआ। जबकि सरकार ने आरक्षण घोटाला स्वीकार कर 6800 पदों की सूची जारी कर दी, जो खुद में बड़ा सवाल है। जब सरकार ने 6800 पदों पर आरक्षण घोटाला होना स्वीकार कर लिया है तो गलत तरीके से चयनित 6800 अभ्यर्थियों को बाहर क्यों नहीं किया जा रहा। अभ्यर्थी राजेश चौधरी के अनुसार सरकार ने 6800 पदों की चौथी सूची को लखनऊ हाईकोर्ट में लंबित महेंद्र पाल एंड अदर्स के अधीन रखा है। ऐसी स्थिति में जब तक महेंद्र पाल एंड अदर्स की याचिका पर लखनऊ हाईकोर्ट से कोई निर्णय नहीं आ जाता, तब तक सरकार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 6800 पद न दे तथा इस भर्ती प्रक्रिया को आगे न बढ़ाए। इस भर्ती में संविधान प्रदत्त ओबीसी को 27 तथा एससी को 21 आरक्षण के तहत क्रमश: 12000 तथा 3000 सीट और दी जाए अथवा लखनऊ हाईकोर्ट में जितने भी याची हैं उन सभी को लाभ दिया जाए, तभी यह मामला पूरी तरह समाप्त हो सकता है ।