महंगाई राहत जोड़कर कम से कम 15000 रुपये तक पेंशन बनेगी

 नई व्यवस्था में इस तरह होगी पेंशन की गणना


अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन दी जाएगी। अगर सेवा काल 10 से 25 वर्ष के बीच है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी। साथ ही इसमें महंगाई राहत दर (डीआर) को भी जोड़ा जाएगा। वर्तमान में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए डीआर 50 फीसदी है।



25 वर्ष की सेवा पर


● यदि कर्मचारी का औसत मूल वेतन 50,000 रुपये है तो इसके 50 फीसदी के तौर पर 25,000 रुपये प्रति माह पेंशन बनेगी। इसमें डीआर अलग से मिलेगा।


15 साल की सेवा पर


● 25 साल की जगह 15 साल सेवा का अनुपात = 15/25


● पेंशन बनेगी : 25,00015/25 = 15,000 रुपये + डीआर


10 साल की सेवा पर


● 25 साल की जगह 10 साल सेवा का अनुपात = 10/25


● पेंशन बनेगी : 25,00010/25 = 10,000 रुपये + डीआर


केंद्र सरकार ने इस योजना में न्यूनतम पेंशन राशि का स्पष्ट प्रावधान किया है। इससे सातवें वेतन आयोग के पे बैंड 5200 से 20,200 रुपये में न्यूनतम मूल वेतन वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर बड़ी राहत मिलेगी। इस पे-बैंड में न्यूनतम मूल वेतन 18,000 और 19,900 रुपये है। कर्मचारी का कार्य वर्ष चाहे जितना भी हो उसकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी। वर्तमान में ओपीएस के तहत यह रकम नौ हजार रुपये है। नई योजना में भी पेंशन राशि को महंगाई के सूचकांक से जोड़ा गया है। महंगाई राहत (डीआर) के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा।


कर्मचारी का 10 फीसदी योगदान जारी रहेगा


यूपीएस अंशदायी रहेगी यानी कर्मचारियों को एनपीएस की तर्ज पर यहां भी अपने मूल वेतन से 10 प्रतिशत का अंशदान करना होगा। हालांकि, सरकार ने यूपीएस में कर्मचारियों को राहत दी है और अतिरिक्त योगदान नहीं बढ़ाया है। वहीं, सरकार एनपीएस में 14 प्रतिशत योगदान करती है, जिसे यूपीएस में बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया गया है। यानी इस पेंशन योजना में कर्मचारी और सरकार के योगदान को मिलाकर 28.5 फीसदी हिस्सा प्रति माह जमा होगा। सरकार की ओर से दिए जाने वाले योगदान की हर तीन साल में समीक्षा होगी।


यूपीएस से कौन-कौन जुड़ सकते हैं


सरकार के मुताबिक, जो कर्मचारी 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं, उन्हें यूपीएस से जुड़ने का मौका मिलेगा। इसके अलावा एनपीएस अपनाने वाले जो कर्मचारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं। ऐसे कर्मचारियों को एनपीएस फंड की राशि का समायोजन करने के बाद पेंशन मिलेगी। अगर उनका कोई एरियर बनेगा तो उसका भुगतान ब्याज सहित सरकार करेगी।


कोई एक पेंशन योजना ही चुन पाएंगे कर्मचारी


सरकार ने कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस दोनों विकल्प खुले रखे हैं। कर्मचारी अपने फायदे की गणना करके इनमें से किसी एक को ही चुन सकते हैं। सरकार 31 मार्च 2024 से पहले एक एकीकृत पोर्टल तैयार करेगी, जिसके माध्यम से कर्मचारी एनपीएस या यूपीए में से चुनाव कर सकेंगे। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा।


एनपीएस से यूपीएस में आने पर क्या बदलाव होगा


कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के बीच चयन करने का विकल्प मिलेगा। यदि कोई कर्मचारी एनपीएस से यूपीएस में आता है तो सेवानिवृत्ति पर उसे ग्रेच्युटी मिलेगी। एनपीएस में इसका विकल्प नहीं है। वहीं, यूपीएस में एकमुश्त भुगतान के तौर पर 30 वर्ष की सेवा के लिए कर्मचारी को छह माह का वेतन अलग से मिलेगा।


एनपीएस में कुल पेंशन फंड में से 60 फीसदी एकमुश्त राशि कर्मचारी को मिलती है। बाकी बची 40 फीसदी रकम से पेंशन प्लान अनिवार्य रूप से खरीदना पड़ता है। इसमें पेंशन राशि शेयर बाजार से मिलने वाले मुनाफे पर निर्भर रहती है। इसके उलट यूपीएस में सरकार इस जोखिम को कम करते हुए न्यूनतम पेंशन की गारंटी सुनिश्चित कर रही है।


वीआरएस लेने वालों को करना होगा इंतजार


सरकार के मुताबिक, एनपीएस अपनाने वाले जो कर्मचारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले चुके हैं, वे भी यूपीएस को अपना सकते हैं लेकिन उनके लिए 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा। इसका मतलब यह है कि उन्हें 60 साल की उम्र पूरी होने का इंतजार करना होगा। इसके बाद ही वे नई पेंशन योजना यूपीएस से जुड़ सकेंगे लेकिन इस दौरान उन्हें बाकी सुविधाएं मिलती रहेंगी।


निजी क्षेत्रों के लिए भी उम्मीद जगी


सरकार ने फिलहाल केंद्रीय कर्मचारियों को एनपीएस से यूपीएस में शामिल होने का मौका दिया है। ऐसे में निजी क्षेत्रों को भी उम्मीद जगी है कि आगे चलकर उन्हें भी इस योजना का फायदा मिल सकता है। हालांकि, सरकार ने इस कुछ नहीं कहा है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जिस तरह सरकार ने एनपीएस के फायदे को देखते को इसे निजी क्षेत्रों के लिए खोला था, उसी तरह कुछ बदलाव के साथ सरकार यूपीएस से भी इन्हें जोड़कर सामाजिक सुरक्षा का फायदा दे सकती है।


1. यूपीएस में पूरी पेंशन पाने के लिए न्यूनतम 25 साल का सेवाकाल पूरा करना होगा। अगर सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल है, तो सरकारी नौकरी में 35 साल की उम्र तक शामिल होना ही होगा, नहीं तो पेंशन समानुपातिक आवंटन के अनुसार बनेगी।


2. पुरानी पेंशन व्यवस्था में जहां कर्मचारी को उसके आखिरी पूरे वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलता है, वहीं यूपीएस में आखिरी 12 महीनों के औसत मूल वेतन के आधार पर पेंशन मिलेगी।


3. ओपीएस में पेंशन राशि कर मुक्त होती है, जो यूपीएस में नहीं होगी। इसका लाभ सिर्फ उन कर्मचारियों को मिल रहा है, जो 1 जनवरी, 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए हैं।


4. सरकारी कर्मचारियों को आखिरी वक्त तक पदोन्नति मिलती है, जिससे उनका आखिरी वेतन ऊंचा होता है। ओपीएस में आखिरी पूरे वेतन पर पेंशन गणना होती था लेकिन यूपीएस में इसका फायदा नहीं मिलेगा।


यूपीएस पर कुछ कर्मचारी संगठनों ने आपत्ति भी जताई है। उनका कहना है कि सरकार नई व्यवस्था में वह सारा पैसा ले लेगी। यानी कर्मचारियों का 10 प्रतिशत भी और खुद का 18.5 प्रतिशत भी। कर्मचारियों को अपने वाले योगदान में से केवल छह माह के बराबर एकमुश्त रकम मिलेगी।