_*बहुप्रतीक्षित आदेश लखनऊ बेंच का*_
यह आदेश उत्तर प्रदेश राज्य के स्कूलों में "प्यूपिल-टीचर रेशियो" (छात्र-शिक्षक अनुपात) को बनाए रखने के लिए लागू किए गए स्थानांतरण नीति को चुनौती देने से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश में "लास्ट इन फर्स्ट आउट" (सबसे नया शिक्षक सबसे पहले बाहर) सिद्धांत के आधार पर शिक्षकों का स्थानांतरण किए जाने का विरोध किया है, जो कथित रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन करता है।
मुख्य बिंदु:
1. **स्थानांतरण नीति का चुनौती**: याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि "लास्ट इन फर्स्ट आउट" सिद्धांत लागू करने से जूनियर शिक्षकों को बार-बार स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि वरिष्ठ शिक्षक अपने पदों पर स्थिर बने रहेंगे। यह नियम बिना तर्क और कारण के असमानता उत्पन्न करता है, जो कि अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
2. **शिक्षा अधिकार अधिनियम और नियमों का उल्लंघन**: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह नीति शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और सेवा नियम 1981 के तहत दिए गए प्रावधानों के विरुद्ध है। यह अधिनियम छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने के लिए है, लेकिन स्थानांतरण प्रक्रिया में ऐसे कोई नियम शामिल नहीं है जो जूनियर शिक्षकों के पहले स्थानांतरण का प्रावधान करता हो।
3. **शिक्षा मित्रों की गणना का मुद्दा**: सरकारी आदेश में शिक्षकों की संख्या में शिक्षा मित्रों को भी शामिल किया गया है, जबकि शिक्षा मित्र के पास सहायक शिक्षक बनने के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता नहीं होती है। इसलिए, शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षकों के बराबर मानना अनुचित है।
4. **पिछले न्यायिक निर्णयों का उल्लंघन**: याचिकाकर्ताओं ने पिछले मामलों का हवाला देते हुए यह भी तर्क दिया कि "लास्ट इन फर्स्ट आउट" सिद्धांत पहले भी न्यायालय द्वारा असंवैधानिक माना गया है।
अंततः, न्यायालय ने इस नीति को असंवैधानिक और तर्कहीन माना और आदेश दिया कि "लास्ट इन फर्स्ट आउट" सिद्धांत पर आधारित स्थानांतरण नीति में आवश्यक बदलाव किए जाएं ताकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुरूप हो।