प्रदेश के एक हजार सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के 550 शिक्षकों और 200 लिपिकों-परिचारकों का वेतन 16 साल से फंसा है। विधान परिषद की प्रशासकीय विलम्ब समिति ने वेतन भुगतान का निर्णय लिया था। इसके बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर सूचना मांगने के नाम पर प्रकरण को उलझाए हुए हैं।
प्रदेश सरकार ने 2 दिसंबर 2006 को एक हजार जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची पर लिया था। मार्च 2007 तक वेतन भुगतान की कार्यवाही की गई, लेकिन उसमें नियुक्त लगभग 550 शिक्षक और 200 लिपिक और परिचारक वेतन से वंचित रह गए। इसमें तकरीबन 350 शिक्षक ऐसे हैं जो स्थायी मान्यता से पूर्व से नियुक्त हैं और विभाग ने विनियमित किया है।
बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि इनकी नियुक्ति नियमावली के विपरीत है। जबकि सभी नियुक्तियां सृजित पद पर प्रबंध समिति के प्रस्ताव पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मान्य की है। बीपीएड, डीपीएड व सीपीएड प्रशिक्षण योग्यता वाले लगभग 50 और शिक्षा विशारद, बाम्बे आर्ट, पत्राचार बीएड आदि योग्यताधारी तकरीबन 150 शिक्षकों को भी वेतन नहीं मिल रहा है।
विभाग का कहना है कि सेवा नियमावली में ये प्रशिक्षण मान्य नहीं है। यह मामला हाईकोर्ट भी गया जहां डिवीजन बेंच ने वेतन भुगतान का आदेश दिया। लेकिन सरकार मान नहीं रही। संयुक्त शिक्षा निदेशक गायत्री ने 17 फरवरी को सभी बीएसए को पत्र लिखकर फिर से सूचना मांगी है।